PU- M.Phil./ Ph.D. Entrance Test -2021

Chandigarh July 26, 2021

            This is for the information of the candidates in particular and public in general that the Panjab University has scheduled to conduct PU- M.Phil./ Ph.D. Entrance Test -2021 on 12th September 2021. The Prospectus (including Application Form) for the above-mentioned entrance test is available online from 26th July 2021. Detailed schedule will also be available on the concerned website. To apply, please visit the website https://phdadmissions.puchd.ac.in

गुरू पूर्णिमा व्यास पूजा पर्व

भारतीय संस्‍कृति में गुरु का बहुत महत्‍व है और आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को गुरु के लिए ही समर्पित किया गया है। इस पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरुओं की पूजा-सम्‍मान किया जाता है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। दुनिया में मां के बाद गुरु को ही सबसे ऊंचा स्‍थान दिया गया है। इस बार 23 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा। महाभारत के रचयिता महर्षि व्‍यास का जन्‍म भी आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन ही हुआ था इसलिए इसे व्‍यास पूर्णिमा भी कहते हैं। महर्षि वेद व्‍यास ने ही मानव जाति को वेदों का ज्ञान दिया है और उन्‍हें आदिगुरु माना जाता है। 

धर्म/संस्कृति डेस्क, चंडीगढ़:

हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष दिन माना जाता है। देश भर में 24 जुलाई 2021 दिन शनिवार को आषाढ़-गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन अगर आप गंगा स्नान के बाद दान पूण्य का कार्य करते हैं तो यह आपके जीवन में शुभ फलदायी माना जाता है। इस तिथि को लेकर ऐसा माना जाता है कि इसी दिन आषाढ़ पूर्णिमा पर ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इन के जन्म दिन के उपलक्ष्य पर ही सदियों से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस वजह से इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

Guru Purnima 2021: हिन्दू धर्म में गुरु पूर्णिमा का विशेष दिन माना जाता है। देश भर में 24 जुलाई 2021 दिन शनिवार को आषाढ़-गुरु पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस दिन अगर आप गंगा स्नान के बाद दान पूण्य का कार्य करते हैं तो यह आपके जीवन में शुभ फलदायी माना जाता है। इस तिथि को लेकर ऐसा माना जाता है कि इसी दिन आषाढ़ पूर्णिमा पर ही वेदों के रचयिता महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था। इन के जन्म दिन के उपलक्ष्य पर ही सदियों से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु पूजन की परंपरा चली आ रही है। इस वजह से इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।

हिन्दू धर्म में कुल पुराणों की संख्या 18 है और इन सभी पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यास को ही माना जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन जो भी व्यक्ति विधि विधान के साथ पूजा-अर्चना करता है तो उसे शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस खास दिन प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। चलिए जानते हैं 24 जुलाई को गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त और उस दिन पड़ने वाले योग के बारे में.

पूर्णिमा तिथि 23 जुलाई 2021 दिन शुक्रवार की सुबह 10ः43 बजे से प्रारंभ होकर 24 जुलाई 2021 दिन शनिवार की सुबह 08ः06 बजे तक रहेगी। इस तिथि पर अगर बनने वाले योग के बारे में बात करें तो इस साल गुरु पूर्णिमा पर विष्कुंभ योग बन रहा है, जो सुबह 06ः12 बजे तक रहेगा। इसके बाद 25 जुलाई की सुबह 03ः16 बजे तक प्रीति योग रहेगा और तत्पश्चात आयुष्मान योग लगेगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस बार प्रीति योग और आयुष्मान योग का एक साथ बनना शुभ माना जा रहा है। प्रीति और आयुष्मान योग में किए गए कार्य सफल होते हैं। विष्कुंभ योग को वैदिक ज्योतिष में शुभ योगों में नहीं गिना जाता है। इसलिए यह अशुभ होता है।

गुरु पूर्णिमा पर ऐसे करें पूजा

Guru Purnima 2021: गुरु पूर्णिमा के दिन बन रहे ये खास योग, जानें शुभ मुहूर्त और तारीख
Guru Purnima 2021 सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि के दिन गंगा स्नान व दान बेहद शुभ फलकारी माना जाता है।

