कथा की सार्थकता तभी सिद्ध होगी जब इसे करेंगे जीवन में धारण : स्वामी कमलानंद गिरि जी
रघुनंदनपराशर, डेमोक्रेटिकफ्रंट, जैतों- 08 जुलाई :
श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि कथा की सार्थकता तब ही सिद्ध होती है जब मनुष्य इसे अपने जीवन में धारण कर निरंतर हरि सिमरन करते हुए अपने जीवन को आनंदमय, मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा कथा सिर्फ मनोरंजन मात्र तथा कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी।
महामंडलेश्वर स्वामी श्री कमलानंद गिरि जी महाराज ने ये विचार श्री सन्यास आश्रम जैतो में आयोजित श्रीमद् भागवत-रामायण प्रवचन कार्यक्रम के दौरान प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य जब अच्छे कर्म करने के लिए आगे बढ़ता है तो सम्पूर्ण सृष्टि की शक्ति समाहित होकर मनुष्य का साथ देने में लग जाती है और खुद-ब-खुद सभी कार्य सफल होने लगते हैं। ठीक उसी तरह बुरे कर्मों की राह के दौरान सम्पूर्ण बुरी शक्तियां मनुष्य के साथ हो जाती हैं। इस दौरान मनुष्य को निर्णय करना होता कि उसे किस राह पर चलना है। अच्छे कर्मों वाली राह पर या बुरा कर्मों वाली राह पर, क्योंकि कर्म के अनुसार ही फल मिलता है। स्वामी जी महाराज ने मानव जीवन का महत्व बताते हुए कहा कि मानव जीवन को व्यर्थ नहीं गंवाना चाहिए। मानव जीवन प्रभु सिमरन करने के लिए मिला है। इसलिए कुछ समय प्रभु सिमरन के लिए अवश्य निकालना चाहिए। मनुष्य जीवन बेहद कीमती है। इसलिए मनुष्य को इसके प्रति सचेत रहना चाहिए। मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। इसलिए इस कीमती जीवन का पूरा आनंद उठाओ और प्रभु सिमरन करते रहो। अगर जीवन को व्यर्थ के कामों में गंवाओगे तो बाद में बहुत पछताना पड़ेगा। मगर बाद में पछताने का कोई लाभ नहीं होगा।
कार्यक्रम दौरान स्वामी श्री सुशांतानंद जी महाराज भी श्रद्धालुओं को जहां प्रवचनों की अमृतवर्षा में स्नान करवा रहे हैं। वहीं भजन गंगा में डुबकियां लगवा रहे हैं। इस मौके डॉक्टर ईश्वर लाल गोयल, करण कोचर, तेजा सिंह सोढ़ी,विजय गर्ग (काला), हर्ष बांसल, सुरेश मित्तल, देवेंद्र सिंह मित्तल,अशोक शर्मा, राधेश्याम मोबाइल वाले, राधेश्याम पोस्ट मास्टर, दीपक जिंदल समेत बहुत सारे पुरुष एवं सैकड़ों की संख्या में महिलाओं ने महाराज श्री के मुख से कथा सुनकर जीवन को कृतार्थ किया।