‘मन की बात’ का 47वां संस्करण

 

मोदी ने रविवार को आकाशवाणी अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 47वें संस्करण में देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुशासन को मुख्य धारा में लाने के लिए देश सदा वाजपेयी का आभारी रहेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयी ने भारत को नई राजनीतिक संस्कृति दी और बदलाव लाने का प्रयास किया। इस बदलाव को उन्होंने व्यवस्था के ढांचे में ढालने की कोशिश की जिसके कारण भारत को बहुत लाभ हुआ हैं और आगे आने वाले दिनों में बहुत लाभ होने वाला सुनिश्चित है।

उन्होेंने कहा कि भारत हमेशा 91वें संशोधन अधिनियम 2003 के लिए अटल जी का कृतज्ञ रहेगा। इस बदलाव ने भारत की राजनीति में दो महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। पहला यह कि राज्यों में मंत्रिमंडल का आकार कुल विधानसभा सीटों के 15 प्रतिशत तक सीमित किया गया। दूसरा यह कि दल-बदल विरोधी कानून के तहत तय सीमा एक-तिहाई से बढ़ाकर दो-तिहाई कर दी गयी। इसके साथ ही दल-बदल करने वालों को अयोग्य ठहराने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश भी निर्धारित किए गए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि कई वर्षों तक भारी भरकम मंत्रिमंडल गठित करने की राजनीतिक संस्कृति ने ही बड़े-बड़े “जम्बो” मंत्रिमंडल कार्य के बंटवारे के लिए नहीं बल्कि राजनेताओं को खुश करने के लिए बनाए जाते थे। वाजपेयी ने इसे बदल दिया। इससे पैसों और संसाधनों की बचत हुई। इसके साथ ही कार्यक्षमता में भी बढ़ोतरी हुई।

मोदी ने कहा कि यह अटल जी दीर्घदृष्टा ही थे, जिन्होंने स्थिति को बदला और हमारी राजनीतिक संस्कृति में स्वस्थ परम्पराएं पनपी। अटल जी एक सच्चे देशभक्त थे। उनके कार्यकाल में ही बजट पेश करने के समय में परिवर्तन हुआ। पहले अंग्रेजों की परम्परा के अनुसार शाम को पांच बजे बजट प्रस्तुत किया जाता था क्योंकि उस समय लन्दन में संसद शुरू होने का समय होता था। वर्ष 2001 में अटल जी ने बजट पेश करने का समय शाम पांच बजे से बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया।

मोदी ने कहा कि वाजपेयी के कारण ही देशवासियों को ‘एक और आज़ादी’ मिली। उनके कार्यकाल में राष्ट्रीय ध्वज संहिता बनाई गई और 2002 में इसे अधिसूचित कर दिया गया। इस संहिता में कई ऐसे नियम बनाए गए जिससे सार्वजनिक स्थलों पर तिरंगा फहराना संभव हुआ। इसी के कारण अधिक से अधिक भारतीयों को अपना राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर मिल पाया। इस तरह से उन्होंने प्राण प्रिय तिरंगे को जनसामान्य के क़रीब कर दिया। उन्होेंने कहा कि वाजपेयी ने चुनाव प्रक्रिया और जनप्रतिनिधियों से संबंधित प्रावधानों में साहसिक कदम उठाकर बुनियादी सुधार किए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी तरह आजकल आप देख रहे हैं कि देश में एक साथ केंद्र और राज्यों के चुनाव कराने के विषय में चर्चा आगे बढ़ रही है। इस विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं। ये अच्छी बात है और लोकतंत्र के लिए एक शुभ संकेत भी। मैं जरुर कहूंगा कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए, उत्तम लोकतंत्र के लिए अच्छी परम्पराएं विकसित करना, लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास करना, चर्चाओं को खुले मन से आगे बढ़ाना, यह भी अटल जी को एक उत्तम श्रद्धांजलि होगी।

वाजपेयी के योगदान का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने गाज़ियाबाद से कीर्ति, सोनीपत से स्वाति वत्स, केरल से भाई प्रवीण, पश्चिम बंगाल से डॉक्टर स्वप्न बनर्जी और बिहार के कटिहार से अखिलेश पाण्डे के सुझावाें का जिक्र किया।

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply