एसवाईएल पर बेनतीजा रही मनोहर – मान की बैठक, अब फिर से गेंद केंद्र के पाले में

पंजाब और हरियाणा पर नजर रखने वाले जानकारों का तर्क है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी (आआपा) के सत्ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पंजाब सरकार को घेरना चाहती है। कोशिश यह है कि आआपा भाजपा शासित हरियाणा में अपनी पैठ नहीं बना सके। जानकारों का यह भी कहना है कि हरियाणा 1966 में अपनी उपलब्धता के अनुसार पानी चाहता है, तब से पंजाब ने बहुत अधिक भूजल खो दिया है और वास्तव में पानी देने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और भाजपा आआपा को चुनौती देना चाहती है कि वह हरियाणा के साथ जल बंटवारे पर अपनी स्थिति के बारे में एक स्टैंड ले।

  • अप्रैल 1982 में सतलुज-यमुना लिंक नहर का निर्माण कार्य शुरू हुआ
  • SYL नहर का 214 किमी लंबा खंड बनाया जाना था
  • 122 किमी पंजाब में, शेष 92 किमी हरियाणा में बनाया जाना था

सारिका तिवारी, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 14 अक्तूबर :  

सतलुज – यमुना लिंक नहर के निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों भगवंत मान और मनोहर लाल के बीच हुई बैठक बेनतीजा रही है। सीएम मनोहर लाल ने इसकी जानकारी देते हुए कहा है कि मामले में फिलहाल कोई हल नहीं निकला है, जबकि सीएम भगवंत मान ने बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि हरियाणा ने SYL नहर के निर्माण की मांग की। मान ने कहा कि “हमने साफ इनकार कर दिया है कि हमारे पास पानी ही नहीं है।” उधर हरियाणा के सीएम ने कहा कि वह इसकी जानकारी केंद्रीय जल मंत्रालय को देंगे। हरियाणा ने पंजाब के अधीन आने वाले नहर के 122 किमी शेष हिस्से को बनाए जाने की मांग की है

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सिरसा में एसवाईएल के विवाद पर पंजाब और हरियाणा राज्य की संयुक्त मीटिंग को लेकर कहा कि उन्हाेंने इस विषय पर जल संसाधन मंत्रालय को पत्र लिख दिया है कि जल्द से जल्द मीटिंग करवाई जाए। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि अरविन्द केजरीवाल तो फंस गए है उनके गले में ऐसी हड्डी फंसी है जिसे वो न निगल सकते है और न ही उगल सकते है।

अरविंद केजरीवाल पंजाब की भाषा बोले या फिर दिल्ली की भाषा बोले उन्हें समझ नहीं आ रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एसवाईएल का पानी हरियाणा के हक में दिया है इसलिए अरविंद केजरीवाल न्यायपूर्वक बातें करे। उन्होंने कहा कि अगर पंजाब एसवाईएल का पानी छोड़ता है तो हरियाणा के साथ साथ दिल्ली को इस पानी का फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि आगे समय में पंजाब में स्थिति ऐसी आएगी कि पंजाब पानी ज्यादा प्रयोग करता है तो उनकी भूमि उपजाऊ नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि पंजाब हरियाणा को पानी देने की बजाए पाकिस्तान को देकर खुशी मना रहा है। उन्होंने कहा कि पंजाब हरियाणा को पानी देगा तो पाकिस्तान जाने वाला पानी वहां नहीं जाएगा और पाकिस्तान को पानी नहीं देने पर आम आदमी पार्टी को खुशी नहीं मनानी होगी।

सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य को नदियों और नालों का केवल 27 प्रतिशत ही पानी मिल रहा है, 73 फीसदी पानी की आपूर्ति जमीन से की जा रही है। ऐसे में पानी देने का सवाल ही नहीं उठता। बकौल भगवंत मान हरियाणा हमारा छोटा भाई है, इसलिए इस समस्या का हल करने के लिए वह चाहे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास चलेंगे और उनसे गंगा या यमुना से पानी की आपूर्ति की मांग करेंगे। 

मान ने यह भी कहा कि 1966 में जब हरियाणा बना तो यमुना हरियाणा में चली गई। इसमें हमें कोई हिस्सा नहीं मिला तो हम सतलुज-ब्यास का पानी क्यों दें? उन्होंने कहा कि जब बरसात में पानी डैम से ओवरफ्लो करता है तो हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्य ही पानी न छोड़ने की वकालत करते हैं। वहीं, दूसरी ओर हमारी जरूरत का पानी चाहते हैं। इस तरह की दोहरी नीति वाली बात नहीं चलेगी।

हरियाणा के गठन के बाद  मुताबिक पंजाब के हिस्से के 7.2 MAF पानी में से 3.5 MAF हरियाणा को आवंटित किए गए। 1981 में हुए पुनर्मूल्यांकन के बाद पानी का आंकलन बढ़ाकर 17.17 MAF कर दिया गया। इसमें से पंजाब को 4.22 MAF, हरियाणा को 3.5 MAF और राजस्थान को 8.6 MAF पानी आवंटित हुआ। हालांकि, ये बंटवारा कभी लागू नहीं हो सका।