भारत ने खोया एक महत्वपूर्ण सांझीदार: मालदीव


  • कई दशकों से भारत और मालदीव के बीच करीबी संबंध रहे हैं

  • भारत ने हिंद महासागर में बसे इस छोटे से देश की सैन्‍य और आर्थिक तौर पर काफी मदद की है

  • अब इसे मोदी इफैक्ट कहें या चीन का बढ़ता प्रभाव, पहिले नेपाल ओर अब मालदीव भारत के बदले चीन को तरजीह दे रहे हैं


मालदीव ने भारत से अपनी जमीन पर तैनात सैन्‍य हेलिकॉप्‍टर और जवानों को वापस बुलाने को कहा है. मालदीव के राजदूत ने कहा कि दोनों देशों के बीच जून में समझौता खत्‍म हो गया. हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में तल्‍खी देखने को मिली है. चीन की मालदीव में दखल बढ़ी है और अब्‍दुल्‍ला यामीन की सरकार पूरी तरह से चीनी सरपरस्‍ती में है. यहां पर चीन ने काफी पैसा लगाया है. वह सड़कों, पुलों और हवाई अड्डे बनाने पर तेजी से काम कर रहा है. बता दें कि कई दशकों से भारत और मालदीव के बीच करीबी संबंध रहे हैं. भारत ने हिंद महासागर में बसे इस छोटे से देश की सैन्‍य और आर्थिक तौर पर काफी मदद की है.

मालदीव के भारत में राजदूत अहमद मोहम्‍मद ने रॉयटर्स से कहा कि भारत ने जो दो हेलिकॉप्‍टर दिए थे वे मेडिकल इमरजेंसी में काम आ रहे थे लेकिन अब मालदीव ने पर्याप्‍त स्रोत बना लिए हैं. ऐसे में इनकी कोई जरुरत नहीं रह गई. उन्‍होंने कहा, ‘वे पहले काफी उपयोगी थे लेकिन जरूरी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर, सुविधाओं और अन्‍य जरुरतों के चलते अब हम मेडिकल इमरजेंसी का सामना करने में सक्षम हैं.’

हेलिकॉप्‍टर के अलावा भारत ने 50 जवान भी मालदीव में तैनात कर रखे हैं. इनमें पायलट और मेंटीनेंस क्रू भी शामिल हैं और इनका वीजा पूरा हो चुका है. लेकिन भारत ने इन्‍हें वापस नहीं बुलाया है. भारतीय नौसेना के प्रवक्‍ता ने बताया, ‘हम अभी भी वहां पर हैं और हमारे दो हेलिकॉप्‍टर और जवान वहीं हैं.’ मोहम्‍मद ने बताया कि दोनों देश अभी भी हर महीने मालदीव के आर्थिक इलाके का दौरा करते हैं. मालदीव भारत से 400 किलोमीटर दूर दुनिया के सबसे व्‍यस्‍त समुद्री व्‍यापार रास्‍ते पर पड़ता है. मालदीव में पिछले कुछ महीनों में राजनीतिक उठापटक देखने को मिली है. वर्तमान राष्‍ट्रपति यामीन ने पूर्व राष्‍ट्रपति अब्‍दुल गयूम और सुप्रीम कोर्ट के जजों को कैद कर रखा है. गयूम भारत का साथ चाहते हैं जबकि यामीन चीन और पाकिस्‍तान का साथ पसंद करते हैं. जब गयूम राष्‍ट्रपति थे उस समय भारत ने मालदीव की काफी मदद की थी. 1988 में सैन्‍य तख्‍तापलट के समय भी उसने गयूम को बचाया था.

इधर, चीन ने 2011 में मालदीव में अपना दूतावास खोला था लेकिन इसके बाद से उसने अपनी पकड़ मजबूत की है. भारत ने हिंद महासागर में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए मालदीव, मॉरिशस और सेशेल्‍स को हेलिकॉप्‍टर, निगरानी नावें देने के साथ ही उपग्रहों की मदद भी दी है. लेकिन हाल के सालों में चीन ने बंदरगाह बनाने और कर्ज के जरिए इन देशों में पैठ बनाई है. मालदीव ने अपने कुछ आईलैंड को विकास के लिए चीन को दिए हैं. उसने राजधानी माले में एयरपोर्ट की मरम्‍मत का काम भारत की जीएमआर कंपनी से छीनकर चीन को दे दिया था.

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply