राज्य सभा चुनाव : सर्वोच्च न्यायालय की सुनवाई से पहले बसपा के विधायकों ने वोट डाले
आज शुक्रवार 10 जून को हो रहे राज्यसभा चुनाव में राजस्थान के 6 विधायकों के मताधिकार संकट आ सकता था। सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल पिटिशन दायर की गई है। इस मामले की जल्द सुनवाई होने वाली है। सुप्रीम कोर्ट इन 6 विधायकों के मताधिकार को रोक सकते हैं। अगर मताधिकार के प्रयोग को रोकने के बजाय इन विधायकों के मतों को मतगणना में शामिल नहीं किया जाए तो भी कांग्रेस के तीसरे प्रत्याशी की जीत मुश्किल हो जाएगी।
हरियाणा(ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट, :
राजस्थान में होने वाले राज्यसभा चुनाव का मामला अब सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है। बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर आए सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे। एडवोकेट हेमंत नाहटा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। उन्होंने मांग की है कि बसपा का कांग्रेस में विलय असंवैधानिक है। ऐसे में बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आने वाले सभी 6 विधायकों का कांग्रेस विधायक के रूप में राज्यसभा चुनाव में मताधिकार रोका जाए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने से पहले हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई थी लेकिन, राजस्थान हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करने से इंकार कर दिया।
राजस्थान में दिसंबर, 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे। बसपा के टिकट पर जोगिंदर सिंह अवाना, लाखन मीणा, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, संदीप यादव, दीपचंद खेरिया और वाजिब अली ने चुनाव जीता था। सितंबर, 2019 में ये सभी 6 विधायक बसपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए। विधायकों की ओर से विधानसभा अध्यक्ष को बसपा का विलय कांग्रेस में करने का आवेदन दिया था। कुछ दिनों बाद विधानसभा अध्यक्ष ने इसे स्वीकार कर लिया। इसके बाद से इन्हें बसपा के बजाय कांग्रेस का विधायक कहा जाने लगा। हालांकि, भाजपा विधायक मदन दिलावर की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई। दिलावर ने कहा कि बसपा का कांग्रेस में विलय गैरकानूनी है। यह प्रकरण फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
चार राज्यों की 16 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग शुरू हो चुकी है। इनमें राजस्थान की 4, हरियाणा की 2, महाराष्ट्र की 6 और कर्नाटक की 4 सीटें शामिल हैं। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे पहले वोट डाला। वहीं, महाराष्ट्र में डेढ़ घंटे में 50% मतदान हो गया है। 143 विधायक वोट डाल चुके हैं, इनमें 60 भाजपा के और 20 कांग्रेस के विधायक शामिल हैं।
राज्यसभा चुनाव वोटिंग से जुड़े अपडेट्स
- जेल में बंद नवाब मलिक को बॉम्बे हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली, राज्यसभा चुनाव में वोटिंग के लिए याचिका में संशोधन करने को कहा है। मलिक की ओर से विधान भवन जाने के लिए पुलिस एस्कॉर्ट की मांग की गई थी।
- पुणे से भाजपा विधायक मुक्ता तिलक को एम्बुलेंस में विधान भवन लाया गया।
- महाराष्ट्र में BJP को हराने के लिए ओवैसी की पार्टी AIMIM ने कांग्रेस के उम्मीदवार इमरान प्रतापगढ़ी को समर्थन देने का फैसला किया। हालांकि, इसका फायदा शिवसेना को मिलेगा जिससे AIMIM दो-दो हाथ करती आई है।
