पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच गुस्सा बरक़रार
बतादें कि, गवर्नर पुरोहित ने सीएम मान से प्रिंसिपलों को सिंगापुर भेजने संबंधी क्राइटेरिया और उनके आने-जाने, विदेश में रहने और खाने-पीने पर आए खर्च की डिटेल मांगी थी। जहां इसके जवाब में ही सीएम मान ने गवर्नर को यह जवाब दिया था। लेटर के पहले सीएम मान ने गवर्नर को लेकर एक ट्वीट भी किया था। जिसमें उन्होंने यह भी कहा था कि उनकी सरकार 3 करोड़ पंजाबियों को जवाबदेह है न कि केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति को।
- अब विधान सभा सैशन को ले कर मुख्यमंत्री और राज्यपाल आमने-सामने
- राज्यपाल ने अभी तक बजट सैशन को नहीं दी मंजूरी
- पंजाब सरकार 3 मार्च को बजट सैशन बुलाने का कर चुकी फैसला, कैबिनेट की लग चुकी है मोहर
- गवर्नर की मंजूरी के बिना बजट सैशन होना असंभव
- गवर्नर ने मुख्यमंत्री की और से दिए गए जवाब पर कानूनी सलहा लेने का किया ऐलान
- दोनों मुखियों के बीच गुस्से के कारण पंजाब गंभीर संकट में जाता दिख रहा
राकेश शाह, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :
पंजाब सरकार और राज्यपाल के बीच पल रहा गुस्सा अभी भी बरकरार है। पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब विधान सभा का बजट सैशन बुलाने को न कह दी है। राज्यपाल ने कहा की वो इस बारे कोई निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री भगवंत मान के उस जवाब के बारे कानूनी सलह लेंगे जो की उनको राज्यपाल के 13 फरवरी 2023 को लिखे पत्र के में भेजा था।
राज्यपाल की और से वीरवार को मुख्यमंत्री मान को भेजे गए पत्र में कहा गया है की ” तुम्हारे तरफ से टिवीट और पत्र के जरिये भेजे गए जवाब असवैंधानिक भी है और अपमानजनक भाषा वाला भी है, इस लिए मैं इस मुद्दे पर कानूनी सलहा लेने के लिए मजबूर हूँ, कानूनी सलाह लेने के बाद ही मैं सैशन के बारे तुम्हारी विनिती पर फैसला लूंगा।”
इस पत्र के साथ भगवंत मान की और से टिवीट और पत्र के जरिये भेजे गए जवाब का मूल और इसका अंग्रेजी में अनुवाद भी दर्ज किया गया है।
जिक्रयोग है की 13 फ़रवरी को पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने पंजाब सरकार की कारगुजारी पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान को पत्र लिख कर जवाब माँगा था। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री मान को पत्र लिख कर अलग- अलग कार्यों के लिए मान का स्पष्टीकरण माँगा था। राज्यपाल ने सबसे पहले ट्रेनिंग के लिए सिंगापूर भेजे गए प्रिंसिपलों के चुनाव को लेकर सवाल किया है। उन्होंने कहा की मुझे ट्रेनिंग के लिए भेजे गए प्रिंसिपलों के चुनाव सम्बंधित शिकायतें प्राप्त हुयी है। शिकायतकर्ताओं ने इन प्रिंसिपलों को चुनने में गैर-कानूनी ढंग का जिक्र किया है। प्रिंसिपलों को चुनने में पारदर्शिता न होने का आरोप भी है। इस लिए राज्यपाल ने पंजाब सरकार को पूरी चुनाव प्रक्रिया के मापदंड और डिटेल भेजने के लिए कहा था।
इसके साथ ही राज्यपाल ने पत्र में यह भी जिक्र किया था की इस से पहले भी गंभीर मुद्दों को लेकर जवाब मांगे गए थे, जिसका न ही कोई जवाब दिया गया और न ही कोई कार्यवाही की गयी। इसके अलावा अनुसूचित जातियों के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप न बाटने को लेकर भी सवाल किया था। इसके आगे राज्यपाल ने पत्र में लिखा की जो भी साड़ी जानकारी उनके द्वारा मांगी गयी है, उसका कम से कम 15 दिन के अंदर जवाब दिया जाए, अगर निर्धारित समय के अंदर ये जानकारी नहीं दी गयी तो अगली कार्यवाही के लिए वह कानूनी सलाह लेंगे, क्यूंकि वह संविधान की रक्षा करने के लिए पाबन्द है।
बता दें की पंजाब मंत्री मंडल पहले ही 3 मार्च को बजट सैशन बुलाने का ऐलान कर चुकी है, जबकि राज्यपाल की मंजूरी के बिना बजट सैशन होना असंभव है। ये भी जिक्रयोग है की बजट सैशन सबसे पहले गवर्नर के भाषण से शुरू होता है, जिस में वो सरकार द्वारा की गयी प्राप्तियों का गुणगान करता है। पर क्या अब राज्यपाल इस गुस्से भरे माहौल में बजट सैशन की मंजूरी देंगे?, और क्या वहां जा कर विधान सभा को सम्बोधित करेंगे यह चर्चा का विषय है।