Panchang

पंचांग, 10 सितम्बर 2022

पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 10 सितम्बर 22 :

नोटः भाद्रपद पूर्णिमा, प्रोष्ठपदी महालय श्राद्ध, पूर्णिमा तथा प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध, पितृ पक्ष (श्राद्ध) प्रारम्भ।

Mahaparv Mahalaya Shradha of pitru trupti, know why it is important Shradha  | पितृतृप्ति का महापर्व महालय श्राद्ध, जानें क्यों जरुरी है श्राद्ध - दैनिक  भास्कर हिंदी
‘महालय’ श्राद्ध पक्ष

10 सितंबर 2022 से पितृपक्ष आरंभ होने जा रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के दौरान पितरदेव स्वर्ग से अपने प्रियजनों को आशीर्वाद देने के लिए पृथ्वी लोक आते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक का पक्ष ‘महालय’ श्राद्ध पक्ष कहते है। महालया अमावस्या पर पितृपक्ष समाप्त होता है। श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण,पिंडदान और गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। पितृपक्ष के दौरान महालया अमावस्या का विशेष स्थान माना गया है,इस सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार पितृ पक्ष पर महालया अमावस्या 25 सिंतबर को है। इस दिन सभी पितरों का तर्पण,पिंडदान, श्राद्ध करते हुए पितरों की विदाई की जाती है।

भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध पितृ पक्ष से एक दिन पहले पड़ता है, यह पितृ पक्ष का भाग नहीं है। सामान्यत: पितृ पक्ष, भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध के अगले दिन से आरंभ होता है। भाद्रपद पूर्णिमा श्राद्ध, जैसे कि पितृ पक्ष श्राद्ध, पार्वण श्राद्ध होते हैं। इन श्राद्धों को सम्पन्न करने के लिए कुतुप, रोहिण आदि मुहूर्त शुभ मुहूर्त माने गए हैं। अपराह्न काल समाप्त होने तक श्राद्ध संबंधी अनुष्ठान सम्पन्न कर लेने चाहिए। श्राद्ध के अंत में तर्पण किया जाता है।

विक्रमी संवत्ः 2079, 

शक संवत्ः 1944, 

मासः भाद्रपद़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः पूर्णिमा अपराहन् 03.29 तक है, 

वारः शनिवार।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। शनिवार को देशी घी,गुड़, सरसों का तेल का दानदेकर यात्रा करें।

नक्षत्रः शतभिषा प्रातः 09.37 तक है, 

योगः धृति दोपहर 02.54 तक, 

करणः बव, 

सूर्य राशिः सिंह, चंद्र राशिः कुम्भ, 

राहु कालः प्रातः 9.00 बजे से प्रातः 10.30 तक, 

सूर्योदयः 06.08, सूर्यास्तः 06.28 बजे।