अघोषित एक्सटेंशन पर चल रहे सूद बीजेपी अध्यक्ष पद की कुर्सी से हटाए गए, जतिंदर मल्होत्रा अब नए अध्यक्ष

राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 13 अक्टूबर :

अघोषित एक्सटेंशन  पर चल रहे अरुण सूद को बीजेपी आलाकमान ने शुक्रवार को बीजेपी चंडीगढ़ के अध्यक्ष पद की कुर्सी से उतार दिया। देर सांय इस राजनीतिक घटना से शहर का सियासी पारा भी चढ़ गया बल्कि सत्ता पक्ष भाजपा के भीतर भी खलबली मच गई। सूद को पद से हटाए जाने की सूचना देर सांय जंगल में आग की तरह फैल चुकी थी।

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा ने अरुण सूद को हटाकर जतिंद्र पाल मल्होत्रा को चंडीगढ़ भाजपा का नया प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने का फरमान जारी कर भाजपा में हड़कंप मचा दिया। जतिंद्र पाल मल्होत्रा निगम के मेयर के वार्ड के जिला अध्यक्ष हैं और भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे संजय टंडन के करीबी माने जाते हैं। निगम चुनावों में जतिंद्र पाल मल्होत्रा ने संजय टंडन के साथ मिलकर अनुप गुप्ता की  अपने वार्ड में जीत को पक्का किया था। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस बार फिर संजय टंडन ग्रुप प्रदेशाध्यक्ष के पद पर भी काबिज हो गया है। पहले संजय टंडन के आशीर्वाद से मेयर के पद पर अनुप गुप्ता आए और अब प्रदेशाध्यक्ष मल्होत्रा। जतिंद्र पाल मल्होत्रा पेशे से बिल्डर हैं और उन्होंने पंजाब भाजपा कार्यालय  37 व आरएसएस कार्यालय सैक्टर 18 कार्यालय का नवीनीकरण किया है।  मल्होत्रा आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं और लंबे समय से पार्टी की ओर से दी जाने वाली जिम्मेवारियों का निर्वहन कर रहे थे।

चंडीगढ़ भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण सूद शुक्रवार को पूरा दिन केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के साथ सैक्टर 26 में रहे  लेकिन उन्हें इस बात की भनक तक नहीं थी कि आज उनका प्रधान के पद पर आखिरी दिन है। सायं को एकाएक नये प्रधान की निुयक्ति का ऐलान होने से सूद के समर्थक निराश हो गए। वहीं भाजपा में सूद के नेतृत्व को लेकर कार्यकर्ता निराश चल रहे थे।

वहीं जतिंद्र पाल मल्होेत्रा को पार्टी की ओर से प्रदेशाध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने पर पूर्व प्रदेशाध्यक्ष संजय टंडन ने मल्होत्रा को शुभकामनाएं दीं और उनके नेतृत्व में पार्टी को और ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए एकजुटता के साथ काम किया जाएगा।
वहीं नवनियुक्त भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष जतिंद्र पाल मल्होत्रा से बात की तो उन्होंने कहा कि वह पार्टी के सभी कार्यकर्ताओं को साथ में लेकर संगठन को मजबूत करेंगे। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडडा का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो विश्वास उन पर दिखाया है उस पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करेंगे।

विवादित रहा सूद का कार्यकाल 

वहीं, जनवरी 2020 में सांसद किरण खेर और संजय टंडन के आर्शिवाद से अध्यक्ष बने सूद का कार्यकाल खासा विवादित रहा था। हाल ही में कॉलोनियो के मालिकाना हक के मामले में पार्टी की खासी किरकिरी हुई । अतीत में जाएं तो प्रधान बनते ही पार्षद की भूमिका में सूद तत्कालीन निगम आयुक्त के साथ पहली ही बैठक में भिड़ गए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि तब की मेयर राजबाला मलिक को हाथ जोड़कर सदन की कार्यवाही को बीच में रोकना पड़ा था। इस बीच समय गुजरता गया, पार्टी के सीनियर नेताओं विशेषकर संजय टंडन से उनके रिश्ते तल्ख होते चले गए। ठीक यही स्थिति सांसद किरण खेर के साथ भी रही। जबकि सत्यपाल जैन पहले ही सूद विरोधी थे। पिछले दिनों अटकले भी उठी कि सूद अपनी करीबी जैन के साथ बढ़ा रहे हैं। बतौर पार्षद और बीजेपी प्रधान रहते उनका रिश्ता वर्ष 2020 और 2021 के मेयर के साथ भी बिगड़ता रहा। वर्ष 2020 में तो खुद पार्टी के अन्य पार्षदों के साथ मिलकर मेयर की ही वर्चुअल बैठक का बहिष्कार कर दिया गया।  इसी बीच इसी वर्ष बीजेपी युवा मार्चो की ओर से निगम में थप्पड़कांड की घटना भी घट गई। बात यही पर भी थमी नहीं, पिछले वर्ष मनोनित पार्षदों की जिस तरह से तैनाती की गई उससे भी पार्टी के सीनियर नेता खासे खफा थे, कहा तो यहां तक जाता रहा कि वर्तमान में निगम और मेयर को बतौर रूमोट कंट्रोल के तौर पर सूद ही पर्दो के पीछे से चला रहे थे। वहीं, पार्टी के भीतर असंतोष का माहौल बना हुआ था। अब सूद खेमे में बैचेनी बढ़ी गई है।

निगम चुनाव में आई महज 12 सीटे , सांसद की वोट के सहारे बनते रहे मेयर 

वहीं,  वर्ष 2021 के मेयर चुनाव में पार्टी की महज 12 सीटे ही आ सकी। नौबत यहां तक पहुुंच गई कि हर बार सांसद की एक वोट के सहारे ही पार्टी अपना मेयर बनने में सफल रही। कहा जाता है कि  सूद इसके अपनी उपलब्धी मानते रहे। हालांकि यह तर्क उनकी कुर्सी को बचा नहीं सका।

लोक सभा चुनाव से पहले हटाना एक दांव , नए अध्यक्ष के समक्ष कई चुनौतियां 

वहीं, लोक सभा चुनाव के लिए अभी थोड़ा ही समय बचा है,ऐसे में नए अध्यक्ष के समक्ष काफी चुनौतियां होगी।
वैसे लोक सभा चुनाव से पहले अध्यक्ष पद का बदलावा एक दांव ही माना जा सकता है।