थोड़ी भी नैतिकता बची है तो इस्‍तीफा दे दें मुकेश सहनी, भाजपा

विधानसभा अध्यक्ष को समर्थन पत्र सौंपने तथा वहां चली लंबी बैठक के बाद तीनों विधायक, पार्टी के शीर्ष नेताओं संग भाजपा प्रदेश कार्यालय पहुंचे। उन्होंने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल और दोनों उप मुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी के समक्ष पार्टी की सदस्यता भी ग्रहण कर ली। मालूम हो कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए में शामिल वीआईपी के चार उम्मीदवार विजयी हुए थे। इनमें अलीनगर से मिश्रीलाल यादव, गौराबौराम से स्वर्णा सिंह, साहेबगंज से राजू सिंह और बोचहां से मुसाफिर पासवान जीते थे। मुसाफिर पासवान की मृत्यु के बाद बोचहां में 12 अप्रैल को उपचुनाव है। हर‍िभूषण ठाकुर बचौल ने मीडिया से बात करते हुए कहा अब तो बोचहां की जनता तय करेगी कि किसके साथ क्‍या करना है। लेकिन सबने देखा कि किसने किसे धोखा दिया। जिसने बनाया उसके खिलाफ ही लड़ रहे हैं तो फिर इस्‍तीफा क्‍यों नहीं दे देते। हालांकि‍ उनकी नै‍तिकता इसी को सही मानती है तो वे जानें। ले‍किन बोचहां में भाजपा प्रत्‍याशी की जीत तय है।

पटना(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

अब VIP (विकासशील इंसान पार्टी) सुप्रीमो मुकेश सहनी का क्या होगा? राजनीतिक कार्यकर्ता बिहार की राजनीति में ऊपजे इस सवाल पर सबसे अधिक चर्चा कर रहे हैं। सहनी का MLC का कार्यकाल 21 जुलाई 2022 को खत्म हो रहा है। विनोद नारायण झा, बेनीपट्टी से विधानसभा चुनाव जीते थे और उसके बाद उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता छोड़ दी थी। इसी सीट पर मुकेश सहनी को BJP ने MLC बनाया था, जबकि वह 6 साल यानी पूरे टर्म वाली सीट चाहते थे, लेकिन भाजपा ने ‘छोटे कूपन वाली सीट’ देना ही मुनासिब समझा।

विधायक हरिभूषण ठाकुर ने कहा कि ”मुकेश सहनी के अंदर अगर थोड़ी बहुत भी नैतिकता बची हो तो उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। उत्तर प्रदेश में वह बीजेपी को हराने गए थे, उनका हश्र क्या हुआ यह सबको पता चल गया। मुकेश सहनी का कोई जनाधार नहीं है। उपचुनाव में उनके बूथ पर जदयू चुनाव हार गई थी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में अब वह प्रसांगिक नहीं रह गए हैं. उनका चैप्टर क्लोज हो चुका है।”

भाजपा ने अपने कोटे में आई 121 सीट में से 11 सीट VIP को दी थी। यह भाजपा का अतिपिछड़ा कार्ड था। 11 में से चार सीट पर VIP को जीत भी मिली। इसी के साथ सहनी की ताकत राजनीति में बढ़ गई। उनको वह विभाग दिया गया जिस मछुआरे की लड़ाई वे लड़ते रहे और आरक्षण की मांग करते रहे। पहली बार मंत्री बने। अब बदलती राजनीति में 21 जुलाई के बाद सहनी का मंत्री बना रहना भी मुश्किल हो सकता है। भाजपा उन्हें हटाकर अतिपिछड़ा वोट बैंक को आहत नहीं करना चाहती। सहनी इससे पहले क्या कदम उठाते हैं यह उनके राजनीतिक विवेक पर निर्भर करेगा। वे 21 जुलाई के पहले मंत्री पद छोड़ देंगे या फिर टर्म खत्म होने का इंतजार कर सकते हैं। दोनों का अलग-अलग मैसेज जाएगा।

सहनी की अभी की राजनीति की खासियत यह है कि वे BJP का विरोध करते हैं, पर नीतीश कुमार या JDU के खिलाफ कुछ नहीं बोलते। यहां यह समझ लेना चाहिए कि नीतीश अतिपिछड़ा राजनीति को ताकत देने वाले नेता हैं और यह उनका बड़ा वोट बैंक है। कई जातियों को उन्होंने पिछड़ा से अतिपिछड़ा में शामिल करवाया, लेकिन सहनी के लिए नीतीश कुमार खुलकर सामने आएंगे, ऐसा नहीं लगता। ऐसे ही भाजपा और JDU के बीच तनातनी दिखती रही।

अंदर की बात यह है कि सहनी की पार्टी के विधायक भाजपा में जाने के लिए बेचैन हैं। भाजपा ने उनको ढील तो दी, पर रस्सी अपने हाथ में रखी। सहनी के विधायक भाजपा के ही लोग हैं। इसलिए सहनी या नीतीश कुमार चाहें भी कि VIP के विधायक, JDU में चले जाएं तो यह मुश्किल है।

सीसहनी ने उत्तर प्रदेश चुनाव में यहां तक कह दिया था, ‘हमको वोट देना हो तो दें नहीं तो भाजपा को हराने वाले को वोट दें’। उन्होंने भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार भी दिया था। UP में उम्मीदवार JDU ने भी दिया था, लेकिन वहां प्रचार करने न तो नीतीश कुमार गए और न ही JDU की तरफ से भाजपा को आहत करने वाला बड़ा बयान किसी ने दिया। इसलिए बोचहां सीट पर बेबी कुमारी को उतारकर भाजपा जैसे पश्चाताप कर रही है।

बेबी का हक मारकर ही भाजपा ने VIP को यहां से टिकट दिया था और मुसाफिर पासवान की जीत हुई थी। अब भाजपा को 21 जुलाई का इंतजार है और इसका भी इंतजार है जब सहनी का मंत्री पद भी जाएगा। भाजपा के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल तो यहां तक कहते हैं, ‘नैतिकता के आधार पर मुकेश सहनी को इस्तीफा दे देना चाहिए।’

VIP के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव मिश्रा कहते हैं, ‘मुकेश सहनी की असली लड़ाई मछुआरा समाज को आरक्षण दिलाना है। वे राजनीति में सिर्फ मंत्री बनने या विधायक बनने नहीं आए हैं। NDA के अंदर छोटा भाई कह रहा अपने बड़े भाई से कि ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए, लेकिन बड़ा भाई एकतरफा फैसले ले रहा है। भाजपा को छोटे भाई की भावना का सम्मान करना चाहिए।’