अगर आप गूरू पूर्णिमा पर विधि विधान के साथ पूजा कर लाभ अर्जित करना चाहते हैं तो इसके लिए आपके पास पान के पत्ते, पानी वाले नारियल, मोदक, कर्पूर, लौंग, इलायची होना चाहिए इनके साथ पूजन करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ऐसी पूजा करने से सौ वाजस्नीय यज्ञ के समान फल मिलता है।

हिन्दू धर्म में पूर्णिमा का विशेष दिन माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि अगर आप इस दिन गंगा में स्नान करते हैं तो इससे आप स्वस्थ्य और आयुवर्द्धक होते हैं। त्वचा रोग और दमा में बहुत लाभ मिलता है। इसलिए ऐसे मौके का लाभ उठाएं। इसके अलावा अगर कोविड-19 का संक्रमण देखें तो आप इसका लाभ घर में भी उठा सकते हैं। इसके लिए आप अपने नहाने युक्त जल में थोड़ा सा गंगा जल मिला लें। यह भी उतना ही फलदायी है जितना की गंगा जी में स्नान करना।

याज्ञवल्य ऋषि के वरदान से वृक्षराज को जीवनदान मिला था। इसलिए गुरु पूर्णिमा पर बरगद की भी पूजा की जाती है। इसके अलावा अगर आप गुरु पूर्णिमा की रात खीर बनाकर दान करते हैं तो इससे मानसिक शांति मिलती है। चंद्र ग्रह का प्रभाव भी दूर होकर लाभप्रद होता है।

Personality Development course by IASC at PU

Chandigarh July 22, 2021

            The Centre for IAS and Other Competitive Examinations announces the last date for submission of application form for Interview Preparation and Personality Development course to 30th July’ 2021, informed Prof. Sonam Chawla, Honorary Director. The batch commences on 2nd August 2021. This is an extremely beneficial Course for Freshers and Others from any Stream who are keen on honing their Personality and Interview Techniques like Enhancing Communication Skills (Reading, Speaking, Writing), Effective Interview Skills, Group Discussions, Team Building, Self Introduction at Interview, Resume Writing, Body Language, Building Self Confidence, Public Speaking, Leadership Styles etc. There will be Live Group Discussions and Mock Interviews by Executives from Industry as well as Academia towards the end of the course.

For more details please contact office 9915871062/7888578886 or check website www.iasc.puchd.ac.in

16 July से स्कूल खोलने पर पुनर्विचार करे सरकार : चंद्रमोहन

पंचकूला 14 जुलाई:

हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री चंद्रमोहन ने हरियाणा सरकार के 16 जुलाई से स्कूल खोलने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की मांग की है ताकि देश के उज्जवल भविष्य विधार्थियों के अमूल्य जीवन को बचाया जा सके।

     ‌                         ‌       चन्द्र मोहन ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर का प्रकोप अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। इसके साथ ही देश के प्रबुद्ध वैज्ञानिकों, डॉक्टरों और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कोरोना की तीसरी लहर की आंशका व्यक्त की है। इंग्लैंड में तीसरी लहर पहले ही आ चुकी है।  उनका मानना है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए विशेष रूप से घातक सिद्ध हो सकती है।  इस आशंका को ध्यान में रखते हुए ही सरकार को इस प्रकार का खतरा मोल लेने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।  

     ‌                                उन्होंने शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुज्जर से अनुरोध किया है कि बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए ही इस फैसले पर पुनर्विचार किया जाएl उन्होंने कहा कि वह स्कूल खुलने के विरोधी नहीं हैं अपितु चिंता उन नौनिहाल बच्चों की है, जिन्होंने अभी अपने जीवन की शुरुआत करनी है। उन्होंने कहा कि कोरोना की  विभीषिका ने किस प्रकार से हरियाणा प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं की पोल खोल कर रख दी गई,उसकी स्मृतियां अभी लोगों के दिमाग से ओझल नहीं हुई है।

           ‌                         चन्द्र मोहन ने शिक्षा मंत्री को सुझाव दिया कि वह स्कूल खोलने की बजाय बच्चों को शत् प्रतिशत  टीका लगाने की व्यवस्था करने पर जोर दे ताकि बच्चों का जीवन सुरक्षित हो सके। इस लिए उनका सुझाव है कि इन होनहार बच्चों के भविष्य को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिए सम्पूर्ण टीकाकरण के बाद ही स्कूल खोलने का निर्णय ले। यह ही प्रदेश और बच्चों के भविष्य के लिए लाभकारी सिद्ध होगा।

