बसंत पंचमी कल

मां सरस्वती की करें पूजा-अर्चना, प्रसन्न होंगी लक्ष्मी जी एवं देवी काली भी : पं. पूरन चंद्र जोशी

पं. जोशी

रघुनंदन पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो, 12 फरवरी

बसंत पंचमी इस बार 14 फरवरी शुक्रवार को मनाई जाएगी। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, वीणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान होकर प्रकट हुई थीं, इसलिए इस दिन मां सरस्वती की विषेश पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस दिन से से ही बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है।   

ये जानकारी सनातन धर्म प्रचारक प्रसिद्ध विद्वान ब्रह्मऋषि पं. पूरन चंद्र जोशी ने बसंत पंचमी के उपलक्ष्य में बताते हुए दी। उन्होंने बताया कि  बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली भी प्रसन्न होती हैं। 

ये रहेगी पूजन अवधि 

पं. जोशी के अनुसार बसंत पंचमी की तिथि माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 13 फरवरी को दोपहर 02ः41 मिनट से हो रही है। अगले दिन 14 फरवरी को दोपहर 12ः09 मिनट पर इसका समापन होगा। उदया तिथि 14 जनवरी को प्राप्त हो रही है, इसलिए इस साल वसंत पंचमी का पर्व 14 फरवरी को मनाया जाएगा।  14 फरवरी को बसंत पंचमी वाले दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7ः1 मिनट से लेकर दोपहर 12ः35 मिनट तक रहेगा। ऐसे में इस दिन पूजा के लिए आपके पास करीब 5 घंटे 35 मिनट तक का समय है। 

ऐसे करें पूजन :

बसंत पंचमी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत होकर पीले या सफेद रंग का वस्त्र पहनें। उसके बाद सरस्वती पूजा का संकल्प लें। पूजा स्थान पर मां सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। मां सरस्वती को गंगाजल से स्नान कराएं। फिर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। इसके बाद पीले फूल, अक्षत, सफेद चंदन या पीले रंग की रोली, पीला गुलाल, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें। इस दिन सरस्वती माता को गेंदे के फूल की माला पहनाएं। साथ ही पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।  इसके बाद सरस्वती वंदना एवं मंत्र से मां सरस्वती की पूजा करें। आप चाहें तो पूजा के समय सरस्वती कवच का पाठ भी कर सकते हैं।  आखिर में हवन कुंड बनाकर हवन सामग्री तैयार कर लें और ‘ओम श्री सरस्वत्यै नमः: स्वहा” मंत्र की एक माला का जाप करते हुए हवन करें।  फिर अंत में खड़े होकर मां सरस्वती की आरती करें।  बसंत पंचमी का पर्व मां सरस्वती को समर्पित है। ऐसे में इस दिन सरस्वती जी की प्रतिमा या चित्र घर में लाना लाभकारी साबित हो सकता है।  इसके बाद विधि-विधान के साथ मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करें। ऐसा करने से व्यक्ति की एकाग्रता बढ़ती है। इसके साथ ही मां सरस्वती की कृपा प्राप्ति के लिए पूजा के दौरान को पीले रंग के फूल या माला अर्पित करनी चाहिए। *संगीत में रुचि रखने वाले लाएं इस दिन घर में कोई वाद्य यंत्र* पं. जोशी ने कहा कि संगीत में रुचि रखने वाले लोगों को बसंत पंचमी के दिन बासुरी या वाद्य यंत्र घर लाना चाहिए। ऐसा करने से मां देवी सरस्वती प्रसन्न होती हैं। यदि आपके परिवार में विवाह आदि होने वाला है, तो ऐसे में सरस्वती पूजा के दिन शादी का जोड़ा या गहने खरीदना विशेष लाभकारी माना जाता है। ऐसे करने से आने वाला वैवाहिक जीवन खुशहाल बना रहता है। इसके साथ ही बसंत पंचमी पर नया घर या वाहन आदि भी खरीदना शुभ माना  गया है।

बसंत पंचमी को मोरपंखी का पौधा लाना भी बेहद शुभ 

बसंत पंचमी के दिन घर में मोरपंखी का पौधा लाना बेहद शुभ होता है। आप इस पौधे को घर की पूर्व दिशा में रख सकते हैं। आप चाहें तो मोरपंखी के पौधे को आपने ड्राइंग रूम या घर के मुख्य द्वार पर भी लगा सकते हैं। ऐसा करने से साधक और उसके परिवार पर मां सरस्वती की कृपा बनी रहती है। बसंत पंचमी  को भी अक्षया तृतीया की तरह इस दिन को भी शुभ माना जाता है। इस को भी स्वयं सिद्ध– मुहूर्त माना  गया है। इस मुहूर्त में सभी तरह के मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।  आज ही के दिन ही महादेव और पार्वती का तिलकोत्सव हुआ था और उनके विवाह की रस्में शुरू हुई थीं। 

विवाह के लिए भी स्वयं सिद्ध मुहुर्त है बसंत पंचमी 

इस दृष्टि से भी विवाह के लिए बसंत पंचमी का दिन शुभ माना गया है। बसंत पंचमी के पूरे दिन दोषरहित श्रेष्ठ योग रहता है। मान्यता है कि यह दिन विवाह के लिए (स्वयं -सिद्ध- मुहूर्त) होता है। इस दिन ऐसे लोगों को विवाह करना चाहिए जिनके विवाह में लगातार दिक्कतें आ रही हों। दोनों पक्षों के राजी हों परंतु गुण नहीं मिलने के कारण असमंजस की स्थिति में हो, तो भी आज का दिन उनके विवाह के लिए उचित है।