मैं सारे दिन धर्म कर्म की बात करता हूं। कोई भी कथा और प्रवचन सुनने से वंचित नहीं रहता। वहां पर चढावा भी देता हूं। सुबह शाम पूजा पाठ करता हूं।
गौ माता को पालना गौ माता की सेवा करना प्रवचन सुनता हूं। यह सब कुछ सुनते हुए देखते हुए कोई भी समारोह खाली नहीं छोड़ता। उनमें उपस्थित होता हूं। मेरे धर्म-कर्म में कोई कमी नहीं छोड़ता।
मैंने गौमाता को पाला। गौ माता का दूध पीया। उसके बाद में मैंने गौ माता के वंशज को बछड़ों और सांडों को लावारिस छोड़ दिया। मैं मालिक जिंदा हूं और वे लावारिस।
सांडों की तो बात ही छोड़ो मैंने तो गौ माता के दूध मुहे बछड़ों तक को लावारिस छोड़ दिया।