         ‌                              प्रदेश में कोविड रोधी टीकाकरण अभियान का उल्लेख करते हुए उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज को याद दिलाया कि उन्होंने जुलाई में 25 लाख टीके लगाए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया था, परसों सोमवार को 45000 लोगों को टीका लग पाया और यही गति रही तो जुलाई में केवल मात्र 10 से 11 लाख लोगों को ही वैक्सीन लग पाएगी। कोरोना की पहली और दूसरी डोज  लगभग 18 लाख से अधिक लोगों को लगी है , इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि 16 जनवरी से शुरू हुए इस  टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत 6 महीने के दौरान  1 करोड़ 56 हजार लोगों को टीका लग चुका है।  लगभग 2 करोड़ 50  लाख की आबादी वाले प्रदेश में अब तक 18 लाख 33 हजार लोगों को ही दोनों डोज लग पाई है। 8 जुलाई को हरियाणा सरकार को 1 लाख 50 हजार टीके केन्द्र सरकार से उपलब्ध हुए हैं इससे भी अधिक दिन काम नहीं चलेगा। इसकी गति और अधिक तेज किए जाने की जरूरत है ताकि इस बीमारी का मुकाबला दक्षता के साथ किया जा सके।

               ‌                     चन्द्र मोहन ने सुझाव दिया कि  शिक्षा मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को आपसी तादात्म्य और समन्वय बनाकर कर ही स्कूल खोलने जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिेए। सभी बच्चों का अभी तक टीकाकरण पूरा नहीं हुआ है और अगर कोई अनहोनी हो गई तो इसका सारा दायित्व हरियाणा सरकार का होगा और ऐसी परिस्थिति में जबाब देही केवल मात्र सरकार की होगी।   

शिक्षा पर सभी का एक समान अधिकार:प्रवीण अत्री

  • शिक्षा पर सभी का एक समान अधिकार:प्रवीण अत्री
  • प्रयोग फांउडेशन ने बाल सदन के बच्चों को दी पाठय सामग्री
  • कोरोना काल में सामाजिक संगठनों की जिम्मेदारी बढ़ी
  • जल्द आयोजित होंगे डेंटल जांच शिविर

पंचकूला:

हरियाणा राज्य बाल कल्याण परिषद के नवनियुक्त मानद सचिव प्रवीण अत्री ने  कहा है कि शिक्षा पर सभी का एक समान अधिकार है। वर्तमान परिवेश में कोई भी बच्चा शिक्षा से अछूता नहीं रहना चाहिए। इसके लिए जहां प्रदेश सरकार अपने स्तर पर योजनाएं चला रही है वहीं सामाजिक संगठनों का भी यह फर्ज है कि वह सरकार की शिक्षा व स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं के साथ समाज के अभावग्रस्त व निराश्रित बच्चों को जोड़ें।

प्रवीण अत्री बुधवार को पंचकूला के सैक्टर-12-ए में स्थित बाल सदन में प्रयोग फांउडेशन द्वारा आयोजित ‘शिक्षा बैंक’ कार्यक्रम के तहत निराश्रित बच्चों को स्टेशनरी व अन्य पाठय सामग्री वितरित करने के बाद संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षा हर वर्ग के लिए जरूरी है। ऐसे में सामाजिक संगठनों को शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार के साथ मिलकर काम करना चाहिए। प्रवीण अत्री ने कहा कि कोरोना काल में सामाजिक संगठनों की जिम्मेदारी बढ़ी है।

स्कूल से दूर हुए अभावग्रस्त बच्चों का भविष्य उज्जवल करने के लिए हम सभी को एकजुटता के साथ प्रयास करना चाहिए। इस अवसर पर बोलते हुए प्रयोग फांउडेशन के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने बताया कि संस्था द्वारा हरियाणा के कई जिलों में शिक्षा बैंक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत हर माह बच्चों को पाठय सामग्री मुहैया करवाई जा रही है। महिला विंग की अध्यक्ष क्राउन डैंटल केयर इंपलांट सेंटर की निदेशक डॉ.कविता शर्मा ने बताया कि बच्चों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने के लिए भी विभिन्न शिविरों को आयोजन किया जाता है। निकट भविष्य में निराश्रित बच्चों के डेंटल जांच कैंप लगाया जाएगा।

