पंचांग 29 जून 2023

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – पंचांग, 29 जून 2023 :

नोटः हरिशयनी एकादशी व्रत, चातुर्मास्य व्रत नियमादि प्रारम्भ है।

Devshayani Ekadashi 2020 Shubh Muhurat, Adhik Mass 2020: Read Devshayani  Ekadashi Vrat Katha & Puja Vidhi | Devshayani Ekadashi 2020: आज है देवशयनी  एकादशी, जानें कब तक नहीं कर सकेंगें मांगलिक कार्य
हरिशयनी/देव शयनी एकादशी व्रत

हरिशयनी एकादशी व्रत : हरिशयनी एकादशी व्रत को देव शयनी और पद्मनाभ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पद्मपुराण में बताया गया है कि जब युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा कि आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम और महत्व है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की जो एकादशी होती है उस दिन से 4 महीने तक भगवान विष्णु अपने एक रूप में पाताल लोक में राजा बलि को दिए वचन के अनुसार निवास करते हैं और अपने चतुर्भुज रूप में बैकुंठ में शेषनाग की शैय्या पर शयन करते हैं। इस एकादशी के दिन से 4 महीने तक भगवान के शयन में चले जाने से इस एकादशी को शयनी, देवशयनी एकादशी, पद्मनाभ, महाएकादशी और थोली एकादशी कहते हैं।  

संयम, नियम, धर्म पालन का समय है चातुर्मास

चातुर्मास्य व्रत नियमादि प्रारम्भ है। चातुर्मास में सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। बहुत-सी महिलाएं इस नियम का पालन करती हैं। खासतौर पर श्रावण और कार्तिक मास में तो यह नियम सभी को अपनाना चाहिए। चातुर्मास के दौरान जमीन पर सोना चाहिए।

चातुर्मास का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी ये चार माह खानपान में अत्यंत सावधानी बरतने के होते हैं। ये चार माह बारिश के होते हैं। इस समय हवा में नमी काफी बढ़ जाती है जिसके कारण बैक्टीरिया, कीड़े, जीव जंतु आदि बड़ी संख्या में पनपते हैं। सब्जियों में जल में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। खासकर पत्तेदार सब्जियों में कीड़े आदि ज्यादा लग जाते हैं। इस लिहाज से इन चार माह में पत्तेदार सब्जियां आदि खाने की मनाही रहती है। इस दौरान शरीर की पाचनशक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए संतुलित और हल्का, सुपाच्य भोजन करने की सलाह दी जाती है।

विक्रमी संवत्ः 2080, शक संवत्ः 1945, मासः आषाढ़, पक्षः शुक्ल पक्ष, तिथिः एकादशी रात्रि काल 02.43 तक है, वारः गुरूवार।

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

 नक्षत्रः स्वाती सांयकाल 04.30 तक है, योगः सिद्धि रात्रि काल 03.43 तक, करणः वणिज, 

सूर्य राशिः मिथुन, चंद्र राशिः तुला,

 राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः 05.30, सूर्यास्तः 07.19 बजे।