अमित शाह ने विधि आयोग को एक राष्ट्र एक चुनाव पर अपना मत पत्र द्वारा स्पष्ट किया

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने विधि आयोग को एक देश एक चुनाव से संबंधित पत्र भेजा है. सोमवार को शाह ने पत्र लिख कर समकालिक चुनाव पर भारतीय जनता पार्टी का दृष्टिकोण स्पष्ठ किया. शाह ने पत्र में लिखा, ‘हमारे देश में देखा गया है कि पूरे वर्ष, किसी न किसी महीनों किसी न किसी राज्य में चुनाव हो रहे होते हैं.’

शाह ने लिखा, ‘सामान्यतः लोकसभा के एक पांच वर्षीय कार्यकाल में, औसतन, देश में हर साल पांच से सात राज्यों में विधानसभा चुनाव होते हैं और साथ ही साथ बड़ी संख्या में स्थानीय प्राधिकरणों, जो स्थानीय स्व-शासन की महत्वपूर्ण इकाइयां हैं, के चुनाव भी उस दौरान होते हैं.’

सरकारी खजाने पर पड़ता है अतिरिक्त बोझ

बीजेपी अध्यक्ष ने पत्र में लिखा की चुनावों की इस मौजूदा प्रक्रिया के परिणामस्वरूप एक ऐसी स्थिति बन जाती है जिसमें समूचा देश राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर या स्थानीय अधिकारियों के स्तर पर, हर समय चुनावी मोड में ही रहता है. जिसके कारण सार्वजनिक खजाने को ऐसे आवधिक चुनावों के संचालन के लिए भारी बोझ उठाना पड़ता है. उन्होने कहा, ‘इस व्यय को पांच साल में एख साथ सभी चुनाव कराकर आसानी से कम किया जा सकता है.’

आचार संहिता से रुक जाते हैं विकास कार्य

शाह ने पत्र में लिखा कि चुनावों के समय कई सरकारी अधिकारियों का समय मूल कार्यों से हटकर चुनावों मे लग जाता है. साथ ही उन्होंने कहा कि चुनावों के पहले इलाके में आचार संहिता लागू हो जाती है इसके कारण विकास कार्य रुक जाता है.

शाह ने कहा कि चुनवों की तारीख लागू होने के बाद से ही तमाम राजनीतिक दल आगामी चुनावों की तैयारियों जुट जाते हैं. ऐसे में चुनावों को ध्यान में रखते हुए वह लघुकालिक और लोकलुभावन निर्णय लेने लगते हैं. जबकि निर्णय लेने का तरीका नीतिगत होना चाहिए.

आयोग और प्रतिनिधिमंडल के बीच बैठक करीब 50 मिनट चली. बैठक के बाद नकवी ने कहा कहा,

‘‘लगातार चुनाव का सिलसिला जारी रहने के चलते आचार संहिता लागू होने से विकास कार्य प्रभावित होता है. इसके साथ ही चुनाव खर्च में भी बेतहाशा तेजी आती है.’’

उन्होंने कहा कि चुनाव का लगातार सिलसिला जारी रहने से वास्तविक मुद्दे पर ध्यान नहीं होता और जनता से जुड़़े विषय प्रभावी ढंग से नहीं उठ पाते. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब से देश में एक देश, एक चुनाव का माहौल बना है, तब से चुनावी प्रक्रिया के सबसे बड़े पक्षकार मतदाताओं ने इसका स्वागत किया है.

कांग्रेस एक देश एक चुनाव के पक्ष में नहीं

कांग्रेस एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के कॉन्सेट को नकार चुकी है. पार्टी नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल और सिंघवी ने हाल ही में लॉ कमीशन से कहा कि एक साथ चुनाव भारतीय संघवाद की भावना के खिलाफ है.

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