पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने आहार क्रांति की शुरुआत मंगलवार को यु टी गेस्ट हाउस में की
- सम्पूर्ण सवास्थ्य के लिये आहार क्रांति ही एकमात्र विकल्प
- श्री गुरु नानक देव जी भी कोदरे की ही खेती करते थे व गुरु जी ने माई भागो के घर भी कोदरे की ही रोटियां खाई थी – डॉ वरिंदरमहात्मा गांधी आधुनिक भारत के पहले आहार गुरु थे – बनवारीलाल पुरोहित
चंड़ीगढ़ 29मार्च
रोटी कपड़ा और मकान मनुष्य की आधरभूत आवश्यकता है। लेकिन इनमें भी सबसे महत्वपूर्ण आहार है क्योंकि आहार ही दवा है आहार ही मनुष्य को स्वस्थ रख सकता है। कहा जाता है जैसा अन्न वैसा मन अर्थात हम जो खाते हैं हम वैसा ही बन जाते हैं , कहा बनवारी लाल पुरोहित ने । पिछले 20 25 वर्षों में मनुष्य का लाइफस्टाइल बिल्कुल बदल गया है शारीरिक परिश्रम ना के बराबर हो गया है मशीनीकरण व कंप्यूटरीकरण ने इंसान को पूरा दिन टेबल कुर्सी पर बैठा दिया है भागदौड़ करना अब उसके दिनचर्या में शामिल नहीं है, इसीलिए हम सब नॉन कम्युनिकेबल डिसीज का शिकार ही रहे है , वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक 2030 तक भारत में डायबिटीज की वजह से दवाओं व डायबिटीज की मैनेजमेंट की वजह से 6 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होगा, क्योंकि भारत में लगभग 70% भारत के लोग हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज मोटापा ,एलर्जी और थायराइड और हार्मोन इम बैलेंस का शिकार हो रहे हैं और जिसका कोई स्थाई समाधान चिकित्सा जगत के पास नहीं उपलब्ध हो पा रहा यदि हम गौर करें तो हरी क्रांति आने से पहले सभी भारतीय मोटा अनाज खाते थे मोटे अनाज में 5 मिलेट्स का उपयोग होता था, कोडो , फ़ॉक्सटेल, लिटल, ब्राउन टॉप,पर्ल मिलेट्स , जिन्हें हम समय के साथ बिल्कुल भूल गए। लेकिन यही मिलेट्स आज मनुष्य को रोगों से मुक्ति दिलाएंगे।उपरोक्त जानकारी दी *पी जी आई के प्रेजिडेंट (यूनियन हेल्थ मिनिस्टर) के ओ एस डी डॉ वरिंदर* ने । डॉ वरिंदर जो निवेदिता एन जी ओ के फाउंडर भी हैं। उन्होंने कहा की आज के दौर में जो अनाज खा रहे हैं ,जो फल और सब्जियां हमें मिल रही हैं व जो दूध पी रहे हैं यह सब ही बीमारियों का मूल कारक है दरअसल इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत ज्यादा है इसलिए यह शरीर में जाते ही शरीर में एकदम से शर्करा रिलीज कर देता है व हम सब अपच, हाई बी पी , डायबिटीज का शिकार हो जाते हैं व फिर ताउम्र दवाओं का चक्र शुरू हो जाता है।
आहार की मात्रा के बारे में गांधीजी ने हमेशा एक न्यूनतम दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित किया उन्होंने कहा कि भोजन ऊर्जा है और दवा भी जो हमारे शरीर को स्वस्थ और कार्य करने हेतु तंदुरुस्त रखने के लिए आवश्यक है इसलिए व्यक्ति को न्यूनतम मात्रा में केवल वही लेना चाहिए जो आवश्यक है अपनी जिह्वा को खुश करने के लिए खाने से बचना चाहिए कम खाएं और अच्छी तरह से चबाकर खाए, कहा बनवारीलाल पुरोहित ने
निवेदिता की टीम में शामिल रही डॉ लिपिका गुलियानी ,डॉ नवनीत कौर, अंजू बाला, प्रेसिडेंट मीनाक्षी अग्निहोत्री, डॉक्टर बबीता पठानिया , शिवानी सिंह। निवेदिता आहार क्रांति की शुरुआत के बाद से चंडीगढ़ व पंजाब में जागरूकता कार्यक्रमों के अभियान की शुरुआत कर रहा है चाहे वह कारपोरेट जगत हो , रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन हो या फिर स्कूल व कॉलेजे , निवेदिता आम जनता के घर तक पहुंचकर आहार क्रांति का प्रचार प्रसार करेगा ।
निवेदिता खाना बनाने के लिए पारंपरिक बर्तन जैसे कि ,कॉपर, लौह , पीतल व मिट्टी के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। निवेदिता धीमी आंच पर ही खाना बनाने की सलाह देते है ताकि खाने के न्यूट्रिशन बचे रहे।
इस विकराल समस्या का निवारण हरित क्रांति से पहले के समय में हो रहे इस्तेमाल मोटे अनाज के सेवन पर वापिस लौटना ही है और यही आहार क्रांति है , शुद्ध , ऑर्गेनिक, मोटा अनाज (मिलेट्स) , ए2 गाय का दूध, किचन गार्डन में बिना पेस्टीसाइड की सब्जियां व फल ही इंसान को लंबे समय तक निरोग रख सकते हैं।
निवेदिता फाउंडेशन के एकमात्र उद्देश्य मनुष्य को संपूर्ण स्वास्थ्य की ओर ले जाना है और आहार क्रांति जिसमें , मिलेट्स यानी मोटा अनाज, किचन गार्डन में उगे शुद्ध ऑर्गेनिक सब्जियां व फल, धीमी आंच पर कुकिंग, ए 2 गाय का दूध, सुपर फ़ूड व आयुर्वेद का प्रचलन ,प्रसार व व्यवहार है ।