डॉक्टर गुलाब सिंह ने लिखी देश की राष्ट्रपति के जीवन पर पुस्तक अपराजिता
सुशील पंडित, डेमोक्रेटिक फ्रंट, यमुनानगर – 20 दिसंबर :
पिछले 25 वर्षों से शिक्षण और लेखन के कार्य में व्यस्त डॉ गुलाब सिंह की लिखी हुई पुस्तक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी पसंद की थी और इन को कई पत्र लिखकर तथा व्यक्तिगत दूरभाष पर इनको हौसला अप्लाई किया था इसके अलावा डॉ सिंह की कई ऐसी पुस्तकें रही हैं जिनको देश के पूर्व राष्ट्रपति मिसाइल मैन डॉक्टर कलाम तथा भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई द्वारा भी सराहा गया और इन्हें सम्मानित भी किया गया ।
डॉक्टर सिंह लेखन और अध्यापन के अलावा अन्य सामाजिक कार्यों में भी अपनी भागीदारी निभाते हुए सरकार की महत्वपूर्ण योजना बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ तथा स्वच्छता जैसी जरूरी मुद्दों पर भी समय-समय पर अपनी कलम चलाई है अपने शब्दों में इस को जीवंत रूप देने का प्रयास किया है।
स्लम एरिया में जाकर के बच्चों को अक्षर ज्ञान देना भी इनकी दिनचर्या में शामिल है इनका मानना है कि शिक्षा ही है जो हमें हमारा अधिकार दिलाती है और शिक्षित व्यक्ति अपना हक मांगना जानता है युवा वर्ग उन्होंने आह्वान किया है कि जलजोग में भी पढ़ाई की आदत ना छोड़े और पुस्तकों से अच्छा कोई मित्र नहीं होता हमारा ज्ञान हमें भी हमसे अलग चलने में हमारी मदद करता है।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम परिवार सहित किया था सम्मानित ।
डॉ सिंह पिछले 20 सालों से लेखन कार्य से भी जुड़े हैं इस कोशिश के चलते इनकी 1 दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा इतनी ही प्रकाश अधीन है वर्तमान में कई पुस्तकों का लेखन जारी है इन के कुछ प्रमुख पुस्तकों में रामेश्वरम से रायसीना तथा करना जरूरी है जो राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम तथा वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के जीवन दर्शन पर लिखी गई है पूर्व राष्ट्रपति डॉ अब्दुल कलाम ने डॉ गुलाब सिंह को सपरिवार राष्ट्रपति भवन बुलाकर के सम्मानित किया था।
यह इनके जीवन का मकसद ।
आज कल डॉक्टर गुलाब सिंह कई संवेदनशील मुद्दों को सोते हुए पुस्तकों के सीजन में व्यस्त हैं पिछले वर्ष करुणा जैसी महामारी से निपटने के लिए रोना योद्धाओं को समर्पित हमने दिए जलाए का भी काव्यसंग्रह लिखा जिसे शिक्षा मंत्री कंवरपाल जी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने सराहा ।
सामाजिक संस्था और कई राज्यपाल मुख्यमंत्री ने भी इन्हें समय-समय पर सम्मानित किया है। डॉ सिंह के जीवन का उद्देश्य यही है चलो वहां दिया जलाएं जहां अभी अधूरा है
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आजकल सामाजिक सरोकारों में भागीदारी के साथ एक नई पुस्तक वीर वधु के लिखने में मशगूल है। देश के राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के संघर्षपूर्ण जीवन से प्रभावित होकर के डॉ सिंह ने अपराजिता नाम का यह काव्य संग्रह लिखा है जो बहुत ही अंदर से छूता हुआ दिखाई देता है इनकी हार्दिक इच्छा है कि इसे भेंट करने राष्ट्रपति भवन पहुंचकर एक संघर्षशील महिला को अपनी भावनाएं समर्पित करें।