बच्चों को बिगाड़ रहा स्कूलों के बाहर सरेआम बिकता नशा अब स्कूलों के बाहर तंबाकू नहीं बिकेगा

            सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 की धारा 6 के अनुसार किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज की परिधि के भीतर नशीले पदार्थ खरीद और बेच नहीं हो सकती। वहीं 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति को सिगरेट, तंबाकू व अन्य उत्पादों को बेचना गैर-कानूनी है। जबकि चंडीगढ़ के कॉलोनी और गांवों के स्कूलों के पास तंबाकू, गुटखा, सिगरेट सरेआम बिक रहा है। सरकार के नियम सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। जमीनी धरातल पर स्कूलों के बाहर दुकानों पर ही बच्चों को नशा बेचा जा रहा है।

स्कूल के पास बीड़ी, सिगरेट बेच रहे दुकानदार नपे

अजय सिंगला, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

            चंडीगढ़ पुलिस ने नशे के खिलाफ अभियान शुरू किया है। इस अभियान में शहर के स्कूल और कालेजों के स्टूडेंट्स को भी साथ जोड़ा गया है। अभियान के तहत शहर के विभिन्न शिक्षण संस्थानों में अवेयरनेस कैंप लगाकर स्टूडेंट्स को नशे के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है। वहीं स्टूडेंट्स भी इस कैंपेन में हिस्सा लेने के लिए आगे आ रहे हैं। 

            वहीं कहा गया है कि तंबाकू फ्री एजुकेशनल इंस्टीट्यूट गाइडलाइंस रिवाइज्ड (ToFEI), 2020 को लागू किया जाए। बीते 18 दिसंबर को चाइल्ड पार्लियामेंट में उठा था मुद्दा।


            एजुकेशन सेक्रेटरी ने जारी आदेशों में कहा है कि स्कूलों के आसपास सरप्राइज चेकिंग की जाए। इसकी जानकारी चंडीगढ़ पुलिस के साथ भी सांझी की जाए ताकि पुलिस का सहयोग लिया जा सके। बता दें कि चाइल्ड पार्लियामेंट में पैनलिस्ट रहे समाजसेवी अमित शर्मा ने चंडीगढ़ के एडवाइजर, DGP, SSP और एजुकेशन सेक्रेटरी को लेटर लिख मामले में कार्रवाई मांगी थी। चंडीगढ़ अर्बन फेस्टिवल और डोन बोस्को नवजीवन सोसाइटी की ओर से यह चाइल्ड पार्लियामेंट आयोजित की गई थी।


            बता दें कि चंडीगढ़ में कुल 113 गवर्नमेंट स्कूल हैं और इनमें से 43 सीनियर सेकेंडरी स्कूल हैं। 54 हाई स्कूल और 12 मिडिल स्कूल हैं। इसके अलावा 4 प्राइमरी स्कूल हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ने भी देश में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ToFEI के दिशा-निर्देशों की सख्ती से पालना करने के आदेश दिए थे।

            लेटर में कहा गया था कि शहर भर से बच्चे सवाल कर रहे हैं कि स्कूलों के बाहर ड्रग बेची जा रही है। वहीं स्कूलों में डम्मी दाखिले किए जा रहे हैं। कुछ परिजन बच्चों के साथ होने वाली दुर्व्यवहार की घटनाओं में उनकी आवाज को दबा रहे हैं। ऐसे में स्कूलों के बाहर चैकिंग बढ़ा कर ड्रग संकट से बच्चों को बचाया जाए।

            वहीं मांग की गई थी कि पुलिस और शिक्षा विभाग के सीनियर अफसर स्कूलों में बच्चों से मिले और उनकी सुरक्षा एवं शिक्षा से जुड़े मुद्दों को समझें। इससे बच्चों में विश्वास पैदा होगा।