चंडीगढ़ के हक पर सभी राजनीतिक दल केंद्र के खिलाफ

18 सितंबर 1966 को पंजाब पुनर्गठन ऐक्ट पास हुआ था। जानकारों के मुताबिक इस ऐक्ट में प्रावधान है कि चंडीगढ़ में 60 फीसदी कर्मचारी पंजाब से और बाकी 40 फीसदी हरियाणा से होंगे। हरियाणा के नेता चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकते हैं और कहते हैं कि यह अंबाला का हिस्सा था और अंबाला हरियाणा में है। वहीं पंजाब इसे अपना अभिन्न हिस्सा बताता है। हिमाचल प्रदेश भी चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोकता है। अब से चंडीगढ़ पोरी तरह से केंद्र शासित बनेगा जो विपक्षी दलों खास आर आआपा के नेताओं को मंजूर नहीं हुआ, उनही की देखा देखी ही विरुद्ध हुए क्षेत्रीय विपक्षी दल।

सारिका तिवारी, डेमोरेटिक फ्रंट चंडीगढ़, 28 मार्च:

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कर्मचारियों पर केंद्रीय सेवा नियमावली लागू किये जाने संबंधी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की घोषणा की कड़ी आलोचना करते हुए सोमवार को दावा किया कि यह (फैसला) पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावनाओं के विरुद्ध होगा।

मान ने ट्वीट करके कहा, ‘‘केंद्र सरकार चंडीगढ़ प्रशासन में अन्य राज्यों एवं सेवाओं के अधिकारियों और कर्मियों को चरणबद्ध तरीके से ला रही है। यह पंजाब पुनर्गठन अधिनियम की भावनाओं के खिलाफ है। चंडीगढ़ पर अपने अधिकारपूर्ण दावे के लिए पंजाब संघर्ष करेगा।’’

नए रूल्स से कर्मचारियों को फायदा

  • रिटायरमेंट : ग्रुप ए और बी का रिटायरमेंट 60 साल में होगा। पंजाब सर्विस रूल्स के मुताबिक 58 साल में रिटायरमेंट होता है। अब इन कर्मचारियों को 2 साल और मिलेंगे। इसी तरह क्लास फोर में रिटायरमेंट की उम्र 60 से बढ़कर 62 हो जाएगी।
  • चाइल्ड केयर लीव : चंडीगढ़ के कर्मचारियों को अब 2 साल की चाइल्ड केयर लीव मिलेगी। पंजाब रूल्स के हिसाब से सिर्फ एक साल की लीव मिलती थी।
  • टीचर्स को भी फायदा : चंडीगढ़ में टीचर्स की रिटायरमेंट एज बढ़ जाएगी। नॉर्मल कॉलेजों में रिटायरमेंट 58 की जगह 65 साल में होगा। वहीं टेक्निकल कॉलेजों में टीचर 60 के बजाय 65 साल में रिटायर होंगे।
  • सैलरी : कर्मचारियों की सैलरी में 800 से 2400 रुपए की बढ़ोत्तरी होगी। वहीं अब 7वां वेतनमान लागू होने से भी उनकी सैलरी 10 से 15% बढ़ जाएगी। चंडीगढ़ में अभी 6वां वेतनमान लागू है।

पंजाब पर निर्भरता खत्म : पहले हर आदेश के लिए चंडीगढ़ के कर्मचारियों को पंजाब सरकार पर निर्भर रहना पड़ता था। केंद्र से भत्ते या दूसरे बैनिफिट के लिए आदेश होते तो पहले पंजाब नोटिफिकेशन जारी करता था। इसके बाद चंडीगढ़ में यह लागू होती। अब केंद्र जो नोटिफिकेशन करेगा, कर्मचारियों के लिए वह सीधे लागू हो जाएंगे।

हालांकि उनकी इस घोषणा पर भाजपा के कुछ विरोधी दलों ने त्वरित प्रतिक्रिया जतायी है। कुछ नेताओं ने इसे ‘‘पंजाब के अधिकारों पर एक और बड़ा कुठाराघात’’ करार दिया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) नियमावली में बदलाव किये थे।

राजनीतिक दलों ने जताया ऐतराज

वित्तमंत्री हरपाल चीमा बोले- कानूनी लड़ाई से भी पीछे नहीं हटेंगे : पंजाब सरकार की तरफ से सामने आए वित्तमंत्री हरपाल चीमा ने कहा कि केंद्र सरकार का फैसला तानाशाही वाला है। केंद्र लगातार पंजाब विरोधी फैसले ले रही है। इससे पहले पंजाब यूनिवर्सिटी और भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) में भी ऐसा ही कुछ किया गया। उन्होंने कहा कि इस बारे में न तो कर्मचारियों को पूछा गया और न ही पंजाब सरकार को। अगर जरूरत पड़ी तो पंजाब सरकार कानूनी लड़ाई से भी पीछे नहीं हटेगी। चीमा ने यह भी दावा किया कि अगर 7वां पे कमीशन लागू करेंगे तो कर्मचारियों का वेतन कम हो जाएगा। पंजाब में हमने कोशिश की तो उसका कर्मचारियों ने विरोध कर दिया।

खैहरा बोले- UP, बिहार के कर्मचारी आएंगे, राज्यसभा सांसद विरोध करें : कांग्रेस नेता सुखपाल खैहरा ने कहा कि केंद्र के इस फैसले से अब पंजाब के बजाय उत्तर प्रदेश और बिहार के कर्मचारी चंडीगढ़ में आएंगे। उन्होंने राज्यसभा के नए चुने सांसदों को कहा कि वह केंद्र के इस तानाशाही फैसले का विरोध करें।

चंडीगढ़ पर खत्म हो रहे पंजाब के हक : पूर्व कांग्रेस डिप्टी सीएम MLA सुखजिंदर रंधावा ने कहा कि पहले BBMB में पंजाब को पीछे किया। अब पंजाब का चंडीगढ़ पर हक खत्म करने की कोशिश की जा रही है। चंडीगढ़ पर पंजाब का कंट्रोल खत्म कर दिया गया है।

चीमा ने कहा- पंजाब पुनर्गठन एक्ट का उल्लंघन : अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत चीमा ने कहा कि चंडीगढ़ में 60% पंजाब और 40% हरियाणा के कर्मचारी तैनात होते थे। कर्मचारियों पर पंजाब सिविल सर्विस रूल्स लागू होते थे। उन्होंने कहा कि पंजाब से चर्चा किए बिना ही इस तरह का तानाशाही पूर्ण फैसला ले लिया गया। उन्होंने इसे पंजाब पुनर्गठन एक्ट 1978 का उल्लंघन करार दिया।

सिसोदिया बोले- AAP से डर रही भाजपा : आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि 2017 से 2022 तक पंजाब में कांग्रेस का राज रहा। गृह मंत्री अमित शाह ने तब चंडीगढ़ के अधिकार नहीं लिए। जैसे ही पंजाब में AAP की सरकार आई तो चंडीगढ़ के कर्मचारियों को केंद्रीय नियमों के अधीन कर लिया गया। उन्होंने कहा कि आप को बढ़ते देख भाजपा डर रही है।