इस अवसर पर पंचकूला जिला बाल कल्याण अधिकारी भगत सिंह दलाल ने बताया कि पंचकूला में चल रहे केंद्रों में कोरोना काल में बच्चों को सरकार की गाइडलाइन के अनुसार रखा जा रहा है। यहां समय-समय पर बच्चों को मिलने वाले भोजन तथा आवासीय क्षेत्रों का निरीक्षण भी किया जाता है। बाल सदन की अध्यक्षा कल्पना घई ने बताया कि दो कमरों से शुरू हुए इस सदन में आज करीब 24 बच्चे हैं। जिनके रहने तथा शिक्षा का प्रबंध किया जा रहा है। यहां के कई बच्चे काबिल आफिसर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं।

इस अवसर पर समाज सेविका प्रिंयका हुड्डा को कोरोना काल के दौरान जरूरतमंद लोगों की मदद करने पर बाल कल्याण परिषद द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बाल सदन की संयुक्त सचिव शालिनी गुप्ता, वित्त सचिव आर.एल. अग्रवाल, सुपरीडेंट सपना के अलावा प्रयोग फांउडेशन के प्रतिनिधि नवनीत शर्मा समेत कई गणमान्य मौजूद थे।

Sector-1 College organises online poem recitation competition

Panchkula, July 9,2021:
An Online Poetry Recitation Competition was organised by the Department of English of Government PG College, Sector-1. The session was inaugurated by Principal, Dr. Archana Mishra. She said that such events should be organised in these critical times to engage students in creative activities. She congratulated the students and teachers for their efforts. Head of the Department of English Vineeta Gupta shared valuable suggestions on poetry. Dr. Anita Hooda, Dr. Renuka Dhyani and Ms. Gurpreet Kaur judged the competition.

The competition inspired the young poets to come forward and exhibit their talents. The students came up with Poems on different themes and recited them with great fondness and zeal. Kritika, Divyaansh and Manisha bagged the first, second and third positions consecutively. Deepak Sharma technically assisted the faculty members for the successful organization of the competition. Dr. Archana, Ms. Harpreet Kaur, Mrs. Veena Jangra and Dr. Mallika were also present for the encouragement of students.

International Webinar on Newer Markers of Breast Cancer and Associated Bone Metastasis in Women by PU

Chandigarh July 9, 2021

University Institute of Pharmaceutical Sciences (UIPS), Panjab University, Chandigarh organised an International Webinar on “The ZNF217 oncogene is a key mediator and early indicator of metastasis in breast cancer” under UIPS Expert Talk series, today.

Professor Indu Pal Kaur, Chairperson UIPS, extended a cordial welcome and introduced the renowned speaker Professor Pascale A. Cohen who is currently a Professor in Molecular Biology and Biotechnology Faculty of Pharmacy University of Lyon, France. Professor Indu Pal Kaur and Professor Pascale A. Cohen were US Fulbright colleagues.

Chief Guest, Professor Amanjit Bal, Department of Histopathology, PGIMER, Chandigarh, sensitised the audience about the rising cases of breast cancer which has surpassed cervical cancer. She emphasised that the mechanism underlying metastasis is still unexplored and there is a dire need for more targets which can be utilised for the development of therapies. 

Professor Pascale A. Cohen shared the contribution of her group, one of the leader teams in the “Zinc-Finger Protein 217 (ZNF217)” field, in deciphering ZNF217’s driven deleterious functions and biomarker value in breast cancer. Her talk focussed mainly on recent research on ZNF217-driven molecular functions in human breast cancers, revisiting major hallmarks of cancer and highlighting the ZNF217’s downstream molecular targets and signaling pathways. She apprised the audience that ZNF217 is a new indicator for the emergence of bone metastasis, and future therapies targeting ZNF217 may be beneficial for patients by preventing the development of bone metastases.

