Thursday, January 23

बादल ने यहां मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ”हमने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला किया है।” कृषि कानूनों और सिख कैदियों की रिहाई के मुद्दों का हवाला देते हुए बादल ने कहा कि उनकी पार्टी के ”भाजपा के साथ कई मतभेद” हैं, लेकिन शिअद ने हमेशा समाज के गरीब व कमजोर वर्ग के लिए काम किया है। उन्होंने कहा, ”यह मुद्दा एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली महिला का है और उन्हें राष्ट्रपति बनने का मौका मिल रहा है।” बादल ने कहा, ”अपने राजनीतिक मतभेदों को अलग रखते हुए, हमने सही रास्ता चुनने का फैसला किया है। शिअद का इतिहास बताता है कि उसने हमेशा गरीबों, अल्पसंख्यकों और कमजोर वर्ग के लिए लड़ाई लड़ी। लगभग तीन घंटे तक (कोर कमेटी की बैठक में) विचार करने के बाद हमने सर्वसम्मति से फैसला किया कि हम मुर्मूजी का समर्थन करेंगे।”

कोरल ‘पुरनूर’ डेमोक्रेटिक फ्रंट, चंडीगढ़ :

राष्ट्रपति चुनाव में शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए (NDA) उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की घोषणा की है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने मुर्मू के समर्थन के लिए शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल से संपर्क किया था, जिसके एक दिन बाद पार्टी ने यह फैसला किया। शिअद ने कृषि कानूनों को लेकर भाजपा से नाता तोड़ लिया था, जिन्हें वापस लिया जा चुका है। 

अकाली दल और भाजपा करीब 24 साल तक पंजाब में गठबंधन में रहे। पिछले साल केंद्र सरकार कृषि सुधार कानून लेकर आई। जिसके विरोध में पहले अकाली दल ने केंद्र में हरसिमरत बादल का मंत्री पद छोड़ा। इसके बाद सुखबीर बादल ने भाजपा से गठबंधन भी तोड़ लिया। पंजाब चुनाव के बाद उनके साथ आने की उम्मीद थी लेकिन दोनों की बुरी हार के बाद यह कवायद आगे नहीं बढ़ी।

भाजपा का साथ छोड़ने से अकाली दल को ज्यादा नुकसान हुआ है। पहले उनका केंद्र सरकार में प्रतिनिधित्व खत्म हो गया। इसके बाद पंजाब विस चुनाव में उन्हें सिर्फ 3 सीटें मिली। हालांकि भाजपा भी 2 सीटों पर ही सिमटकर रह गई। दोनों साथ होते तो करीब 9 सीटें और जीत सकते थे। संगरूर लोकसभा उपचुनाव में 5वें नंबर पर आने से अकाली दल को जलालत झेलनी पड़ी।