रेट ज्यादा होने के कारण वन विभाग की नर्सरियों में पोपूलर के पेड़ नहीं बिके
कोशिक खान, डेमोक्रेटिक फ्रंट, छछरौली, 08 फरवरी
वन विभाग द्वारा सरकारी नर्सरियों में तैयार किए गए पोपूलर के पेड़ पचास प्रतिशत भी नहीं बिके हैं। किसानों ने रेट ज्यादा होने के कारण प्राइवेट नर्सरी से खरीदकर खेतों में पौधारोपण किया।
ज्ञात हो वन विभाग हर साल सरकारी नर्सरियों में लाखों पौधे पोपूलर के तैयार करता था। जिनको सरकारी रेट पर किसानों को उपलब्ध कराया जाता था। विभाग ने यह स्कीम लगभग पांच साल पहले शुरू की थी। उस समय विभाग ने पोपूलर के पेड़ों का सरकारी रेट दस रुपये निर्धारित किया था। उस समय प्राइवेट नर्सरियो में पोपूलर के पेड़ का रेट तीस रुपये था। किसानों ने उस समय लाइनों में लग सरकारी नर्सरियों से पेड़ खरीदें थे। उसके बाद अगले वर्ष विभाग ने पेड़ का रेट 12 रूपये प्रति पेड़ कर दिया। फिर अगले साल 15 ओर इस बार रेट 17 को रेट कर दिया। इस बार प्राइवेट नर्सरियो में रेट बराबर हो गया था। इसलिए किसानों ने अपने आसपास से ही पेड़ खरीद लिए। वन विभाग की जिले की सभी नर्सरियों में लगभग चार लाख पोपूलर के पेड़ तैयार थे। जिनमें सिर्फ पचास प्रतिशत पेड़ ही बिक सके। छछरौली रेंज आफिसर दिनेश पुनिया ने बताया कि छछरौली रेंज की छछरौली व कोट नर्सरी में 95 हजार पेड़ तैयार किए थे। जिनमें से पचास प्रतिशत ही पेड़ बिक सके हैं। किसान जयपाल कर्मबीर सद्दाम संदीप ने बताया कि वन विभाग को कम रेट पर किसानों को पेड़ उपलब्ध कराने चाहिए। पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए विभाग करोड़ों रुपये खर्च करता है ओर इधर किसानों को लूटने में लगा हुआ है। विभाग ने दस रुपये का जो रेट निर्धारित किया था वह ठीक था। हर वर्ष पोपूलर के पेड़ मे बढ़ोतरी कर वन विभाग किसानों को लूटने में लगा है। किसानों की मांग है कि अगले वर्ष कंट्रोल रेट पर पेड़ उपलब्ध कराए जाएं।