डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में लॉन्च हुई ‘गर्ल्स पॉर्लियामेंट’, सम्मान के रूप में पहनी गुलाबी पगड़ी

  • स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेट्री सुरेंद्र कुमार ने लॉन्च की गर्ल्स पार्लियामेंट
  • डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पीस क्लब और एनजीओ युवसत्ता ने संयुक्त तौर पर आयोजित किया कार्यक्रम

 
डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़   15   मई  :

सेक्टर-8 स्थित डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लाहौर) में सोमवार को ‘गर्ल्स पार्लियामेंट’ लॉन्च किया गया जिसमें 60 मेंबर पार्लियामेंट, 11 कैबिनेट मिनिस्टर्स, स्पीकर, प्रधानमंत्री और प्रेसिडेंट चुने गए। इन्होंने सम्मान के रूप में ‘गुलाबी पगड़ी’ पहनी थी। स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेट्री और अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुरेंद्र कुमार और चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन आफ चाइल्ड राइट्स (सीसीपीसीआर) की मेंबर प्रो.मोनिका एम मुंजाल ने ‘गर्ल्स पार्लियामेंट’ को लॉन्च किया। इसका आयोजन डीएवी सीनियर सेकेंडरी स्कूल (लाहौर) के पीस क्लब और शहर की एनजीओ युवसत्ता (यूथ फॉर पीस) की ओर से संयुक्त रूप से किया गया था। इस अवसर पर उपस्थित प्रमुख लोगों में स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. विभा रे और एनजीओ-युवसत्ता के संस्थापक प्रमोद शर्मा शामिल थे।

अभियान की जानकारी देते हुए स्कूल की प्रिंसिपल डॉ. विभाग ने ने कहा कि स्कूलों में ‘गर्ल्स पॉर्लियामेंट’ युवा लड़कियों को सामुदायिक निर्णय लेने में भाग लेने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करने के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण है। इस अनोखी पहल की प्रशंका करते हुए सुरेंद्र कुमार ने कहा कि  1989 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए बाल अधिकारों पर कन्वेंशन बच्चों के बुनियादी मानवाधिकारों को निर्धारित करता है, आमतौर पर जिनकी आयु 18 वर्ष से कम है। इन अधिकारों में गैर-भेदभाव, अस्तित्व और क्षमता के विकास का अधिकार, हानिकारक प्रभावों, दुर्व्यवहारों और शोषण से सुरक्षा और पारिवारिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन में पूर्ण भागीदारी शामिल हैं। और ‘गर्ल चाइल्ड फ्रेंडली सोसाइटी’ के उद्देश्य को साकार करने के लिए स्कूलों में सक्रिय ‘गर्ल्स पार्लियामेंट’ सभी स्तरों पर लड़कियों के अधिकारों और सम्मान को बढ़ावा देकर इस अंतर को कम कर सकता है।

प्रो. मोनिका एम. मुंजाल ने अपने संबोधन में भारत में एक आम कहावत साझा करते हुए कहा कि ‘यदि आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं। लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक राष्ट्र को शिक्षित करते हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का 75 प्रतिशत अवैतनिक केयर और डोमेस्टिक काम महिलाओं द्वारा किया जाता है – ऐसा काम जिसका सकल घरेलू उत्पाद में कोई हिसाब नहीं है। अर्थव्यवस्था में उनके योगदान को मान्यता देकर इसे हकीकत बनाना सही दिशा में एक और कदम होगा। इस मुद्दे पर बढ़ती जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ, लड़कियों के अधिकार महत्वपूर्ण समर्थन प्राप्त कर सकते हैं।

युवसत्ता के संस्थापक प्रमोद शर्मा ने कहा कि आने वाले दिनों में सोशल मीडिया और साइबर सुरक्षा, अच्छी शिक्षा, व्यायाम और स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, भोजन और पोषण, मासिक धर्म स्वच्छता और सैनिटरी पैड का सुरक्षित निपटान, किशोर आत्महत्या, गुड टच बैड टच, यौन शोषण के मामले में किससे शिकायत करें, बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर ‘गर्ल्स पार्लियामेंट’  की साप्ताहिक बैठकें आयोजित करने की योजना है। और इस अनोखे ‘गर्ल इंडिया प्रोजेक्ट का स्लोगन है-डिमांड एंड क्लेम योर राइट्स’। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।