 The talk was followed by an extensive Q&A session and was concluded successfully with a vote of thanks by the Chairperson Professor Indu Pal Kaur and Professor Poonam Piplani. Almost 140 participants joined the webinar and included students, researchers, UIPS and PU faculty and distinguished guests.

माधोक के विद्यार्थी परिषद ने किया 73वें वर्ष में प्रवेश

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़ :

आज से ठीक 72 वर्ष पहले यानि 9 जुलाई 1949 को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता प्रो बलराज मधोक ने स्थापना की।
संघ परिवार के सदस्यों मे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को अग्रज की संज्ञा दी जाए तो गलत न होगा। इसके बाद ही शिक्षा परिषद , जनसंघ और अन्य संस्थान अस्तित्व में आये । भारतीय जनता पार्टी का सृजन तो आपातकाल के बाद किया गया।

दृढ़ निश्चयी , अनुशासित, राष्ट्रवाद के पुरोधा, विचारक आदि नाना प्रकार के गुणों से प्रोत मधोक को भले ही उतना महत्व न दिया जाता हो लेकिन तथा कथित राष्टवादी और हिन्दूवादी संगठनों द्वारा उठाये जा रहे मुद्दे असल मे उन्हीं की देन हैं।

भारत पर गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाले बलराज मधोक पहले शख़्स थे. उन्होंने पूरे भारत में घूम कर गौ हत्या विरोध का माहौल बनाने की कोशिश की थी। वो पहले नेता थे जिन्होंने 1968 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद हिंदुओं के हवाले करने की माँग उठाई थी, उसके बदले में उन्होंने हिंदुओं द्वारा मुसलमानों के लिए उसके बदले एक भव्य मस्जिद बनाने की पेशकश की ।

“मुसलमानों को भारत की मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत है.

उदारवादी बलराज मधोक ने कहा था, “मुसलमानों को भारत की मुख्यधारा में लाने की ज़रूरत है. उसके लिए दो क़दम ज़रूरी है. पहला क़दम ये है कि उनके दिमाग से निकालो कि मुसलमान बनने के कारण तुम्हारी संस्कृति बदल गई. संस्कृति तुम्हारी वही है जो भारत की है. भाषा तुम्हारी वही है जो तुम्हारे माँ बाप की थी। उर्दू हिंदी का एक स्टाइल है, मैं भी उसे पसंद करता हूँ, क्योंकि मेरी शिक्षा भी उर्दू मे हुई है. लेकिन उर्दू मेरी भाषा नहीं है, मेरी भाषा पंजाबी है”।

भारत विभाजन के विरोधी मधोक ने 1947 में हुए भारत विभाजन को कभी स्वीकार नहीं किया और जीवनभर हर मंच पर उसका विरोध करते रहे और अखंड भारत का सपना देखते रहे।

सांझा संस्कृति की बात भारत विभाजन के साथ ही समाप्त हो गयी थी।

मधोक का कहना था, “दुर्भाग्य ये हुआ कि उस समय हमने विभाजन तो स्वीकार कर लिया लेकिन उससे निकलने वाले परिणामों को अनदेखा कर दिया. विभाजन ने दो बातें साफ़ कर दीं, ये जो साझा संस्कृति को जो बात थी वो ख़त्म हो गई। हर मुल्क की साझा संस्कृति होती है लेकिन कोई इसे साझा नहीं कहता। “गंगा के अंदर अनेक नदियाँ मिलती हैं , लेकिन मिलने के बाद गंगा जल हो जाता है. ये गंगा – जमुनी की बात ग़लत है। जब जमुना गंगा मे मिल जाती है तो कोई गंगा के पानी को गंगा -जमुनी पानी नहीं कहता, वह गंगाजल कहलाता है।”

भले ही अपनी बेबाकी की वजह से संघ के राजनीतिक पटल पर अड़ियल कार्यकर्ता के रूप में दिखे और छद्दम संघियों की राजनीति का शिकार हुए लेकिन प्रो बलराज मधोक के योगदान अविस्मरणीय हैं।

राजकीय उच्चतर आदर्श माध्यमिक विद्यालय 35 में पौधरोपन कर मनाया वन महोत्सव

डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम संवाददाता :

