पंचांग 1 अगस्त 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 1 अगस्त 22 :
नोटः श्री दुर्वागणपति व्रत तथा वरद चतुर्थी है। एवं लोकमान्य स्मरणोत्सव है।
श्री दुर्वागणपति व्रत तथा वरद चतुर्थी, माना जाता है कि चतुर्थी तिथि गणपति को बहुत प्रिय है। इस दिन उनकी सच्चे मन से पूजा करने से गणपति जीवन में सारी बाधाओं का अंत करते हैं और परिवार में खुशहाली का आशीर्वाद देते हैं। चूंकि गणपति का जन्म दोपहर के समय हुआ था इसलिए उनकी पूजा के लिए भी दोपहर का समय अति शुभ माना जाता है। आज गणपति की पूजा के लिए अति शुभ समय दिन में 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। पूजा के दौरान आप गणपति को सिंदूर, अक्षत, पुष्प के अलावा लड्डू और दूर्वा जरूर अर्पित करें साथ ही पूजा में उनकी चतुर्थी की कथा जरूर पढ़ें। तभी आपकी पूजा संपन्न हो पाएगी।
लोकमान्य तिलक स्मरणोत्सव दिवस : तिलक सन् 1895 ई. में ‘शिवाजी स्मरणोत्सव आंदोलन’ के साथ जुड़ गए। उस वर्ष 23 अप्रैल के ‘केसरी’ में प्रकाशित एक लेख से जनता में इतना उत्साह जागृत हुआ कि रायगढ़ में शिवाजी की समाधि के पुनर्निर्माण के लिए थोड़े ही समय में 20,000 रू. एकत्र हो गए। इसमें से अधिकांश पैसा छोटे-छोटे चंदों से प्राप्त हुआ था।बाल गंगाधर तिलक उसी समय से शिवाजी के जन्मदिवस और राज्याभिषेक पर भी समारोह मनाए जाने लगे। जब सन् 1895 ई. के क्रिसमस के दौरान पूना में राष्ट्रीय कांग्रेस का ग्यारहवां अधिवेशन करने का निश्चय किया गया तो पूना की सभी पार्टियों ने सर्वसम्मति से तिलक को ‘स्वागत समिति’ का सचिव बनाया। इस हैसियत से ‘कांग्रेस अधिवेशन’ के आयोजन का सभी काम तिलक को करना पड़ा। उन्होंने सितंबर तक कार्य किया। जब इस विषय पर विवाद हो गया कि क्या कांग्रेस के पंडाल में सामाजिक परिषद भी होगी तो पार्टी में जबरदस्त झगड़ा हो गया जिसके कारण तिलक ने स्वयं को इस काम से अलग कर लिया। तथापि, उन्होंने कांग्रेस की गतिविधियों में दिलचस्पी लेना बन्द नहीं किया, बल्कि बाहर रहकर कांग्रेस अधिवेशन को सफल बनाने का पूरा प्रयास किया।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः श्रावण़,
पक्षः शुक्ल,
तिथिः चतुर्थी 29.14 तक है,
वारः सोमवार, नक्षत्रः
पूर्वाफाल्गुनी सांयकाल 04.06 तक है,
योगः परिघ सांय 07.03 तक।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
करणः वणिज,
सूर्य राशिः कर्क, चंद्र राशिः सिंह,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.46, सूर्यास्तः 07.08 बजे।