पहले आज़ाद अब G-23 ग्रुप के नेताओं का इस्तीफा भी शुरू हो गया
कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने आज खुलकर पार्टी छोड़ने पर बात की और उसमें सुधार को लेकर सुझाव भी दिए। आजाद ने कहा कि ‘बीमार’ कांग्रेस को दुआ नहीं, दवा की जरूरत है, लेकिन उसका इलाज ‘कंपाउंडर’ कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले होने के कांग्रेस के आरोप पर भी उन्होंने पलटवार किया और राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि जो संसद में भाषण देने के बाद प्रधानमंत्री से गले मिले, वह मोदी के साथ मिले या नहीं? उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस की नींव कमजोर हो गई है और वह कभी भी बिखर सकती है। आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व आंतरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है। शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा देते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा था।आजाद ने 5 पन्नों की चिट्ठी में लिखा- राहुल गांधी ने पार्टी में एंट्री के साथ ही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। खासतौर पर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद तो पार्टी में यह सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया।
- कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे के बाद पार्टी में मचा घमासान
- आजाद के समर्थन में जम्मू कश्मीर के 5 पूर्व कांग्रेस विधायकों ने पार्टी से दिया इस्तीफा
- जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल रशीद, मोहम्मद अकरम, अमीन भट, गुलजार अहमद वानी ने छोड़ा हाथ
सारिका तिवारी, राजनैतिक विश्लेषक, डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ – 29 अगस्त :
सीनियर नेता गुलाम नबी के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब G-23 ग्रुप के नेताओं का इस्तीफा भी शुरू हो गया है। तेलंगाना के कद्दावर नेता एमए खान ने भी इस्तीफा दे दिया है। खान ने भी इस्तीफा देते हुए कांग्रेस की बर्बादी के लिए राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है। खान कांग्रेस में बागी G-23 ग्रुप के सक्रिय सदस्य थे और 2008 से लेकर 2020 तक राज्यसभा सांसद रह चुके हैं।
G-23 के सदस्य और पंजाब से सांसद मनीष तिवारी ने शनिवार को कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। तिवारी ने कहा कि हाईकमान समझौता करने के मूड में नहीं था, इसलिए गुलाम नबी पार्टी छोड़ के चले गए हैं। तिवारी ने आगे कहा कि मैं किराएदार नहीं हूं, मैं इस घर को बनाने वाला हूं, इसलिए पार्टी छोड़ कर नहीं जाऊंगा।
वहीं शनिवार को आजाद के आवास पर कांग्रेस नेता आनंद शर्मा पहुंचे और दोनों के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई। शर्मा भी पिछले हफ्ते हिमाचल कांग्रेस के स्टीयरिंग कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। अटकलें लगाई जा रही है कि आनंद शर्मा भी कांग्रेस से आजाद हो सकते हैं।
कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता समेत सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। आजाद के इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर कांग्रेस में भगदड़ मच गई है। गुलाम नबी आजाद के समर्थन में पांच पूर्व कांग्रेस विधायकों ने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसमें कांग्रेस के पूर्व विधायक जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल रशीद, चौधरी मोहम्मद अकरम, मोहम्मद अमीन भट और गुलजार अहमद वानी के नाम शामिल हैं। आजाद और इतने पूर्व विधायकों के इस्तीफे को पहले से ही समस्याओं का सामना कर रही कांग्रेस पार्टी पर एक और आघात माना जा रहा है। पहले ही कई बड़े नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं जिसमें कपिल सिब्बल, अश्विनी कुमार आदि शामिल हैं।
आजाद ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से शुक्रवार को इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस नेतृत्व आंतरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है। उन्होंने राहुल गांधी पर ‘‘अपरिपक्व और बचकाने’’ व्यवहार का आरोप भी लगाया था। कठुआ के बानी विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक मलिक और दो पूर्व एमएलसी (कठुआ से सुभाष गुप्ता और डोडा से शाम लाल भगत) ने पार्टी आलाकमान को अलग-अलग अपना इस्तीफा भेजा।
आजाद के कांग्रेस छोड़ने के ऐलान के बाद अब तक जम्मू-कश्मीर में पांच नेताओं जीएम सरूरी, हाजी अब्दुल राशिद, मोहम्मद अमीन भट, गुलजार अहमद वानी और चौधरी मोहम्मद अकरम ने भी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। इनमें सरूरी को छोड़कर बाकी सब पूर्व विधायक हैं।
आजाद के करीबी सहयोगी और पूर्व मंत्री जी एम सरूरी ने कहा, “हमें मलिक, गुप्ता और भगत से (समर्थन के) पत्र मिले हैं।” एक सूत्र ने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री तारा चंद, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, मनोहल लाल शर्मा और घरू राम व पूर्व विधायक बलवान सिंह ने भी दिल्ली में आजाद से मुलाकात की और कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद मंगलवार को उनके प्रति अपनी वफादारी की घोषणा कर सकते हैं।
इसके अलावा कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई को रविवार को एक और झटका लगा जब उसके वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ताज मोहिउद्दीन ने पार्टी छोड़ दी और गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व वाले मोर्चे में शामिल हो गए। हालांकि, मोहिउद्दीन ने साफ किया कि आजाद के नेतृत्व वाला समूह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ कोई समझौता नहीं करेगा लेकिन नेशनल कांफ्रेंस या पीडीपी के साथ गठबंधन करेगा। मोहिउद्दीन ने यहां प्रेस वार्ता में बताया, “ आज, मैंने कांग्रेस अध्यक्ष और महासचिव और अन्य को पत्र लिख कर कहा कि मैं कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सहित उन सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं जो मेरे पास थे।” उन्होंने कहा कि वह आजाद के नेतृत्व वाली पार्टी में शामिल होंगे।
शुक्रवार को गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा देते हुए राहुल गांधी पर निशाना साधा था।आजाद ने 5 पन्नों की चिट्ठी में लिखा- राहुल गांधी ने पार्टी में एंट्री के साथ ही सलाह के मैकेनिज्म को तबाह कर दिया। खासतौर पर जनवरी 2013 में उनके उपाध्यक्ष बनने के बाद तो पार्टी में यह सिस्टम पूरी तरह बंद हो गया।
सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को साइड लाइन कर दिया गया और गैर-अनुभवी चापलूसों का नया ग्रुप बन गया, जो पार्टी चलाने लगा।