पंचांग, 28 जुलाई 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य कराना चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
डेमोक्रेटिक फ्रंट, आध्यात्मिक डेस्क – 28 जुलाई 22 :
नोटः श्रावण (हरियाली) अमावस, गुरू वक्री है।
श्रावण (हरियाली) अमावस : सनातन धर्म में अमावस्या का बहुत अधिक महत्व होता है। अमावस्या तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। श्रावण मास में पड़ने वाली अमावस्या का महत्व कई गुना अधिक माना जाता है। सावन माह भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन माह की अमावस्या पर भगवान शंकर की भी विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह की अमावस्या 28 जुलाई को है। हर माह में एक बार अमावस्या तिथि पड़ती है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण भी किया जाता है। अमावस्या तिथि पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या के दिन महिलाएं पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं।
श्रावण अमावस को गुरू वक्री : न्याय के देवता शनि 12 जुलाई को अपनी राशि में वक्री हो गए। वह श्रावण माह में भी वक्री रहेंगे। वहीं देव गुरु बृहस्पति 29 जुलाई से अपनी ही राशि मीन में वक्री हों जाएंगे। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि श्रावण माह में इन दोनों ग्रहों का अपनी-अपनी राशि में वक्री होना बहुत ही शुभ योग बना रहा है। ऐसा बहुत ही कम बार देखने को मिलता है जब दो बड़े ग्रह अपनी ही राशि में वक्री स्थिति में होते हैं। इस माह में कई शुभ योग बन रहे हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः श्रावण़,
पक्षः कृष्ण,
तिथिः अमावस रात्रिः 11.25 तक है,
वारः गुरूवार,
नक्षत्रः पुनर्वसु (की वृद्धि है जो कि गुरूवार को प्रातः 07.05 तक) है।
विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।
योगः वज्र सांय 05.56 तक।
सूर्य राशिः कर्क, चंद्र राशिः कर्क राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक,
करणः चतुष्पद,
सूर्योदयः 05.44, सूर्यास्तः 07.11 बजे।