राजबाला-मेधावी विवाद मामले में शिक्षक व कर्मचारी संगठन सामने आए

  • प्रिंसीपल व अध्यापक के बीच संबंधों के मद्देनजर जांच की जाए: टीचर्स यूनियन
  • अध्यापकों के सम्मान का मामला, दबाब में आकर जांच न करे पुलिस: यूनियन

डेमोक्रेटिक फ्रन्ट, चंडीगढ़ – 6 मार्च : 

गवर्नमेंट गर्ल्स मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल, चंडीगढ़ की प्रिंसीपल राजबाला और उसी स्कूल की शिक्षिका मेधावी के बीच चल रहे विवाद में आज एक नया मोड़ आया जब डेपुटेशन यूनियन पंजाब एवं हरियाणा, समग्र शिक्षा यूनियन चंडीगढ़, यूटी कैडर चंडीगढ़ आदि ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता में प्रिंसीपल  और शिक्षिका के गहन संबंधों को ध्यान में रखते हुए जांच की मांग उठाई। 

अध्यापक संगठनों का कहना है 2017 से 26 जनवरी, 2023 तक प्रिंसीपल और शिक्षिका के बीच परिवार जैसे संबंध रहे हैं। इस बारे में उन्होंने कुछ दस्तावेज भी पेश किए, जिनसे साबित होता है कि शिकायतकर्ता शिक्षिका को लगातार आउटस्टैंडिंग ए.सी.आर दिए गए और प्रशासन ने प्रिंसीपल को मेधावी पर कार्रवाई करने को कहा, इसके बावजूद प्रिंसीपल द्वारा उस पर कार्रवाही नहीं की गई। इतना ही नहीं, प्रिंसीपल ने उसके रिश्तेदारों को मां जैसा प्रेम दिया, संबंधित कक्षा न होते हुए भी उसे स्कूल के टूरों पर भेजा, उसे रोटरी क्लब से  सम्मान दिलवाया और कमेंडेशन अवार्ड के लिए भी उसके नाम की सिफारिश की। 

अध्यापक संगठनों ने कहा कि ऐसा  नहीं है कि प्रिंसीपल अपने कर्मचारियों की जाति के बारे में अनभिज्ञ थीं, क्योंकि सभी दस्तावेज प्रिंसीपल के पास ही होते हैं, इसके बावजूद प्रिंसीपल ने शिकायतकर्ता अध्यापिका को किसी भी सुअवसर से वंचित नहीं किया। उन्होंने कहा कि प्रिंसीपल व अध्यापक का रिश्ता सम्मानपूर्ण होता है, अगर इस मामले में न्याय नहीं मिला तो आगामी समय में विद्यालयों में माहौल बिगड़ेगा। संगठनों की दोनों पक्षों से अपील है कि वे आपस में बात करके विवाद को निबटा लें। 

अध्यापक संगठनों ने पुलिस और प्रशासन से मांग की है कि अफसरों की एक टीम गठित कर दोनों पक्षों के बीच सुलह करा दें। उन्होंने सामाजिक संस्थाओं और राजनीतिक दलों से भी अनुरोध किया है कि इस मसले को कोई अन्य रंग न दिया जाए। विवाद जारी रहने पर स्कूलों और शिक्षा का माहौल खराब होगा। बच्चों का भविष्य भी प्रभावित हो सकता है क्योंकि यह परीक्षाओं का समय है।