मोदी सरकार की किसान हितैषी नीतियों के कारण बासमती धान की कीमतों ने रिकार्ड तोड़े : बिंटा बांसल

मन्नू पराशर, डेमोक्रेटिक फ्रंट, जैतो – 29नवम्बर  :

राइस मिल एसोसिएशन पंजाब के अध्यक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता भारत भूषण बिंटा बांसल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की किसान समर्थक नीतियों के परिणामस्वरूप पंजाब में बासमती धान की कीमत ने सभी रिकार्ड तोड़ दिए हैं। बासमती 1121 की कीमत 5,500 रुपये प्रति क्विंटल और बासमती मूछल का कीमत 5,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक हो गई है। बिंटा बांसल ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार किसानों की सच्ची हमदर्द सरकार है जो खेती को लाभकारी बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।

बिंटा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान की टिप्पणियों और पंजाब सरकार की गलत नीतियों ने किसानों को विरोध प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया है। पंजाब का हर वर्ग इस निकम्मी सरकार से दुखी है। पंजाब में छोटे आपरेटरों के साथ धक्का हो रहा है, उनका कारोबार खत्म करने की कोशिश की जा रही है। इस सरकार से किसी भी वर्ग के लोग खुश नहीं हैं। जब से आप सरकार आई है लोग परेशान हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब में छोटे-छोटे प्रोजेक्टों का उद्घाटन सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल द्वारा किया जा रहा है और इस पर अनावश्यक करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पंजाब में चल रहे अवैध खनन के मुद्दे पर बिंटा ने कहा कि पंजाब में खुलेआम अवैध खनन हो रहा है, सरकारी एजेंसियों द्वारा जब्त की गई जमीनें अब पंजाब में सुरक्षित नहीं हैं, खनन माफिया ने इन जमीनों और पंजाब सरकार को भी निशाना बना लिया है। प्रदेश में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा कि पंजाब में खेतों में आग लगने के अब तक 27,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जो इस सीजन की करीब 85 फीसदी घटनाएं हैं। उन्होंने कहा कि कृषि अवशेष पर आधारित बायोमास को कोयले के साथ को-फायरिंग करने में योगी माडल पूरे देश में नंबर वन है। बिंटा बांसल ने कहा कि मई 2023 तक 47 कोयला आधारित थर्मल पावर प्लांटों में लगभग 1,64,976 मीट्रिक टन कृषि-अपशिष्ट आधारित बायोमास को सह-फायर किया गया है। बायोमास छर्रों पर सह-फायरिंग करने वाले थर्मल पावर प्लांटों की राज्यवार सूची में पंजाब 11वें स्थान पर है। पंजाब सरकार ने केवल 180 मीट्रिक टन बायोमास छर्रों का उपयोग किया है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार योगी माडल से सीख लेकर इसे 10,000 मीट्रिक टन तक बढ़ा सकती है, जिससे न केवल पराली जलाने के मामले खत्म होंगे, बल्कि पराली और कृषि अवशेषों का पर्याप्त निपटान भी सुनिश्चित होगा।