पंजाब सरकार माताओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में तकनीकी सुविधांए प्रदान करेगी: डॉ. बलबीर सिंह
स्वास्थय मंत्री डा. बलबीर सिंह ने माताओं की मृत्यु दर घटाने संबंधी तकनीकी दख़ल विषय पर करवाई गई राज्य स्तरीय वर्कशाप की अध्यक्षता की
डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : महिलाएं एवं बच्चों की तंदरुस्त सेहत को यकीनी बनाना मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार की मुख्य प्राथमिकता बताते हुए पंजाब के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. बलबीर सिंह ने माताओं की मृत्यु दर (एम. एम. आर.) को घटाने के लिए सरकारी स्वास्थय संस्थानों में हर तरह की तकनीकी सुविधाएं प्रदान करने का ऐलान किया।
मौजूदा समय पंजाब में माताओं की मौत दर एक लाख लाइव बर्थ पीछे राष्ट्रीय औसत ( 97) के मुकाबले 105 रिकार्ड की गई है।
उन्होंने कहा कि एम. एम. आर. 70 के स्थायी विकास लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सूबे की मदद करने के लिए सभी मैडीकल अफसरों को आगे आने और बेहतर तकनीकों को अपनाने की अपील करता हूं । उन्होंने कहा कि सूबे में बेहतर कारगुज़ारी दिखाने वाले डाक्टरों का सम्मान करने के साथ-साथ उन्हें पदोन्नित में पहल भी दी जायेगी।
डा. बलबीर सिंह पंजाब स्टेट कौंसिल फॉर विज्ञान एंड टैकनॉलॉजी की ओर से एमज़ बठिंडा, वातावरण और मौसमी तबदीली और स्वास्थय एवं परिवार कल्याण विभाग के सहयोग के साथ ‘माताओं की मौत दर घटाने के लिए तकनीकी दख़ल’ विषय पर करवाई गई राज्य स्तरीय वर्कशाप के उद्घाटनी सैशन की अध्यक्षता कर रहे थे।
स्वास्थय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार लोगों विशेषकर महिलाओं तथा बच्चों की सेहत के साथ कोई समझौता नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि हम राज्य में पोस्ट- पार्टम हैमरेज ( पीपीऐच) के साथ सम्बन्धित प्रसूति मौत दर को कम करने के लिए सरकारी अस्पतालों में हर तकनीकी सुविधा, चाहे यह ग़ैर- न्यूमेटिक एंटी शॉक गारमैंट ( एनएएसजी) या यूटराईन बैलून टैंपोनेड ( यूबीटी) हो, प्रदान करेंगे।
इससे पहले पी. एस. सी. एस. टी. के कार्यकारी निदेशक डा. जतिन्दर कौर अरोड़ा ने बताया कि कैसे दो जिलों- बठिंडा और फरीदकोट के सभी डिलीवरी पुआइंटें पर दो कम लागत वाली सुविधाएं एन. ए. एस. जी. अते यूबीटी की शुरुआत के साथ पीपीएच की गंभीर स्थिति से प्रभावित 73 मांताओं का जीवन बचाया गया। उन्होंने सेहत मंत्री को पंजाब के दूसरे जिलों में भी यह सुविधंए शुरू करने की अपील की।
एमज़ बठिंडा और पीएससीएस्टी के प्रोजैक्ट प्रमुख डा. लाज्या देवी गोयल और डा. दपिन्दर कौर बख्शी ने बताया कि प्रोजैक्ट के उद्देश्यों में अलग-अलग डिलीवरी पुआइंटें पर यू. बी. टीज़ और एन. ए. एस. जीज़ सुविधांए उपलब्ध करवाना और सेहत संभाल पेशेवरों का व्यापक प्रशिक्षण शामिल है जिससे माताओं की पोस्ट-पारटम हैमरेज ( पीपीएच) करके होने वाली मृत्यु की रोकथाम में मदद मिलेगी।
डायरैक्टर सेहत सेवा डा. आदर्शपाल कौर ने मैडीकल पेशेवरों को पीपीऐच और अन्य खतरे वाली स्थितियों की जल्द पहचान करें और ऐसे मरीजों को समय सिर रैफर करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने सभी सेहत संस्थाओंं के लिए रैफरल प्रोटोकोल बनाने पर भी ज़ोर दिया।
स्टेट प्रोग्राम अफ़सर डा. इन्द्रदीप कौर, स्वास्थय एवं परिवार भलाई विभाग पंजाब के सहायक डायरैक्टर डा. विनीत नागपाल, पंजाब के सभी 23 जिलों से गायनीकोलोजिस्ट, नर्सें और टैकनीशियन समेत अलग-अलग सेहत संभाल पेशेवरों ने स्टेट वर्कशाप में भाग लिया।