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले राजस्थान बसपा से कांग्रेस में आए 6 विधायकों ने वोट डाले। CM अशोक गहलोत के बाद इन्हीं छहों विधायकों ने वोट डाले। कांग्रेस ने रणनीति के तहत ऐसा किया है। इन विधायकों को वोटिंग से रोकने सुनवाई होती, इससे पहले ही ये वोटिंग कर चुके। पढे़ें पूरी खबर…
- केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि भाजपा का एक उम्मीदवार है जिसकी जीत तय है। सरप्लस वोट निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को दिए जाएंगे। बाकी उनको कौन समर्थन देगा, इस बारे में सुभाष चंद्रा ही जानते हैं।
- राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने शिवसेना पर हमला बोला है। मनसे ने कहा है कि शिवसेना ने ओवैसी से समर्थन लिया, इससे उनका हिंदुत्व उजागर हो गया है। वे निजाम के वंशजों से भी समर्थन लेने में नहीं हिचकिचाते हैं।
- शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया है कि महाविकास अघाड़ी के सभी उम्मीदवार जीत दर्ज करेंगे। उन्होंने कहा, हमारे पास पर्याप्त समर्थन है।
- उधर राजस्थान में विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने आमेर क्षेत्र में 12 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया है।
- पिंपरी चिंकवड के भाजपा विधायक बीमार होने के बावजूद मतदान करने निकले। भाजपा विधायक लक्ष्मण जगताप हाल ही में अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं। वे आज सुबह एंबुलेंस से मुम्बई पहुंचे।
राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों में से दो कांग्रेस और एक भाजपा के खाते में जानी तय है। चौथी सीट पर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी और निर्दलीय प्रत्याशी सुभाष चंद्रा के बीच टक्कर है। चूंकि राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत की सरकार है। गहलोत विधायकों पर मजबूत पकड़ रखने वाले नेता हैं। उनकी पहुंच केवल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों में ही नहीं बल्कि यहां तक कहा जाता है कि जरूरत पड़ने पर वह भाजपा विधायकों को भी तोड़ने का दमखम रखते हैं।
वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर सुभाष चंद्रा ने नाराज चल रहे विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। भाजपा की ओर से भी उनकी पूरी मदद की जा रही है।
CM अशोक गहलोत ने क्रॉस वोटिंग की आशंका को भांपते हुए एक-एक विधायक की नाराजगी दूर करने की कोशिश की है। इस सिलसिले में उन्होंने पिछले दिनों ताबड़तोड़ आदेश भी जारी किए।
ये है जीत का गणित: राजस्थान में एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। कांग्रेस से तीन उम्मीदवार मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी मैदान में हैं। तीनों उम्मीदवारों के लिए 123 विधायकों के वोट जरूरी हैं, जबकि सरकार के पास अभी 126 विधायकों का समर्थन है, जिसमें से 107 कांग्रेस के हैं। जब तक नाराज या निर्दलीय विधायक इधर उधर नहीं जाते, तब तक कांग्रेस की जीत तय है।
आठ निर्दलीय विधायक नाराज माने जा रहे हैं, जिनके खिसकते ही तीसरे प्रत्याशी की हार तय है।
उधर, भाजपा प्रत्याशी घनश्याम तिवाड़ी की भी जीत तय है, क्योंकि भाजपा के पास 71 विधायक हैं। 41 वोट मिलते ही तिवाड़ी जीत जाएंगे, जबकि भाजपा के 30 विधायक निर्दलीय सुभाष चंद्रा के लिए वोट करेंगे। चंद्रा को 3 RLP विधायकों का भी समर्थन हासिल है। उन्हें केवल 8 विधायकों की दरकार है। जयपुर में कैंप करके वे विधायकों का समर्थन जुटाने में लगे हैं।
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना है। यहां एक सीट पर BJP की जीत तय है, जबकि दूसरी सीट के लिए कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन और निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय शर्मा के बीच मुकाबला है।
