‘प्रतिगामी संदेह से सृजनात्मक प्रश्न की और’ सिख इतिहास प्रति डाले गए विभिन्न संदेहों को दूर करेगी
सिख इतिहास प्रति डाले गए विभिन्न संदेहों को दूर करेगी किताब ‘प्रतिगामी संदेह से सृजनात्मक प्रश्न की और’
संवेदनशील सवालों का जवाब है जीपी की किताब
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 10 जून :
सिख इतिहास या धर्म ग्रंथ के संबंध में कई बुद्धिजीवियों द्वारा पिछले कई दशकों से उठाए गए सवालों से निपटती पुस्तक ‘प्रतिगामी संदेह से सृजनात्मक प्रश्न की और’ लेखक गुरप्रीत सिंह जीपी का एक अनूठा प्रयास है। उन्होंने इस पुस्तक को पंजाबी के साथ-साथ हिंदी में भी प्रकाशित किया है, जिसका शीर्षक ‘प्रतिगामी शंकियां तों सृजनात्मक प्रश्न वल’ है।
लेखक ने कई महत्वपूर्ण संवेदनशील प्रश्नों से निपटने का साहस किया है, जो मानव मन को विचलित करने का काम करते हैं। अपने प्रयासों के बारे में बोलते हुए श्री जी.पी. ने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने महसूस किया कि बेशक हिंदी भाषी लोग सिखों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन हिंदी में बहुत कम अच्छी किताबें लिखी गई हैं जो उन्हें सिख इतिहास सीखने में मदद कर सकती हैं।
न्होंने कहा कि पुस्तक का शीर्षक ही बताता है कि यह पुस्तक सिख इतिहास या धर्मग्रंथों के बारे में शंकाओं का समाधान करती है। उन्होंने कहा कि ऐसे कई सवाल हैं जो न तो सैद्धांतिक स्तर पर सही हैं और न ही इतिहास की सही समझ से आए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे सवाल अधूरे ज्ञान और अहंकार की उपज हैं या सिखों के प्रति ईष्र्या के कारण हैं। उन्होंने कहा कि पुस्तक में चार तरह से तर्क दिया गया है, सैद्धांतिक पक्ष, सामाजिक और सांस्कृतिक पक्ष, ऐतिहासिक पक्ष और उनका अपना पक्ष।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अपनी तरफ से प्रोफेसर रौनकी राम और डॉ. धर्मवीर की रचनाओं का आलोचनात्मक विश्लेषण किया है, साथ ही बाबू मंगू राम मंगेवालिया जैसे अन्य दलित विचारकों के काम को छुआ है। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक गुरबाणी की कसौटी के आधार पर दलित लेखन के विश्लेषण के अनूठे प्रयासों में से एक है, और इसलिए यह दलित चिंतन के नए रास्ते खोलती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक के हिंदी संस्करण की पहली प्रति एक मई को बहरीन में श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी को भेंट की गई। यह पुस्तक अमेजॉन, फ्लिपकार्ट और व्हाइट फॉक प्रकाशक की वेबसाइट से खरीदी जा सकती है। यह पुस्तक लेखक द्वारा पुस्तकों की दूसरी श्रृंखला है। इससे पहले 2019 में ‘सिख का इक्को वैरी, ब्राह्मणवाद’ को पंजाबी और अंग्रेजी में प्रकाशित किया गया था।