डेमोक्रेटिक फ्रंट, पंचकूला, 25 जनवरी
श्रीमती अरुणा आसिफ अलि स्नातकोत्तर राजकीय महाविद्यालय कालका की प्राचार्या श्रीमती प्रोमिला मलिक की अध्यक्षता और आइक्यूएसी कोर्डिनेटर श्री रविंद्र कुमार के मार्गदर्शन में एमओओसी विकास और एनएएसी मान्यता प्रक्रिया पर एक दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला में पंचकूला और अंबाला जिले के विभिन्न कॉलेजों के 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। कॉलेज प्राचार्या श्रीमती प्रोमिला मलिक ने कार्यशाला के बारे में विस्तृत जानकारी दी और मुख्य अतिथि उपनिदेशक उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा श्रीमती इंदिरा शर्मा का स्वागत किया। प्रथम सत्र में कार्यशाला में मुख्य वक्ता प्रोफेसर डॉक्टर तेजेंद्र पाल सिंह, यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ रहे। प्रोफेसर तेजेंद्र पाल सिंह ने दर्शकों को आज के परिदृश्य में व्यापक ओपन ऑनलाइन कोर्स विकास के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने एमओओसी में विकसित किए जाने वाले विभिन्न विषयों के बारे में विस्तार से चर्चा की। अपने व्याख्यान में, उन्होंने एमओओसी में पाठ्यक्रम योजना के निर्माण के विभिन्न चरणों के बारे में भी बात की। उन्होंने एमओओसी के लिए वीडियो निर्माण में चार चतुर्थ अंशों, विषय की संरचना, तैयारी और चुनौतियों के बारे में चर्चा की। उन्होंने दर्शकों को फंडिंग एजेंसियों और छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए इन पाठ्यक्रमों से होने वाले लाभों के बारे में बताया। व्याख्यान बहुत जानकारी पूर्ण था और वर्तमान परिदृश्य में जब शिक्षा डिजिटलीकरण प्रक्रिया की ओर बढ़ रही है बहुत महत्वपूर्ण है। द्वितीय सत्र में मुख्य वक्ता श्री अरुण जोशी प्रिंसिपल सेवानिवृत्त राजकीय महाविद्यालय अंबाला कैंट, हरियाणा रहे। उन्होंने दर्शकों को राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद की मान्यता प्रक्रिया के बारे में बताया। श्री अरुण जोशी ने बताया कि राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद का मुख्य उद्देश्य उच्चतर शिक्षा की संस्थाओं, विश्वविद्यालयों और कॉलेजों अथवा उनके एक या अधिक विभागों आदि का मूल्यांकन करना और उन्हें प्रत्यायित करना है। उन्होंने उन विभिन्न क्षेत्रों के बारे में चर्चा की जहां सरकार कॉलेजों को अच्छे एनएएसी ग्रेड प्राप्त करने के लिए काम करना चाहिए ।उन्होंने कहा कि प्रत्येक कॉलेज को अपने डेटा को व्यवस्थित करने के लिए अपना एमआईएस सिस्टम विकसित करना चाहिए। उन्होंने उन विभिन्न चुनौतियों के बारे में भी चर्चा की जिनका सामना सरकारी कॉलेजों को एनएएसी मान्यता प्रक्रिया से गुजरने के दौरान करना पड़ता है। श्री अरुण जोशी ने बताया कि नैक आवेदक संस्थानों की स्वः मूल्यांकन रिपोर्ट पर बहुत अधिक निर्भर करता है। आवेदक संस्था के लिए पहला कदम मात्रात्मक और गुणात्मक मैट्रिकस से संबंधित जानकारी की एक स्व अध्ययन रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। श्री अरुण जोशी ने बहुत ही प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक विचार प्रस्तुत किए। मंच संचालन डॉक्टर पूजा सिंगल ने किया। कार्यशाला का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।