हरिमोहन रूंख’ की काव्य कृति ‘म्हारो काळजो’ का विमोचन और चर्चा

 करणीदानसिंह राजपूत, डेमोक्रेटिक फ्रंट, सूरतगढ़ –  20 दिसम्बर :

                        संभाग भर के साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में 18 दिसंबर को चर्चित कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हरिमोहन सारस्वत ‘रूंख’ की राजस्थानी काव्य कृति ‘म्हारो काळजो’ का विमोचन किया गया।

 राजस्थान साहित्य अकादमी के इस विमोचन कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद डॉ. मदन सैनी ने कहा कि साहित्यकार को मां के समान प्रसव पीड़ा भोगनी पड़ती है तब जाकर कहीं एक कृति का जन्म होता है। 

                        वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मंगत बादल ने कहा कि ‘म्हारो काळजो’ कृति का शीर्षक ही पाठकों के मन में पढ़ने की उत्कंठा जगाता है। 

            इस अवसर पर खास मेहमान के रूप में बोलते हुए डॉ संदेश त्यागी ने कहा कि भले ही एक पेड़ कट जाए लेकिन यदि रूंख के त्याग से कविता बचती है तो बहुत बड़ी बात है। मंच पर सपत्निक 

             उपस्थित कवि रूंख ने नूतन कृति से कुछ कविताओं का वाचन भी किया। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज स्थापना के लिए जब 34 गांव खाली कराए गए और लोगों को अन्यत्र बसाया गया। उस समय विस्थापित होने की कविता सुनाई गई तब अधिकांश आंखें नम हो गई।

            इस मौके पर मंच पर आशीर्वाद स्वरूप कवि रूंख की माताजी श्रीमती राज सारस्वत, आंचल प्रन्यास की अध्यक्ष आशा शर्मा, कवि राजूराम बिजारणियां, डॉ. गौरी शंकर प्रजापत, डॉ. प्रशांत बिस्सा व सिद्धार्थ रूंख भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि मानवीय संवेदना और थार की संस्कृति के रंग उकेरती यह कृति सूर्य प्रकाशन मंदिर द्वारा प्रकाशित की गई है। डॉ. प्रशांत बिस्सा का वक्तव्य साहित्यकारों में जोश पैदा करने वाला था।