राजस्थान की तरह ही शर्मा को BJP का समर्थन हासिल है। उन्हें जीतने के लिए 31 वोट चाहिए। उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस से नाराज चल रहे विधायक उनके पक्ष में मतदान करेंगे। कार्तिकेय शर्मा के पक्ष मे एक और बात ये है कि उनके पिता विनोद शर्मा का हरियाणा में काफी गहरा प्रभाव रह चुका है। वे कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे थे।
वहीं कांग्रेस प्रत्याशी अजय माकन तभी जीत सकते हैं, जब उन्हें कांग्रेस के कुल 31 विधायकों में से 30 का वोट मिल जाए, लेकिन कांग्रेस में जिस तरह की गुटबाजी हावी है, उससे माकन की राह आसान नजर नहीं आती।
वहीं निर्दलीय प्रत्याशी कार्तिकेय को दुष्यंत चौटाला की JJP के 10 विधायकों और BJP के बचे 10 विधायकों के वोट मिलने की पूरी संभावना है। 7 निर्दलीय और कांग्रेस के नाराज विधायकों की मदद से कार्तिकेय बाजी पलट सकते हैं।
महाराष्ट्र : एक सीट के लिए शिवसेना-भाजपा में घमासान
महाराष्ट्र में वैसे तो 6 सीटों पर चुनाव होने हैं, लेकिन कांटे की टक्कर केवल एक सीट पर देखने को मिलेगी। राज्यसभा सीट के चुनाव में एक-एक उम्मीदवार को जीतने के लिए कुल 42 वोटों की जरूरत पड़ेगी।
BJP के पास 106 विधायक हैं, जिसके बल पर पार्टी आसानी से दो सांसद जिता लेगी। वहीं शिवसेना, NCP और कांग्रेस के एक-एक सांसद जीत जाएंगे।
इसके बाद महाविकास अघाड़ी (महाराष्ट्र सरकार गठबंधन) और BJP के पास कुछ अतिरिक्त वोट बचेंगे, लेकिन ये वोट इतने ज्यादा नहीं होंगे कि राज्यसभा के छठे सदस्य का चुनाव आसानी से हो सके। गठबंधन के अतिरिक्त वोट शिवसेना के प्रत्याशी को मिलने तय हैं। शिवसेना ने कोल्हापुर जिलाध्यक्ष संजय पवार को उम्मीदवार बनाया है।
वहीं, BJP ने कोल्हापुर के धनंजय महादिक को तीसरा उम्मीदवार बनाया है। महादिक के पक्ष में 7 निर्दलीय विधायक भी होंगे। दो सीटों पर प्रत्याशियों को जिताने के बाद पार्टी के पास 29 वोट बचेंगे। महादिक के पास फिलहाल 36 वोट (7 निर्दलीय मिला कर) हैं, जबकि 6 वोट कम पड़ रहे हैं।
वहीं महाविकास आघाडी सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि उनके पास 41 वोट हैं और केवल एक वोट मैनेज करना होगा, जो बड़ी बात नहीं है।
कर्नाटक में राज्यसभा की 4 सीटों पर चुनाव होंगे। इसके लिए 6 प्रत्याशी मैदान में हैं। कांग्रेस और भाजपा ने एक-एक अतिरिक्त प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, जिससे चौथी सीट पर मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
कांग्रेस ने पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, अल्पसंख्यक नेता मंसूर अली खान को प्रत्याशी बनाया है, जबकि भाजपा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, अभिनेता जग्गेश और कर्नाटक के MLC लहर सिंह सिरोया को मैदान में उतारा है।
जनला दल (सेक्युलर) यानी जेडीएस से रियल एस्टेट कारोबारी डी कुपेंद्र रेड्डी उम्मीदवार हैं।
224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के पास 70 विधायक हैं, वहीं भाजपा के पास 121 विधायक हैं और जेडीएस के पास 32 MLA हैं।
कर्नाटक में प्रत्येक उम्मीदवार को जीतने के लिए 45 विधायकों के वोट चाहिए। ऐसे में सत्तारूढ़ भाजपा आसानी से चार में से दो सीटें जीत सकती है, जबकि कांग्रेस के हाथ एक जीत आ सकती है।
32 विधायकों के साथ जेडीएस के पास राज्यसभा सीट जीतने के लिए संख्या नहीं है। ऐसे में चौथी सीट के लिए भी कर्नाटक में दिलचस्प नतीजे आने की संभावना है।