पंचांग, 30 मई 2022
पंचांग का पठन एवं श्रवण अति शुभ माना जाता है। माना जाता है कि भगवान श्रीराम भी पंचांग का श्रवण करते थे। शास्त्र कहते हैं कि तिथि के पठन और श्रवण से मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है। तिथि का क्या महत्व है और किस तिथि में कौन से कार्य करान चाहिए या नहीं यह जानने से लाभ मिलता ह। पंचांग मुख्यतः पाँच भागों से बना है। ये पांच भाग हैं: तिथि, नक्षत्र, वार, योग और करण। यहां दैनिक पंचांग में आपको शुभ समय, राहुकाल, सूर्योदय और सूर्यास्त का समय, तिथि, करण, नक्षत्र, सूर्य और चंद्र ग्रह की स्थिति, हिंदू माह और पहलू आदि के बारे में जानकारी मिलती है।
नोटः आज भावुका एवं सोमवती अमावस तथा शनैश्चर जयंती है।
भावुका एवं सोमवती : सोमवती अमावस्या 30 मई को है। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस साल 2022 की आखिरी सोमवती अमावस्या ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाई जाएगी। इसी दिन शनिदेव जी महाराज का जन्म हुआ था। इस साल इस दिन वट सावित्री पूजा भी है। सोमवती अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग व सुकर्मा योग भी बन रहा है। ऐसा संयोग करीब 30 साल बाद बन रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष से मुक्ति के लिए कुछ उपाय करने चाहिएं।
शनैश्चर जयंती: आज 30 मई, 2022 को शनैश्चर जयंती है। साढे साती, ढैया और कमजोर विंशोत्तरी के प्रभाव को कम करने के लिए शनिदेव के सहज उपाय कारगर सिद्ध होते हैं। ज्येष्ठ माह की अमावस्या को शनैश्चर जयंती मनाई जाती है। भाग्य के देवता न्यायाधिपति शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए लोग विभिन्न उपाय करते हैं।
विक्रमी संवत्ः 2079,
शक संवत्ः 1944,
मासः ज्येष्ठ़, पक्षः कृष्ण,
तिथिः अमावस सांय 05.00 तक है,
वारः सोमवार,
नक्षत्रः कृतिका की वृद्धि है जो कि सोमवार को (7.12 तक है),
योगः सुकृत रात्रि 11.38 तक।
विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर सोमवार को दर्पण देखकर, दही,शंख, मोती, चावल, दूध का दान देकर यात्रा करें।
करणः नाग,
सूर्य राशिः वृष, चंद्र राशिः वृष,
राहु कालः प्रातः 7.30 से प्रातः 9.00 बजे तक,
सूर्योदयः 05.28, सूर्यास्तः 07.10 बजे।