अब SBI भी बनी बीजेपी की कठपुतली : बुद्धिराजा

  • अब SBI भी बनी बीजेपी की कठपुतली, भ्रष्ट भाजपा सरकार को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में मांगा समय : बुद्धिराजा
  • हरियाणा यूथ कांग्रेस ने अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धिराज के नेतृत्व में एसबीआई कार्यालय पर किया प्रदर्शन
  •  प्रदर्शनकारियों के साथ पुलिस ने किया बल का प्रयोग, सेक्टर 17 थाने में किया बंद

 चंडीगढ़ : ईडी सीबीआई और इनकम टैक्स के बाद अब देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई भी बीजेपी की बी टीम की तरह काम कर रहा है यह कहना था हरियाणा यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष दिव्यांशु बुद्धि राजा का बुद्धिराजा यहां एसबीआई मुख्यालय चंडीगढ़ के समक्ष सैकड़ो कार्यकर्ताओं के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के ऊपर पुलिस ने बल का प्रयोग करते हुए धक्का मुक्की की एवं हिरासत में लेकर सेक्टर 17 थाने ले गई , जहाँ बाद में उन्हें छोड़ दिया गया मीडिया के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने खुलकर आरोप लगाया कि जो जानकारी एसबीआई को एक क्लिक में उपलब्ध हो सकती है उस जानकारी को देने के लिए एसबीआई ने महीनों का वक्त मांगा है। जो भाजपा के भ्रष्टाचार को छुपाने की कोशिश है बुद्धिराजा ने आरोप लगाया कि पूरे देश में भाजपा जिला मुख्यालय के नाम पर अरबो रुपए की प्रॉपर्टी बनाने वाली भाजपा को बचाने के लिए इलेक्ट्रोल बोंड़ की जानकारी उपलब्ध कराने में एसबीआई की देरी यह बताती है कि एसबीआई भी देश की अन्य सरकारी संस्थाओं की तरह बीजेपी की बी टीम बन गई है। उन्होंने कहा कि 15 फरवरी को भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चुनावी बांड योजना के तहत मिले चंदे का खुलासा करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी चंदे से जुड़ी पूरी जानकारी 6 मार्च, 2024 (लोकसभा चुनाव से पहले) सार्वजनिक करने और चुनाव आयोग को सौंपने का भी निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस ऐतिहासिक फैसले का पूरे देश ने जोरदार स्वागत किया और इसे चुनावों में काले धन के इस्तेमाल और सत्ता में पूंजीपतियों की अवैध भागीदारी के खिलाफ सबसे निर्णायक कदम बताया। सत्तारूढ़ भाजपा, जो चुनावी बांड योजना की सबसे बड़ी लाभार्थी है, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद असहज थी। बीजेपी को डर था कि जैसे ही उसके दानदाता मित्रों की जानकारी सार्वजनिक होगी, बीजेपी की बेईमानी और चुनिंदा कॉरपोरेट्स के साथ उसकी नापाक सांठगांठ उजागर हो जाएगी. यह आशंका थी कि कौन दान दे रहा था, बदले में उसे क्या मिला, उनके लाभ के लिए कौन से कानून बनाए गए, क्या दान देने वालों के खिलाफ जांच बंद कर दी गई, क्या जबरन दान इकट्ठा करने के लिए जांच की धमकी दी गई, इस बारे में विवरण सामने आ जाएगा। बीजेपी और मोदी सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक पर जानकारी साझा न करने का दबाव बनाया और कल भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर जानकारी साझा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा। निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर कौन देगा? देश के सबसे बड़े और पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत बैंक को चुनावी बांड के बारे में जानकारी देने के लिए 5 महीने का समय क्यों चाहिए? एक क्लिक से 5 मिनट में पूरी जानकारी निकाली जा सकती है. जानकारी देने की अंतिम तिथि से एक दिन पहले ही स्टेट बैंक ने सूचना देने के लिए अधिक समय क्यों मांगा? क्या यह गणना करने में भी एक महीना लगा कि वास्तव में कितना समय लगेगा? 48 करोड़ खाते, 66 हजार एटीएम और 23 हजार शाखाएं संचालित करने वाले एसबीआई को केवल 22217 चुनावी बांड के बारे में जानकारी देने के लिए 5 महीने चाहिए? सवाल उठता है कि क्या देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक अब बीजेपी की वित्तीय अनियमितताओं को छुपाने और काले धन के स्रोत को छुपाने का जरिया बन गया है. सवाल उठता है कि क्या एक राजनीतिक दल और एक सरकारी बैंक मिलकर देश के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की अवहेलना कर रहे हैं। बीजेपी की करतूतों को छिपाने के लिए समय मांगा है. लेकिन देश की जनता अब भली-भांति समझ चुकी है कि किस तरह सरकारी एजेंसियों/संस्थाओं पर दबाव बनाकर सच्चाई को छुपाया जा रहा है। देश की जनता भी समझ रही है कि मीडिया कैसे हकीकत छुपाने और झूठी कहानियां गढ़ने में मोदी सरकार का सहयोगी बन गया है। जनता इस पूरे मामले की कड़वी हकीकत को भलीभांति समझ चुकी है। अब बैंक और बीजेपी चाहे कितनी भी साजिशें रच लें, जनता पूंजीपतियों द्वारा लूटे गए चंदे के पूरे खेल को समझ चुकी है और आने वाले चुनावों में बीजेपी को सबक सिखाने के लिए तैयार है। इस अवसर पर मुख्य रूप से पंचकूला जिला अध्यक्ष नायब चौधरी , मुकेश सिरसवाल , अभिमन्यु , शुभम , राहुल शर्मा , विकास ,लेखपाल आदि युवा कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे