Bhupinder ssingh hooda

सरकारी बेरुखी के चलते गन्ना किसानों को हो रहा है सैंकड़ों करोड़ का नुकसान – हुड्डा

  • बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने अबतक नहीं किया रेट बढ़ोत्तरी ऐलान – हुड्डा
  • किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर रही है सरकार – हुड्डा
  • बढ़े हुए रेट के साथ जल्द गन्ना किसानों को भुगतान करे सरकार – हुड्डा
  • विधानसभा में उठाएंगे गन्ना किसानों और आंदोलन के मुकदमों का मुद्दा – हुड्डा

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़ – 13 दिसंबर :

            पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गन्ना किसानों के प्रति सरकार की बेरुखी को निंदनीय करार दिया है। उन्होंने कहा कि गन्ना सीजन शुरू होने के बावजूद अबतक सरकार ने रेट बढ़ोत्तरी का ऐलान नहीं किया। किसान 450 रुपये प्रति क्विंटल रेट की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने इसबार रेट में एक नए पैसे की बढ़ोत्तरी नहीं की। इसके चलते किसानों को सैंकड़ों करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है।

            इतना ही नहीं किसान का गन्ना शुगर मिल में पहुंचना शुरू हो चुका है। लेकिन अबतक किसानों को भुगतान नहीं हुआ। इसको लेकर भी किसानों में खासा रोष देखने को मिल रहा है। सरकार बार-बार किसानों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर रही है। हुड्डा ने सरकार से बढ़े हुए रेट के साथ किसानों को जल्द भुगतान की मांग की है।

            भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार द्वारा भाव घोषित ना करने के कारण किसानों का अबतक 300 करोड़ से अधिक का बकाया शुगर मिलों की तरफ बकाया है। किसान भारी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं और सरकार कुंभकरणी नींद सो रही है। यह हरियाणा के इतिहास में पहली बार हुआ है कि मिल चालू हुए एक महीने से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन सरकार ने अबतक गन्ने का भाव घोषित नहीं किया। जबकि उपज का भाव उसे बेचने से पहले घोषित होना चाहिए।

            हुड्डा ने कहा कि सरकारी अनदेखी के चलते गन्ना किसान 260 से 270 रुपए प्रति क्विंटल के रेट पर गन्ना चरखी(कोल्हू) को बेचने के लिए मजबूर हो रहे हैं। जबकि चीनी बनने के बाद बचने वाला शीरा भी ₹800 और खोई 400  रुपए प्रति क्विंटल से अधिक भाव पर बिक रहे हैं। गन्ने से एथनाल भी बन रहा है जिसको सरकार ₹100 प्रति लीटर बेच रही है। लेकिन इन तमाम चीजों का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है।

            नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रदेश में पिछले कई वर्षों से गन्ने की खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। क्योंकि गन्ने में बीमारियां व कीट-पतंगों का ज्यादा प्रभाव होने से उपज पर बुरा असर पड़ रहा है। किसान की लागत में गन्ने के मूल्य से ज्यादा बढ़ोत्तरी हो रही है। प्रदेश में प्रति एकड़ गन्ने की पैदावार में 25% की कमी आई है और लागत मूल्य 30% से ज्यादा बढ़ा है। इसलिए गन्ने के भाव में बढ़ोत्तरी बेहद जरूरी है।

            हुड्डा ने कहा कि जिस तरह से अन्य फसलों का भाव बिजाई से पहले घोषित होता है, इसी प्रकार गन्ने का भाव भी गन्ना बिजाई से पहले तय हो जाना चाहिए। ताकि किसान लाभ-हानि का आकलन करके गन्ने की बिजाई करें। किसानों के साथ सरकार द्वारा बरते जा रहे अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ कांग्रेस विधानसभा में आवाज उठाएगी। गन्ना किसानों के साथ आंदोलन के दौरान किसानों पर हुए मुकदमों का मुद्दा भी आने वाले सत्र में उठाया जाएगा।