विश्व हृदय दिवस : सुस्त जीवन शैली से हृदय रोगियों की तादाद बढ़ी: डा. एच.के.बाली

  • चंडीगढ़ की 40 प्रतिशत युवा आबादी उच्च रक्तचाप से पीडि़त : डा. बाली
  • 3 मंत्रों के पालन से तंदरूस्त रहेगा दिल: स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम और तनाव कम करें

डेमोक्रेटिक फ्रंट संवाददाता, चंडीगढ़  –  27 सितंबर :


            युवाओं और बच्चों में मधुमेह और उच्च रक्तचाप सहित जीवनशैली संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं, जिससे हृदय रोगों में तेजी से वृद्धि हो रही है। जीवन शैली की बीमारियों को नियंत्रित करके और तीन मंत्रों ‘स्वस्थ खाएं, नियमित व्यायाम करें और तनाव कम करें’, का पालन करके दिल से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है, यह बात जाने माने हृदय रोग माहिर डा. एच.के. बाली ने विश्व हृदय दिवस के अवसर पर कही।

            पारस अस्पताल पंचकूला के कार्डियक साइंसेज के अध्यक्ष डॉ एच के बाली ने कहा कि चंडीगढ़ में 40 वर्ष से अधिक आयु के युवा उच्च रक्तचाप से पीडि़त हैं, जबकि हाल के राष्ट्रीय सर्वेक्षण से पता चला है कि 12 प्रतिशत महिलाओं और 7.1 प्रतिशत पुरुषों (15 वर्ष से अधिक) में ब्लड शुगर का स्तर बहुत अधिक है।
डा. बाली ने कहा कि एक सुस्त जीवन शैली के कारण भारत में हृदय रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक है। चूंकि हृदय रोग अब युवा आबादी में आम होते जा रहे हैं, भारत जल्द ही कोरोनरी धमनी रोगों की विश्व राजधानी बन सकता है।

            डॉ बाली ने कहा कि दिल से संबंधित बीमारियों से बचाव के उपायों के बारे में बताते हुए कहा कि लोगों को संतुलित आहार लेना चाहिए और ट्रांस-फैट से बचना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने नौजवानों को सुचेत रहते हुए सभी को फोन का कम उपयोग, स्वस्थ आहार, काम के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक, सुबह-शाम 30 मिनट का व्यायाम तथा सबसे अहम अपने आसपास व खास दोस्तों से अपने सुख-दुख की बात को सांझा करने का सुझाव दिया।

            डॉ बाली ने कहा कि इन दिनों रोगियों के इलाज के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया जा रहा है जो दिल के रोगियों को जल्द ठीक होने और मृत्यु दर को कम करने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि कई ऐसे मामलों में जहां सर्जरी संभव नहीं है और मरीज को एनेस्थीसिया नहीं दिया जा सकता है, वहां एक सुरक्षित एंजियोप्लास्टी की जरूरत होती है व ‘कोई अन्य’ विकल्प नहीं है, ऐसे मरीजों के लिए हार्ट पंप इम्पेला उपरांत एंजियोप्लास्टी उपचार तकनीक एक जीवनदायी है। डा. बाली ने कहा कि इस उन्नत तकनीक से उपचार से गंभीर मरीजों की जल्द रिकवरी व कम प्रतिकुल प्रभाव व जीवन की बेहतर गुणवत्ता है।

            डॉ बाली ने आगे कहा कि बुजुर्ग और अन्य संक्रमण रोगियों के लिए वाल्व रिप्लेसमेंट के लिए ओपन हार्ट सर्जरी उपयुक्त नहीं है, लेकिन अब ‘ओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट की नवीनतम गैर-सर्जिकल तकनीक – टीएवीआई (ट्रांस कैथेटर ओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन) उपचार उपलब्ध है जिसमें सर्जरी से रोगी की छाती को चीरने की आवश्यकता नहीं है। नतीजतन मरीज का कम शारीरिक नुकसान होता है और मरीज को 2-3 दिनों में छुट्टी दे दी जा सकती है।