बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बताए मार्ग पर चलकर ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है : डॉ दीपमाला
हिसार/पवन सैनी
राजकीय महाविद्यालय हिसार में बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती बड़े धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर राजकीय महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. दीपमाला लोहान ने मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत की। डॉ. दीपमाला लोहान ने बताया कि बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के बताए मार्ग पर चलकर ही उनको सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है । संविधान निर्माता बाबा भीम राव अंबेडकर जी ने तीन मूल मंत्र दीए संघर्ष करो, संगठित रहो, शिक्षित बनो। जिन पर चलकर के अपने जीवन को बदला जा सकता है व एक अच्छा इंसान बना जा सकता है। मीडिया प्रभारी डॉ. स्नेह लता ने बताया कि इस अवसर पर विभिन्न विभागों से प्रोफेसरस व विभिन्न विद्यार्थियों ने समारोह में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया तथा अपने सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने हमें एक मजबूत, संतुलित और अधिक समावेशी समाज को बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। वंचित वर्गों तथा युवा शक्ति के लिए वे आज भी सामाजिक समरसता तथा सामाजिक न्याय दिलाने वाले सबसे बड़े पुरोधा हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के अनुसार शिक्षा का अर्थ केवल किताबी ज्ञान लेने तक सीमित नहीं था परंतु शिक्षा मनुष्य के जीवन में प्रगति की कसौटी है उनके अनुसार कोई भी देश कल्याणकारी राज्य के रूप में तभी स्थापित होगा जब प्रत्येक विद्यार्थी को अन्न, धन, तन तथा मन से संबंधित सभी आवश्यकताओं में बराबरी का दर्जा मिल पाएगा। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि देश की ज्ञान व्यवस्था को समृद्ध करने के लिए समर्पित विद्यार्थियों की आवश्यकता होती है जो देश की प्राचीन बौद्धिक विरासत में अभिवृद्धि करके उसे अग्रसारित कर सके, देश को ज्ञान से संपन्न कर करके उसे विश्व गुरु बनाने का मार्ग प्रशस्त कर सके। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने देश की आधी आबादी महिलाओं के लिए, बच्चों के लिए, कर्मचारियों के लिए संविधान में सौम्य और सुनहरे प्रावधान किए हैं। वक्ताओं ने कहा कि मानवता के लिए विश्व स्तर पर सबसे अधिक सुधार करने वाले भारत रतन, फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ही थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने किसी जाति विशेष के लिए नहीं, किसी धर्म विशेष के लिए नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिए कल्याणकारी कार्य किए। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का विचार था कि समाज के सभी वर्गों में रोटी-बेटी का संबंध हो तथा जाति प्रथा का उन्मूलन किया जाए। उन्होंने किसान और मजदूर के लिए संविधान में बहुत अच्छे प्रावधान किए जिनको आत्मसात किया जाना आवश्यक है। इस अवसर पर डॉ सरोज बिश्नोई, डॉ. कृष्ण सिंह, डॉ प्रवीण बिश्नोई, डॉ. रमेश आर्य, डॉ. बलवान सिंह, डॉ. कुमारी सरोज, डॉ. सुरेंद्र चोपड़ा डॉ. सुरेश, डॉ. सुखबीर दुहन, डॉ. अशोक श्योराण, डॉ. पवन कुमारी, डॉ. राजपाल, डॉ. मुकेश, डॉ राजेंद्र, डॉ मनोज, डॉ अशोक कुमार तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने भाग लिया। समारोह में विभिन्न विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये।