भाकियू में बगावत, राकेश टिकैत ‘बर्खास्त’, नरेश टिकैत की भी छुट्टी

यह बात नवंबर 2021 की है। उस वक्त उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की तैयारियों में सभी दल लगे हुए थे। किसान आंदोलन के जरिए देश में अपनी पहचान बना चुके भारतीय किसान यूनियन के नेता नरेश टिकैत इन दिनों काफी लाइम लाइट में थे और बीजेपी विरोध में लगातार प्रचार कर रहे थे। नवंबर 2021 में ही यूपी के सिसौली में भाकियू के कार्यालय पर बीजेपी के विधायक उमेश मलिक पर हमला हुआ था। इस हमले के नामजद आरोपी भी तय किए गए। लेकिन राकेश टिकैत के भाई नरेश टिकैत इनकी गिरफ्तारी के खिलाफ अड़ गए, और कहा कि किसी भी हाल में बीजेपी विधायक पर हमले के आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। बताया जाता है कि यहीं से भाकियू के टूटने और राकेश टिकैत के खिलाफ बगावत की भूमिका तैयार हो गई थी।  

  • किसानों में उभरी नाराजगी के बाद लिया गया फैसला
  • राकेश टिकैत को राजनीतिक बयान देना पड़ा भारी
  • राजेश सिंह चौहान भारतीय किसान यूनियन के नए अध्यक्ष बनाए गए

लखनऊ (ब्यूरो) डेमोक्रेटिक फ्रंट :  

तीन कृषि कानूनो के खिलाफ एक साल से अधिक समय तक चले किसान आंदोलन की अगुवाई करने वाले भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) में रविवार को दो-फाड़ हो गये। संगठन के नेता राजेश सिंह चौहान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत और उनके भाई एवं भाकियू के अध्यक्ष नरेश टिकैत पर राजनीति से प्रेरित होने का आरोप लगाते हुए भाकियू से अपनी राह जुदा करने का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि उनके नये संगठन का नाम भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) है। चौहान ने किसान नेता महेन्द्र सिंह टिकैत की जयंती के अवसर पर यहां गन्ना संस्थान सभागार में संगठन की कार्यकारिणी की बैठक में किये गये इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि राकेश टिकैत और नरेश टिकैत राजनीति से प्रेरित थे जो यूनियन की विचारधारा के विपरीत है। किसान अपनी लड़ाई लड़ने में समर्थ हैं और उसे किसी राजनीतिक दल की जरूरत नहीं है। चौहान ने कहा, “हम किसी राजनैतिक दल से नहीं जुड़ेंगे और न ही सिद्धांतों से समझौता करेंगे। मैंने दोनो भाइयों से राजनीतिक दलों से जुड़ने का विरोध किया था। हमने कहा था हम अराजनैतिक लोग है और हमारा काम किसानों की समस्याओं के लिये लड़ना है।”

भारतीय किसान यूनियन में हुई टूट और बिखराव के मामले में राकेश टिकैत के ही परिवार में 3 अलग-अलग बयान आए हैं। जहाँ राकेश टिकैत इस पूरे घटनाक्रम का दोषी भाजपा सरकार को बता रहे हैं तो वहीं नरेश टिकैत ने इस पूरे घटनाक्रम में किसी भी राजनैतिक हस्तक्षेप होने से इंकार किया है। इससे पहले 15 मई 2022 (रविवार) को कभी राकेश टिकैत के सहयोगी रहे राजेश सिंह चौहान ने राकेश टिकैत और उनके भाई नरेश टिकैत को संगठन से अलग कर दिया था। इसी के साथ नए संगठन का नाम भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) दिया था।

अब राकेश टिकैत ने खुद से बगावत करने वाले उन सभी पदाधिकारियों को किसान विरोधी घोषित किया है। इसी के साथ उन्होंने 7 सदस्यों की लिस्ट जारी कर के उनको बर्खास्त करने की भी घोषणा की है।

इसी के साथ राकेश टिकैत ने इस पूरे मामले का दोष UP सरकार पर मढ़ दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टिकैत ने कहा, “मैंने इस बिखराव को रोकने की काफी कोशिश की जिसके लिए मैं लखनऊ तक गया। पहले तो राजेश सिंह मान गए थे लेकिन शायद बाद में अधिक दबाव से टूट गए। वो सरकार की नोटिस से डर गए थे। जो गए हैं उनके जाने से संगठन पर फर्क नहीं पड़ने वाला। ये टूट पहली बार नहीं हुई है। इस से पहले 8-10 बार अलग-अलग संगठन टूट कर हमसे अलग हो चुके हैं। जनवरी 2021 में भी कुछ लोग सरकार के आगे झुक गए थे। यह सब सरकार का किया धरा है। सरकार अपनी मंशा में कामयाब रही।”

राकेश टिकैत के बयान से ठीक उलट नरेश टिकैत ने 15 मई 2022 (रविवार) को ऑपइंडिया से बात करते हुए किसान यूनियन के विभाजन में किसी भी राजनैतिक दल की भूमिका से इंकार किया था। तब उन्होंने कहा था कि इस पूरे मामले में कोई भी राजनीति नहीं है।

चौहान ने कहा “ हम भी किसान आंदोलन में बराबर के हिस्सेदार रहे। मैंने राकेश तथा नरेश टिकैत के साथ हमेशा लड़ाई लड़ी है। अब भी सरकार नहीं सुनेगी तो हम नये सिरे से संगठन को तैयार कर किसानों की लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि भाकियू (अराजनैतिक) की कार्यकारिणी का चेयरमैन और संरक्षक राजेश सिंह मलिक को बनाया गया है जबकि वह खुद इसके अध्यक्ष होंगे। इसके अलावा मांगेराम त्यागी उपाध्यक्ष, अनिल तालान राष्ट्रीय महासचिव और धर्मेंन्द्र मलिक संगठन के प्रवक्ता होंगे। चौहान ने कहा कि संगठन की उत्तर प्रदेश इकाई का भी गठन कर हरिनाम सिंह वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।