शास्त्रीय संगीत इबादत, एक जीवन भी पड़ता है कम : सितारवादक अदनान
राहुल मिश्रा और रोहित मिश्रा के जोगिया मन भायो से माहौल बना संगीतमयी
डेमोक्रेटिक फ्रंट, पटियाला – 23 दिसम्बर :
नार्थ जोन कल्चर सेंटर के कालीदास ऑडिटोरियम में चल रहे 4 दिवसीय पटियाला संगीत समारोह में आज का दिन सितारवादक अदनान और गायक मिश्रा बंधुओं के नाम रहा ।
“आज के समय में भारतीय शास्त्रीय संगीत को कायम रखना काफी मुश्किल हो चुका है। आज की आप धापी और व्यस्तता वाली जिंदगी में डेढ़ दो घंटे के शास्त्रीय संगीत हेतु दर्शक जुटाना कठिन ज़रूर हो गया है लेकिन शास्त्रीय संगीत में सुधि लोगों की रुचि अभी भी बरकरार है । इस शास्त्रीय संगीत को जीवित रखने के लिए कलाकारों के साथ साथ इस तरह के आयोजनों और संस्थाओं की विशेष भूमिका रहती है। शास्त्रीय संगीत इतना विस्तृत और गहरा है कि जिसके लिये एक जीवन काफी नहीं है । यह एक इबादत है। इबादत इंसान के साथ ही खत्म होती है।” यह विचार सितार वादक अदनान ने यहां पटियाला के उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के कालिदास आडिटोरियम में चार दिवसीय आयोजित शास्त्रीय संगीत समारोह के दौरान पेश किए। इस दौरान अदनान ने युवा पीढ़ी से गुजारिश करते कहा कि वह इस क्लासिकल म्यूजिक को सीखें और सुने।
अदनान के सितार की मधुर स्वर लहरियों ने मोहा दर्शकों का मन
सितार वादक अदनान ने शास्त्रीय संगीत समारोह में राग चारूकेशी की पेशकश देकर लोगों को बांधे रखा। सितार वादक अदनान ने करीब एक घंटा अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने पहले सितार पर चारूकेशी राग की प्रस्तुति दी। इसके बाद उनके द्वारा प्रस्तुत तबले के साथ दस मात्राएं व जप ताल व तीन ताल की प्रस्तुति लोगों का मुख्य आकर्षण का केंद्र बनी रही। इस दौरान उनका साथ तबला वादक जूहेद अहमद खान ने दिया। अदनान ने कहा कि राग चारुकेशी दक्षिण भारतीय संगीत से लिया गया राग है। इस राग में धैवत और निषाद कोमल लगते हैं, बाकी सारे स्वर शुद्ध हैं। इस राग का वादी स्वर है मध्यम और संवादी है षड़ज। राग के आरोह और अवरोह में सातों स्वरों का इस्तेमाल होता है इसलिए इसकी जाति कहलाती है संपूर्ण-संपूर्ण। बता दें कि कलाकार अदनान खान दिल्ली घराने के मशहूर सितार वादक उस्ताद सईद खान के सुपुत्र है । इन्होंने सितार वादन की शिक्षा अपने नाना उस्ताद जफर अहमद खां से लेनी प्रारंभ की और सितार की बारीकियां इन्होंने अपने पिता से सीखी । इनके सितार वादन की विशेष गायकी अंग पर इनकी मज़बूत पकड़ है । इसके अलावा सुर,ताल और लय पर विशेष महारथ रखने वाले अदनान आजकल की युवा पीढ़ी में अपनी खास जगह बना चुके है ।
मिश्रा बंधुओं के जोगिया मन भायो ने माहौल बनाया संगीतमयी
शास्त्रीय संगीत समारोह में गायक राहुल मिश्रा और रोहित मिश्रा ने राग केदार में विलम्बित एक ताल से जोगिया मन भायो की प्रस्तुति दी जिससे समारोह का माहौल संगीतमयी बना रहा। इसके अलावा उन्होंने सुहाये, रही रही जिया घबराय, मारे करेजवा प तीर गोरी तोरे नैन, ओ मियां व जाने वाले, राग गौरी में दिवाना किए श्याम क्या जादु डारा, धन्य भाग्य सेवा का अवर पाया की पुस्तुति दी। मिश्रा बंधुओं की प्रस्तुति ने लोगों को झूमने को मजबूर कर दिया। समारोह में शामिल लोगों ने मिश्रा बंधुओं द्वारा दी विभिन्न प्रस्तुतियों को काफी पंसद किया। मिश्रा बंधु संगीत के बनारस परांपरा के दो सबसे सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखते है, उनके दादा स्वर्गीय पंडित बैजनाथ प्रसाद मिश्रा सारंगी के बनारस घराने के महान कलाकार थे व नाना तबला सम्राट स्वर्गीय पंडित शारदा सहाय थे जो पंडित राम सहाय के प्रत्यक्ष वंशज जो स्वयं बनारस शैली के तबला वादन के संस्थापक थे। राहुल मिश्रा और रोहित मिश्रा पेशेवर रूप से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत के अधिकांश रूपों में प्रशिक्षित हैं , जो बनारस घराने के विशिष्ट है जिनमें ख्याल,ठुमरी,टप्पा, दादरा, चैती,कजरी,होरी व भजन आदि शामिल है।
शास्त्रीय संगीत समारोह 25 दिसंबर तक रहेगा जारी
उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने कहा कि शास्त्रीय संगीत समारोह 25 दिसंबर तक जारी रहेगा। 24 दिसंबर को सितार वादक मोर मुक्त केडिया, सरोद वादक मनोज कुमार केडिया और गायक मोहम्मद अमान खान अपनी पेशकश देंगे। इसके अलावा 25 दिसंबर को कलाकारों में विश्व मोहन भट्ट, मोहन वीणा, सलील भट्ट, सत्विक वीणा, हरीश तिवारी अपनी पेशकश देंगे। ।