नहीं चला हस्पताल – जेल का लालू खेल

 

भयंकर बीमारी के नाम पर अस्पताल में रहकर ‘खेल’ करने का लालू यादव का सपना कोर्ट ने तोड़ दिया. अब खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे के मोड में आकर राजद सुप्रीमो पीएम नरेन्द्र मोदी और सीएम नीतीश कुमार पर अंधाधुंध शब्द बाण चला रहे हैं. साथ ही भविष्यवक्ता की भूमिका में आकर कहना शुरू कर दिया है, ‘2019 में बीजेपी का राज समाप्त हो जाएगा. चुनाव परिणाम के बाद बैठकर हमलोग 5 मिनट में पीएम चुन लेंगे’.

बहरहाल, अपने ताजा बयान से बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव ने एक मुद्दा क्लीयर कर दिया है कि वो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की पीएम की उम्मीदवारी को नहीं मानते हैं. रांची में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पूर्व रेल मंत्री ने कहा,‘बहुत बड़ा विपक्ष मोर्चा बन रहा है. कई दल साथ आएंगे. दलों का नाम बताना अभी ठीक नहीं होगा. सीएम नीतीश आरएसएस की गोदी में खेलते रह जाएंगे और हमलोग मोदी को हटाकर केन्द्र में सरकार बना लेंगे’.

दूसरी तरफ कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता राजद चीफ के बुधवार के बयान को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं हैं. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक नेता ने कहा कि ‘लालू यादव ने तो मैडम सोनिया को वचन दिया है कि राहुल गांधी को बतौर अगला पीएम प्रोजेक्ट किया जाएगा. मुकरने का सवाल नहीं है. वैसे लालू यादव का बयान उनके ट्रैक रिकार्ड के अनुरूप है. क्योंकि वादों से पलटना और सियार की तरह रंग बदलना राजद प्रमुख के स्वभाव में है’.

दरअसल, लालू यादव का गेमप्लान था कि गंभीर बीमारी के नाम पर पटना आवास पर जमे रहे. स्वास्थ्य जांच के लिए कभी कभार मुंबई हॉस्पिटल को विजिट करते रहे और सबसे जरूरी टास्क 2019 लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए के खिलाफ एक मजबूत गठबंधन बनाने वास्ते दिशानिर्देश भी देते रहे. इन सब कार्य के अलावा अपने परिवार में चल रहे त्रिकोणीय सत्ता संघर्ष को भी सलटाने और परमानेन्ट समाधान ढूंढने का काम करते रहे

सच्चाई को बहुत दिन तक किसी भी यंत्र व तंत्र से छिपाया नहीं जा सकता है. अब जगजाहिर हो गया है कि लालू यादव की फैमिली में सत्ता के तीन बिंदु बन गए है. तेज प्रताप यादव, तेजस्वी यादव और मीसा भारती. संभावना बनी रहती है कि लालू प्रसाद के लगातार अनुपस्थिति से माहौल कभी भी विस्फोटक हो सकता है. लालू यादव दरबार के दरबारी भी हिंट देते हैं,‘घर अंदर ही अंदर खौल रहा है’.

लालू यादव को इलाज के लिए बेल मिला था. कोर्ट ने सख्त निर्देश दिया था कि लालू यादव जबतक बेल पर हैं किसी प्रेस वाले से बात नहीं करेंगे, राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेंगे और न ही कोई राजनीतिक बयान देंगे. अगर जांच एजेंसी राबड़ी देवी की आवास के फोन और राजद चीफ के करीबी मित्रों का कॉल डिटेल निकाल ले तो लालू यादव की ‘मौन व्रत’ की सच्चाई से रूबरू हो सकती है. मुंबई अस्पताल से लेकर पटना आवास तक मिलने वालों में कई चेहरे ऐसे हैं जो केवल राजनीति पर ही विचार विमर्श करने आते रहे. और कई ‘मित्रों’ का जमघट लगा रहता था.

जनता दल यूनाइटेड के एमएलसी और प्रवक्ता नीरज कुमार का आरोप है, ‘बीमारी को भुनाकर लालू यादव अपने को राजनीतिक कार्यों में व्यस्त रखते हैं. उन्हीं के निर्देश पर राजद के प्रवक्ता बयान देते हैं’. न्यायालय ने मेडिकल रिपार्ट देखकर फैसला लिया कि बेल रिजेक्ट की जाए. वैसे चर्चा जोरों पर है कि लगता है लालू यादव की तिकड़म और गेमप्लान की भनक माननीय झारखंड उच्च न्यायालय को लग गई थी तभी बेल को स्थगित करके सरेन्डर करने को कहा गया है.

लोग अच्छी तरह जानते हैं कि जेल में रहकर ‘खेल’ करने में लालू यादव को महारत हासिल है. 1997 में पहली बार चारा घोटाले में जेल जाने के कुछ दिन बाद बीएमपी के खूबसूरत गेस्ट हाउस को प्रिजन में कन्वर्ट कराके रहते थे. वहीं दरबार भी लगता था. गेस्ट हाउस के कैम्पस में एक तालाब था जिसमें लालू यादव बंसी से फीसिंग करते थे. रात में कभी तीतर, कभी बटेर, कभी घोंघा का लजीज मांसाहारी भोजन भी पकता था.

बतौर कैदी होकर यह सब ‘जायज’ कार्य करना इसलिए संभव था क्योंकि राज्य में अपनी सरकार थी. दिल्ली में भी दोस्त ही पावर के हेड थे. बाबूलाल मरांडी और हेमंत सोरेन जब झांरखंड के सीएम थे तब भी लालू यादव को रांची बिरसा मुंडा केन्द्रीय जेल के अंदर पेट भर नारियल पानी पीने को मिलता था. सैकड़ों लोग रोज मिलते थे. लालू यादव ने स्वयं अपने कई मित्रों से कहा था, ‘ यहां तो घर से भी ज्यादा आराम है’.

पहली बार लालू यादव को झटका लगा है. राजनीति के दिग्गज काफी परेशान इस बात को लेकर हैं कि महाभारत नजदीक है और युद्ध की तैयारी कौन करवाएगा? लेकिन उनको समझना चाहिए कि समय बदल गया है. समय के अनुसार व्यक्ति को अपनी आदतों में भी बदलाव लाना चाहिए. लेकिन लगता है लालू यादव ने प्रण कर लिया है कि ‘हम सुधरेंगे नहीं’.

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