निर्जला एकादशी व्रत 18 को
- भगवान विष्णु की करें आराधना मिलेगी सुख-स्मृद्धि, धन-संपदा में होगी वृद्धिः पंडित जोशी
- इस निर्जला एकादशी पर बन रहे काफी शुभ योग
रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 14 जून :
निर्जला एकादशी व्रत मंगलवार 18 जून को मनाया जाएगा। सभी एकादशियों में से निर्जला एकादशी काफी खास होने के साथ सबसे कठोर मानी जाती है, क्योंकि इस दिन अन्न-जल ग्रहण नहीं किया जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस बार 18 जून मंगलवार को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जा रहा है। इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी और बड़ी ग्यारस जैसे नामों से भी जाना जाता है। ये जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पंडित पूरन चंद्र जोशी श्री मुक्तसर साहिब वालों ने निर्जला एकादशी व्रत पर प्रकाश डालते हुए दी।
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ-साथ व्रत रखने से हर तरह के दुखों से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि, धन-संपदा का आशीर्वाद मिलता है। इसके साथ ही पापों से मुक्ति मिलने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। पंडित जोशी के अनुसार इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं। अगर आप भी इस बार निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं, तो इन नियमों का जरूर ध्यान रखें। इस साल निर्जला एकादशी पर काफी शुभ योग बन रहे हैं।
शिव योग
ये योग दिन भर रहकर रात 9ः39 मिनट तक रहेगा। इसके बाद सिद्ध योग लग जाएगा। इसके साथ ही दोपहर में 3ः56 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 5ः 24 मिनट तक त्रिपुष्कर योग है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून सोमवार को सुबह 04ः42 मिनट से आरंभ हो रही है,जो 18 जून मंगववार को सुबह 06ः23 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के आधार पर निर्जला एकादशी व्रत 18 जून मंगलवार को रखा जाएगा। निर्जला एकादशी के दिन दान करने का विशेष महत्व है। इस दिन गोदान, जल दान, छाता दान के साथ-साथ जूता आदि का दान देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। आप चाहे, तो अपनी योग्यता के अनुसार कुछ चीजों का दान कर सकते हैं।
पीपल को चढ़ाएं जल
पं. जोशी अनुसार निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन पूजा करने के साथ-साथ जल जरूर अर्पित करें। निर्जला एकादशी के दिन पूजन करने के साथ-साथ एकादशी व्रत कथा अवश्य सुननी या फिर पढ़नी चाहिए। इससे आपकी पूजा पूर्ण होती है। इस दिन साधक निर्जला व्रत रखकर किसी को पानी पीने का घड़ा दान करता है, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन पौधे लगाना शुभ माना जाता है। इसलिए इस दिन पीपल, बरगद, नीम आदि के पेड़ अवश्य लगाएं।निर्जला एकादशी के दिन चावल का सेवन करना लाभकारी माना जाता है। निर्जला एकादशी के दिन नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन नमक खाने से एकादशी व्रत और गुरुवार के फल नष्ट हो जाते हैं। इस दिन तुलसी को न स्पर्श करना चाहिए और न ही उसमें जल चढ़ाना चाहिए, क्योंकि इस दिन मां तुलसी व्रत रखती हैं। इस दिन तामसिक और मांस-मदिरा का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इस दिन बेड, पलंग आदि में सोने के बजाय जमीन में सोना चाहिए। इस दिन झाड़ू पोछा करने की मनाही है, क्योंकि इससे चींटी सहित कई सूक्ष्म जीवों की हत्या का दोष लग जाता है। एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाना चाहिए।