Sunday, December 22
  •        एचसीएस भर्ती के रिजल्ट से स्पष्ट है बीजेपी-जेजेपी की हरियाणवी विरोधी मानसिकता- हुड्डा
  •        ऐसा कैसे हो सकता है कि परीक्षा में कुल पदों जितने अभ्यार्थी भी पास नहीं हो पाए?- हुड्डा
  •        पदों के 3 गुना 300 अभ्यार्थियों की बजाए सिर्फ 61 को इंटरव्यू के लिए बुलाना नियमों का उल्लंघन- हुड्डा
  •        एचपीएससी को तुरंत भंग करके इसकी गड़बड़ियों और घोटालों की उच्च स्तरीय जांच हो- हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चण्डीगढ़- 26 सितम्बर :

पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एचसीएस एलाइड सर्विस भर्ती को लेकर बीजेपी-जेजेपी की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। हुड्डा ने पूछा है कि क्या एचपीएससी को हरियाणा में इस भर्ती के लिए 100 योग्य उम्मीदवार नहीं मिले? ऐसा कैसे हो सकता है कि परीक्षा में कुल पदों जितने उम्मीदवार भी पास नहीं हो पाए? 100 पदों की भर्ती के लिए सिर्फ 61 अभ्यर्थियों का पास होना अपने आप में भर्ती प्रक्रिया और भर्ती संस्था पर सवालिया निशान है। हरियाणा लोक सेवा आयोग ने जानबूझकर फेरबदल करके ऐसे नियम बनाए हैं, जिससे कुल पदों जितनी नियुक्ति ना हो पाए और पद खाली रहें। इस एचसीएस भर्ती से यह भी स्पष्ट हो गया है कि फेरबदल करके बनाए गए नियम अभ्यर्थियों के हित में नहीं है। नियम कहता है कि पदों के तीन गुना अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया जाना चाहिए। लेकिन इसका उल्लंघन करते हुए 300 की बजाय सिर्फ 61 अभ्यर्थियों को ही इंटरव्यू पर बुलाया जा रहा है।

हुड्डा ने कहा कि एचपीएससी द्वारा लगातार इस तरह की कोशिशें की जा रही हैं, जिससे हरियाणा के प्रतिभावान युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया जाए और अन्य राज्य के लोगों को उच्च पदों पर नियुक्ति मिले। आयोग की भर्तियों में भी लगातार घोटाले सामने आ रहे हैं। हर भर्ती के रिजल्ट पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। इसीलिए कांग्रेस ने सड़क से लेकर विधानसभा तक इस मुद्दे को उठाया है। कांग्रेस की मांग है कि एचपीएससी को तुरंत भंग किया जाए और इसमें हुई गड़बड़ियों और घोटालों की उच्च स्तरीय जांच हो।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि एक तरफ हरियाणा के युवा पूरे देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी झेल रहे हैं। दूसरी तरफ एचएसएससी और एचपीएससी जैसी भर्ती संस्थाओं के जरिए बीजेपी-जेजेपी सरकार उन्हें बुरी तरह प्रताड़ित कर रही है। भर्तियों के पेपर लीक, गड़बड़ियां और घोटाले रूटीन हो गया है। इस सरकार की प्रत्येक भर्ती कोर्ट में जाकर अटक जाती है और अभ्यार्थियों को परीक्षाओं की तैयारी छोड़कर कोर्ट के चक्कर काटने पड़ते हैं।