राजकीय उच्चतर आदर्श माध्यमिक विद्यालय 35, चंडीगढ़ में स्कूल केमूख्याध्यापक देवेंद्र गोसाईं द्वारा लक्ष्मी तरु का पौधा लगाकर वन महोत्सव की शुरुआत की गई। इसके साथ ही विद्यालय के प्रांगण में अंजीर, महुआ, बड़हल (धेहु या टेहु) और महोगनी के आयुर्वेदिक औषधीय गुणों से भरपूर कईं प्रजातियों के पौधे रोपित किये गये।

इस वन महोत्सव कार्यक्रम में स्कूल के अध्यापकों, विद्यालय प्रबंधन कमेटी के सदस्यों और चतुर्थ श्रेणी के सभी कर्मचारियों ने भाग लिया। वन महोत्सव कार्यक्रम में उपस्थित सभी को जागरूक करते हुए विद्यालय के मुख्याध्यापक देवेंद्र गोसाईं ने कहा हमें जब भी समय मिले पौधारोपण कार्यक्रमों में शामिल होना चाहिए ताकि पर्यावरण को स्वच्छ एवं सुंदर बनाया जा सके। इतना ही नहीं हमें पेड़-पौधों की देखभाल बच्चों की तरह करनी चाहिए। पेड़-पौधे बादलों को आकर्षित करते हैं इसलिये जहां पेड़-पौधे अधिक होते है वहां वर्षा भी अधिक होती है।

         वहीँ विद्यालय के खेल अध्यापक कुलदीप मेहरा ने बताया कि वह कईं वर्षों से पौधारोपण करते आ रहें है। वह अब तक हजारों पौधें लगा चुके है।

उन्होंने बताया कि वन महोत्सव भारत सरकार द्वारा वृक्षारोपण को प्रोत्साहन देने के लिए प्रति वर्ष जुलाई के प्रथम सप्ताह में आयोजित किया जाता है।  जो 1960 के दशक  में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलता को अभिव्यक्त करने वाला एक आंदोलन था। तत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य मानव द्वारा निर्मित वनों का क्षेत्रफल बढ़ाना एवं जनता में वृक्षारोपण की प्रवृत्ति पैदा करना। इसलिए हमें वन महोत्सव में स्कूल, कॉलेजों, सरकारी और गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ घर के आंगन में जहाँ भी उचित जगह मिलें वहां पर अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिये।

लगायें गये औषधीय पौधों की विशेषताऐं:

लक्ष्मी तरु:-
यह पौधा मुलत: उत्तरी अमेरिका का पेड़ है। इसके बीजों से खाद्य तेल बनता है। इसे “स्वर्ग का पेड़” (पैराडाइज ट्री) कहा जाता है। भारत में यह पेड़ सबसे पहले 2006 में आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर जी ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम द्वारा लगवाया गया था। इस पेड़ के पत्तों से जहां सेकंड स्टेज तक के कैंसर का खात्मा संभव है, वहीं आंखों के रोग, एनीमिया, अंदरूनी फोड़ा, रक्तस्राव, पाचन प्रणाली, गैस एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, डायरिया, कोलाइटिस, चिकन गुनिया, हेपेटाइटिस, मलेरिया, फीवर, मासिक धर्म, सफेद पानी समेत अनेक रोगों को भी बहुत जल्द ठीक करता है। लक्ष्मी तरु पेड़ की कुछ पत्तियां मात्र एक कप पानी में उबाल कर खाली पेट पानी पीना होता है।

अंजीर:-
ऐसा माना गया है कि पृथ्वी पर पाए जाने वाले सबसे पुराने फलों में से एक अंजीर भी है। यह अत्यंत स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर फल होता है जब औरतों में प्रेगनेंसी के दौरान खून की कमी हो जाती है डॉक्टर भी अंजीर खाने का सुझाव देते है क्योंकि अंजीर में विटामिन ए, बी1, बी2, कैल्शियम, आयरन और फास्फोरिक जैसे कई लाभकारी तत्व पाए जाते हैं। इसे फल और ड्राईफ्रूट दोनों प्रकार से खाया जाता है। यह फल मुख्यतः भारत ओर यदि विश्व की बात करें तो यह प्रमुखतः दक्षिणी तथा पश्चिमी अमरीका और मेडिटेरेनियन तथा उत्तरी अफ्रीकी देशों में उगाया जाता है।

महुआ:-
महुए का फूल, फल, बीज, छाल, पत्तियाँ सभी का आयुर्वेद में अनेक प्रकार से उपयोग किया जाता है। महुए का धार्मिक महत्व भी है। रेवती नक्षत्र का आराध्य वृक्ष है।

बड़हल या बड़हर (धेहु या टेहु):-
एक फलदार वृक्ष है। इसके फल गोलाकार या बेडौल होते हैं। हरे रंग का कच्चा फल पकने पर पीला हो जाता है जिसे खाया जाता है। यह नेत्र रोग, कर्ण खुजली, ज्वर रोग, मुख्शोधनार्थ, प्रवाहिका, कुष्ट वर्ण घाव, स्वादिष्ट आचार भी बनाया जाता है

महोगनी:
महोगनी एक औषधीय पौधा है। इसके फल व पत्तों से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी, मधुमेह सहित अन्य रोगों की दवाएं बनाई जाती हैं। यह पौधा 5 वर्ष में एक बार बीज देता है।
इस वन महोत्सव कार्यक्रम में सरकारी मॉडल स्कूल सेक्टर-35 चंडीगढ़ के प्रिंसिपल देवेंद्र गोसाईं, स्पोर्ट्स टीचर कुलदीप मेहरा, सविता, रीना विज, सुनील ध्यानी, समीर शर्मा, मनु शर्मा, नवप्रीत कौर सहित स्कूल मैनेजमेंट कमेटी से परमिंदर सिंह, योगेश कुमार, विनीत अवस्थी, अश्वनी कुमार, महिंद्र सिंह उपस्थित रहें। इसके साथ ही स्कूल के सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों ने भी भाग लिया जिसमें मुख्य रूप से शिवबरन, रामराज, बालेश्वर, सुंदर, संतोष कुमार और रवि कुमार उपस्थित रहें।

Hunar 2021 at USOL

Chandigarh July 7, 2021

            University School of Open Learning, Panjab University, Chandigarh, today organized its sixth annual cultural event Hunar, a platform that gives students to explore their talents, included creative items and activities such as writings of poetry and essay, poster making, dance, singing, poetry recitation, photography and filmmaking. Keeping in view the pandemic norms of social distancing and self-isolation, the event was organized online. The students had emailed as many as two hundred entries through PDFs and videos.

            The Chairperson, Prof Madhurima Verma, introduced the chief guests Prof S. K. Tomar, the Dean Students’ Welfare (Men) and Prof Meena Sharma, Dean Students’ Welfare (Women). Referring to the celebration of the Golden Jubilee year of USOL, Prof Verma highlighted the distinctive services rendered by the institution in the field of open learning and education.

            In his address, Prof Tomar congratulated the organizers for the event in the difficult times of the Covid and extolled the efforts of the students. Invoking the landmark mythical character of Eklavya, a dalit, Prof Tomar called him the first distant learner as he mastered the skill of archery staying away from his teacher Dronacharya.  He also called upon to institute a judicious balance between the three coordinates of education—the teacher, the taught and the study material.

            Prof Meena Sharma appreciated the event and called it nothing less than a stress buster and confidence booster for the students as the preparation of and engagement with the creative-cultural items distanced them from the environment suffused negativity triggered by the covid. The judgment of each creative item was prepared by a team of three faculty members. 

            Eight teachers including Prof Neeru, Prof Harsh, Prof Praveen, Prof Sukhpreet, Dr Kuljeet, Dr Parveen, Dr Kamala and Dr Richa gave a comprehensive introduction to each creative item and presented the judgment by making a declaration of the first, second, third position and consolation prizes. As many as 40 students were declared as prize winners.  The two prize winning students Mr Gopi and Ms Anand Priya shared their enriching experiences regarding the preparation of their respective items.

            The coordinator of the event, Dr Ravinder Kaur Dhaliwal and co-coordinator Dr Reena Chaudhari, along with a dedicated team of faculty members, put strenuous efforts to organize the event. 

            Dr Sucha Singh provided the technical support to conduct the event. Mr Sudhir Baweja conducted the event eloquently and Dr Kamala Sandhu proposed a vote of thanks.