सरस्वती नदी उद्गम स्थल आदि बद्री से आरंभ हुई भारतीय सभ्यता की सनातन यात्रा

त्रिवेणी संगम प्रयागराज माघ मेले में होगी शामिल

 संगम के तट पर होंगे कई आयोजन

1 माह तक चलेंगे हवन यज्ञ और भंडारे 

        यमुनानगर हरियाणा   

         सुशील पंडित


श्री सरस्वती नदी उद्गम स्थल आदिबद्री तीर्थ स्थल से मकरसंक्रांति मेला प्रयागराज के लिए मंगलवार को सनातन यात्रा शुरू हुई। इस यात्रा का नेतृत्व ब्रह्मचारी विनय स्वरूप जी महाराज के साथ-साथ पंडित राजेश्वर शास्त्री तथा अरविंद चौबे जी महाराज द्वारा किया जा रहा है। अपने आप में यह एक अनोखी की यात्रा होगी जो सरस्वती नदी के उद्गम स्थल से शुरू होकर सरस्वती के साथ गंगा और यमुना के संगम स्थान पर इसका समापन होगा। आदिबद्री क्षेत्र एक ऐसा क्षेत्र है जहां माता सरस्वती का उद्गम स्थल भी है और पास ही पहाड़ी इलाकों में से मां यमुना भी मैदानी भागों में प्रवेश कर रही है। इस प्रकार इस क्षेत्र को अलौकिक क्षेत्र माना जाता है। इस यात्रा को लेकर यात्रा में शामिल होने वाले ऋषि कुलम के छात्र व अन्य श्रद्धालु उत्साहित है। आदिबद्री उद्गम स्थल से यह यात्रा शुरू हुई तो इसका पहला पड़ाव जिले के गांव गोविंदपुरी के भगवान परशुराम समुदायिक केंद्र में पड़ा। यहां 11 स्टार मॉर्निंग क्लब द्वारा इस यात्रा का भव्य स्वागत किया गया। इस मौके पर पूरा क्षेत्र भगवान श्रीराम के जयकारों से गूंज उठा। यात्रा में शामिल करीब तीन दर्जन ऋषि कुलम के छात्रों ने विधि विधान से मंत्रोच्चारण करते हुए जनमानस के लिए सुख समृद्धि की कामना की। इस मौके पर 11 स्टार मॉर्निंग क्लब के मायाराम शर्मा, रामपाल त्यागी, राकेश त्यागी, कुकला, अरुण त्यागी, गौरव त्यागी, मनोज त्यागी, परीक्षित त्यागी, राकेश त्यागी, कुलदीप, अजय त्यागी, केशव, संदीप, नरेश बाबा, श्रवण, संजीव बक्शी तथा वीरेंद्र त्यागी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। सभी सदस्यों द्वारा यात्रा में शामिल स्वामी विनय स्वरूप ब्रह्मचारी, पंडित राजेश्वर शास्त्री तथा पंडित अरविंद चौबे जी का फूल माला डालकर स्वागत किया तथा शॉल उढाकर संतों का सम्मान किया। यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए पंडित विनय स्वरूप ब्रह्मचारी ने बताया कि यह यात्रा लगभग एक माह तक संगम के तट पर रहेगी और वहां विभिन्न प्रकार के अनुष्ठान करेंगे। वहां पर 24 घंटे संतो के लिए लंगर लगाया जाएगा तथा ऋषि कुलम के बच्चों द्वारा विभिन्न आयोजन किए जाएंगे जिनमें हवन यज्ञ आदि शामिल है। उन्होंने बताया कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भी यही है कि देश व प्रदेश में सुख शांति स्थापित रहे तथा रोगों का नाश हो। यहां पर यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं द्वारा मुख्य स्नान भी किए जाएंगे जिनमें मकर सक्रांति तथा बसंत पंचमी एवं मोनी अमावस के स्नान शामिल है। यात्रा का नेतृत्व कर रहे पंडित राजेश्वर शास्त्री तथा पंडित अरविंद चौबे ने बताया कि इस यात्रा में उनके अतिरिक्त ऋषि कुलम के छात्र व आसपास के श्रद्धालु शामिल हैं जिनकी संख्या लगभग 40 के करीब है। उन्होंने बताया कि माँ गंगा के पावन तट पर श्री आदिबद्री ऋषिकुलम विद्यापीठ के  विद्यार्थियों द्वारा हरिहरातम्क महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस महायज्ञ में रुद्रसूक्त व पुरुसूक्त के मंत्रो से आहुतियाँ डाली जाएगी। श्री आदिबद्री सरस्वती नदी के जल से गंगा माँ के पावन तट पर नित्य रुद्राभिषेक होगा जिसके प्रभाव से भारतवर्ष के जनमानस निरोग रह सकेंगे।इसके अतिरिक्त वहां अन्य कई प्रकार के आयोजन भी ऋषि कुलम के विद्यार्थियों द्वारा तथा अन्य संतों के द्वारा किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान देश और दुनिया से संत महात्मा प्रयागराज के संगम तट पर पहुंचे हुए हैं। विशेष प्रकार के नियमों का पालन करते हुए ऋषि कुलम के विद्यार्थी वहां पर मर्यादा में रहेंगे और रेत पर ही सोएंगे।