द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति का पद किया ग्रहण, CJI एनवी रमण ने दिलाई शपथ

मुर्मू देश की 10वीं राष्ट्रपति होंगी जो 25 जुलाई को शपथ ले रही हैं। भारत के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने 25 जुलाई 1977 को शपथ ली थी। तब से 25 जुलाई को ज्ञानी जैल सिंह, आर. वेंकटरमण, शंकर दयाल शर्मा, के.आर. नारायणन, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद ने इसी तारीख को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।

  • देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति
  • पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति
  • सबसे कम उम्र की राष्ट्रपति
  • स्वतंत्र भारत में पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति 

डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो), नयी दिल्ली :

द्रौपदी मुर्मू देश की 15वीं राष्ट्रपति बन गई हैं। सोमवार (25 जुलाई, 2022) को उन्हें सीजेआई एनवी रमण ने राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा- मैं प्रेसिडेंट बनी, यह लोकतंत्र की महानता है। भारत में गरीब सपने देख सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है। युवाओं और महिलाओं को मैं खास विश्वास दिलाती हूं। अनेक बाधाओं के बावजूद मेरा दृढ़ संकल्प मजबूत रहा।

उन्होंने आगे बताया- भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।

“मैं जिस जगह से आती हूं, वहां प्रारंभिक शिक्षा भी सपना होता है। गरीब, पिछड़े मुझे अपना प्रतिबिंब दिखाते हैं। मैं भारत के युवाओं और महिलाओं को विश्वास दिलाती हूं कि इस पद पर काम करते हुए उनका हित मेरे लिए सर्वोपरि रहेगा। संसद में मेरी मौजूदगी भारतीयों की आशाओं और अधिकारों का प्रतीक है। मैं सभी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं। आपका भरोसा और समर्थन मुझे नई जिम्मेदारी संभालने का बल दे रहा है।”

“मैं पहली ऐसी राष्ट्रपति हूं जो आजाद भारत में जन्मी। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारतीयों से जो उम्मीदें लगाई थीं, उन्हें पूरा करने का मैं पूरा प्रयास करूंगी।

राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना मेरी निजी उपलब्धि नहीं है, यह देश के सभी गरीबों की उपलब्धि है। मेरा नॉमिनेशन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब न केवल सपने देख सकता है, बल्कि उन सपनों को पूरा भी कर सकता है।”

उन्होंने आगे बताया- भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों का हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं। आपका मत देश के करोड़ों नागरिकों के विश्वास की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, यह भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है।

उनके मुताबिक, “मेरे लिए बहुत संतोष की बात है कि जो सदियों से वंचित रहे, जो विकास के लाभ से दूर रहे, वे गरीब, दलित, पिछड़े तथा आदिवासी मुझ में अपना प्रतिबिंब देख रहे हैं। मेरे इस निर्वाचन में देश के गरीब का आशीर्वाद शामिल है, देश की करोड़ों महिलाओं और बेटियों के सपनों और सामर्थ्य की झलक है।”

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का भाषण समाप्त होने के बाद उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने उसका कुछ अंश अंग्रेजी में पढ़ा। इसके बाद राष्ट्रपति मुर्मू की स्वीकृति लेकर राष्ट्रगान के साथ शपथ ग्रहण समारोह का समापन हुआ।