पंचांग, 15 अप्रैल 2024

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं : तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 15 अप्रैल 2024

नोटः आज अशोक कलिका प्राशन है, तथा अशोकाष्टमी पुनर्वसुयुता है। इस व्रत को करने से मनुष्य सदैव शोकमुक्त रहता है। इस व्रत के सम्बन्ध में एक प्राचीन कथा है कि रावण की नगरी लंका में अशोक वाटिका के नीचे निवास करने वाली जानकी माता को इसी दिन हनुमानजी द्वारा श्रीराम का संदेश एवं मुद्रिका प्राप्त हुई थी। जिस कारण इस दिन अशोक वृक्ष के नीचे माता जानकी तथा हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित कर विधिवत पूजन करना चाहिए। हनुमानजी द्वारा सीता माता की खोज की कथा रामायण से सुननी चाहिए। ऐसा करने से स्त्रियों का सौभाग्य अचल होता है। इस दिन अशोक वृक्ष की कलिकाओं का रस निकालकर पीना चाहिए, जिससे शरीर के रोग विकास का समूल नाश हो जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2081, 

शक संवत्ः 1946, 

मासः चैत्र, 

पक्षः शुक्ल, 

तिथिः  सप्तमी दोहपर काल 12.12 तक है, 

वारः सोमवार।

नोटः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।

नक्षत्रः पुनर्वसु रात्रि काल 03.06 तक है, 

योगः सुकृत़ रात्रि काल 11.08 तक, 

करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मेष, चन्द्र राशिः मिथुन, 

राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.59, सूर्यास्तः 06.43 बजे।