पंचांग, 18 अप्रैल 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 18 अप्रैल 2024

नोटः आज श्री नवरात्र व्रत का पारणा हैं तथा गण्ड़मूल विचार है।

श्री नवरात्रि व्रत पारण की विधि जिन घरों में कलश स्थापना के दिन जो ज्वारे बोए थे उन्हें नदी में प्रवाहित करें। हवन और ज्वारे विसर्जन के बाद ही अन्न ग्रहण करें। इस विधि से नवरात्रि व्रत का पारण करने पर व्रत फलित होते हैं।

गण्ड़मूल विचार : कुछ नक्षत्र को शुभ और कुछ को अशुभ माना जाता है। यह अशुभ नक्षत्र ही गण्डमूल नक्षत्र कहलाते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह नक्षत्र अश्विनी, आश्लेषा, मघा, जेष्ठा, मूल और रेवती के नाम से जाने जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इन नक्षत्रों में जन्मा हुआ बालक माता-पिता, कुल और स्वयं अपने आप को नष्ट करने वाला होता है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः चैत्र, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः  दशमी सांय काल 05.32 तक है, 

वारः गुरूवार।

नोटः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः  आश्लेषा की वृद्धि है जो कि गुरूवार को प्रातः काल 07.57 तक है, 

योगः अतिगण्ड़ रात्रि काल 12.43 तक, 

करणः गर, 

सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः कर्क, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.56, सूर्यास्तः 06.45 बजे।