यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो आज नहीं तो कल सनातन मे आना होगा : मयूर प्रताप सिंह तोमर
सुभाष कोहली, डेमोक्रेटिक फ्रंट, कालका – 07 अगस्त :
श्रावण सोमवार को जलाभिषेक की इच्छा से हरियाणा प्रदेश के मेवात स्थित भगवान कृष्ण और पांडव क़ालीन चमत्कारी श्री नल्लड़ महादेव मंदिर मे जाने वाली वार्षिक धार्मिक यात्रा पर मेवाती मुस्लिम, आतंकवादी, जेहादी नागरिकों ने भयंकर आक्रमण किया। जिसमे कुछ तीर्थ यात्री मृत्यु को प्राप्त कर चुके हैं। पुलिस जवानों का भी बलिदान हुआ। सायबर थाने को आग लगाकर फूंक दिया गया। सैकड़ों वाहन जला दिये गये। हिंदुओं के प्रतिष्ठान लूट लिये गये। अभी भी गंभीर घायल अवस्था मे अनेकों यात्री उपचाराधीन हैं। लगभग 25000 यात्रियों का जत्था भारी पुलिस फ़ोर्स की मदद से वहाँ से बाहर पहुँचाया गया जोकि एक अत्यंत चुनौतीपूर्ण कार्य था। मेवाड़ में लगभग 80% मुस्लिम आबादी और लगभग 20% हिंदू आबादी है ऐसे आँकड़े प्राप्त होते हैं। जिसका अर्थ यह है की जहां इनकी बहुलता होती है वहाँ ये शांति भंग करना, हत्या करना, पथरबाजी करना, शिक्षा का विरोध करना, हिंदू धर्म स्थानों का अतिक्रमण करना और हिंदुओं को डरा कर भगा देना जैसे कुकृत्य आसानी से कर लेते हैं। मुस्लिमों से आज भारत ही नहीं बल्कि सारा यूरोप अमेरिका और सारा विश्व त्रस्त है। इस्लाम का मार्ग हिंसा का मार्ग है। वह अपनी क्रूर प्रवृत्ति एवं हिंसा से सम्पूर्ण विश्व का इस्लामीकरण करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं। क्या इस प्रकार से राक्षसी संस्कारों को जीने वाले ये मुस्लिम क्या कभी सुधरेंगे, यदि हाँ तो कैसे?
इस यक्ष प्रश्न का एक मात्र उत्तर यदि है तो यह है:-उत्तर है कि संगठित हिन्दू समाज ही एकमात्र ऐसा रास्ता निकालेगा जिस से इस आतंक से छुटकारा मिलेगा। हिंदू समाज के चारों वर्णों को संगठित हो कर आपसी सदभाव और समन्वय रखते हुए अपने सभी धार्मिक स्थलों पर समान भाव से आना जाना चाहिए। संतों ने सदा से एक नारा दिया है, ‘जात पात पूछे नहीं कोय, हरि को भजे सो हरी का होय’। राजपूत मीरा जी ने ब्रह्म ज्ञानी संतश्री रविदास महाराज जी को अपना गुरु बनाया। ब्रह्म ऋषि श्री वाल्मीकि महर्षि जी के आश्रम में भगवती सीता माता जी ने निवास किया और अपने पुत्रों को जन्म दे कर उनसे दीक्षा दिलाई। श्री कृष्ण जी ने साधारण बाल गोपाल के संग भोजन किया और प्रेम का संबंध बनाया। याद रखो जब धर्म के नाते हम जुड़े रहेंगे तभी हमारा समाज संगठित रह सकेगा। सनातन धर्म मे ही विश्व का कल्याण छिपा है। यदि विश्व का कल्याण चाहते हैं तो आज नहीं तो कल सनातन मे आना होगा।