गाय के बिना कोई गति नहीं और वेद के बिना मति नहीं : आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़ – 17 नवम्बर :
आर्य समाज सेक्टर 7बी, चण्डीगढ़ के 65वें वार्षिक उत्सव के दौरान दिल्ली से पधारे आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री ने कहा कि गाय के बिना कोई गति नहीं है और वेद के बिना मति नहीं है। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद ज्ञान का सागर है। पानी में भेदभाव नहीं है। उन्होंने कहा की मौत के सामने सब कुछ खाक हो जाता है। अभिमानी व्यक्ति के पास संतोष नहीं होता है। उन्होंने बताया कि वेदों में झूठी बातें नहीं है। स्वाध्याय करने वाला व्यक्ति ही श्रेष्ठ हो सकता है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने बताया है कि ईश्वर की आज्ञा का पालन करना ही सबसे बड़ी भक्ति है। जागने का नाम जीवन है। ब्रह्मांड में सभी पदार्थ अनुभूति का विषय हैं। इसी शरीर से ब्रह्मांड का व्यापार चल रहा है।
उन्होंने कहा कि हर वस्तु का संबंध शरीर से है। उन्होंने बताया कि नारियल का आकार सिर की तरह है। नारियल का तेल लगाना और इसे सेवन करना उपयोगी है। अखरोट खोपड़ी की तरह होता है। जीवन में इसका सेवन आवश्यक है। आंख के लिए लीची और बादाम उपयोगी है। उन्होंने कहा कि त्वचा रोग के लिए हरी पत्तियों का सेवन करना चाहिए। पेट की बीमारियों से निजात पाने के लिए पपीता और पेठा भोजन में शामिल करना चाहिए। साइनस की प्रॉब्लम के लिए काजू का सेवन लाभदायक होता है।
आचार्य ने कहा कि परमात्मा बाहरी आंखों से नहीं दिखाई देता है। उसके लिए अंतर्मन के चक्षु खोलना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जो दिखाई देता है उससे ज्यादा ताकतवर वह है जो दिखाई नहीं देता। हवा के बिना हम जिंदा नहीं रह सकते हैं परंतु वह हमें दिखाई नहीं देती इससे पता चलता है की हवा का जीवन में कितना महत्व है। ज्ञान के बिना मुक्ति मिल पाना असंभव है। उन्होंने कहा कि ईश्वर के ओम नाम का जाप करना चाहिए। उत्तम गुण, कर्म, स्वभाव से प्रेरित होकर सुख प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यजुर्वेद के 40 अध्याय हैं। इसके अंतर्गत ज्ञान को कर्म में लाना अति आवश्यक है। इससे पूर्व आचार्य दीवान चंद्र शास्त्री ने मधुर भजनों से उपस्थित लोगों को आत्म विभोर को कर दिया। कार्यक्रम के दौरान डीएवी शिक्षण संस्थाओं और आर्य समाजों से काफी लोग उपस्थित थे।