खोदा पहाड़, निकली चुहिया का सबसे सटीक उदाहरण “महिला आरक्षण बिल” है – महीला कांग्रेस

महिला आरक्षण है सिर्फ भाजपा का चुनावी लॉलीपॉप – दीपा दुबे

डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ (राकेश शाह) : चंडीगढ़ महिला कांग्रेस के अध्यक्ष दीपा दुबे ने महिला आरक्षण बिल को लेकर कहा की पिछले 9 सालों में मोदी सरकार ने अब तक का सबसे बड़ा जुमला देश की 50% महिलाओं वोटरों को देखते हुए फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है।

मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वास घात किया है। उनकी उम्मीदों को तोड़ा है ।

दुबे ने कहा कि महिला आरक्षण बिल फिर से विचाराधीन हो गया, क्योंकि ये बिल निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के बाद लागू होगा और निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जनगणना के बाद होगा।

दुबे ने कहा कि भारत G20 का एकमात्र ऐसा देश है जिस देश की अभी तक जनगणना नहीं हो पाई।जो जनगणना 2021 में होनी थी? वो अब कब होगी पता नहीं!, महिलाओं को कब तक अपने हक के लिए लड़ना पड़ेगा? पता नहीं!

चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद और भाजपा की महिला अध्यक्ष सुनीता धवन को आधे हाथ लेते हुए कहा है कि अगर मोदी सरकार जो बिल कांग्रेस द्वारा 2010 में पास हुआ था राज्यसभा में अगर इस बिल को नरेंद्र मोदी संसद में लेकर आते तो शायद महिलाओं का सम्मान भाजपा उसको लागू कर कर सकती थी लेकिन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चंडीगढ़ में भाजपा की महिलाओं और भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद ने यह साबित कर दिया कि भाजपा महिलाओं की भागीदारी पुरुषों के मुकाबले करने में संकोच करती है।

चंडीगढ़ भाजपा किस बात की खुशी बना रहे हैं महिला आरक्षण को लेकर मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट है।

मोदी सरकार के महिला आरक्षण बिल में साफ लिखा है कि महिला आरक्षण, जनगणना और परिसीमन के बाद ही हो सकता है।

मतलब 2029 से पहले महिला आरक्षण संभव नहीं है। तो आज चंडीगढ़ भाजपा 2029 मैं लागू होने की खुशी बन रही है या 2024 में लोकसभा चावन के हारने के डर के कारण यह जुमला जो कल प्रधानमंत्री ने देश की आदि आबादी महिलाओं के लिए छोड़ा है उसके लिए बना रहे हैं।