हरियाणा सरकार प्रदेश में विश्वविद्यालयों  की स्वतंत्रता पर एक षड्यंत्र के तहत अंकुश लगा कर  विधार्थियों  के हितों पर  कुठाराघात कर रही है : चन्द्र मोहन

पंचकूला  18  दिसंबर:

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री चन्द्र मोहन ने आरोप लगाया कि हरियाणा सरकार प्रदेश में विश्वविद्यालयों  की स्वतंत्रता पर एक षड्यंत्र के तहत अंकुश लगा कर  विधार्थियों  के हितों पर  कुठाराघात कर रही है ताकि शिक्षा के ढांचे को बर्बाद करके इन्हें निजी हाथों में सौंप कर विधार्थियों के भविष्य को तबाह किया जा सके।

                    उन्होंने कहा कि इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि जहां पर भाजपा द्वारा नियुक्त  उड़िसा के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान जहां मुक्त रूप से विश्वविद्यालयों की स्वायतत्ता की वकालत करने के साथ साथ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को और अधिक अधिकार देने की बात कर रहे हैं ,वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर विश्वविद्यालयों पर कब्जा करके भाजपा की विचारधारा को थोपना चाहते हैं। आज का युवा जागृत हो चुका उनके भविष्य से खिलवाड़ करने की अनुमति
 किसी भी सूरत में नहीं दी जा सकती है ।

           चन्द्र मोहन ने कहा कि कैसी विडम्बना है कि देश में प्राचीन समय में नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालय  ख्याति अर्जित किए हुए थे क्योंकि उनमें राजनीति का कोई दखल नहीं था वह अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप नीतियों को लागू करते थे ताकि सार्थक परिणाम सामने आ सकें। लेकिन आज अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए इसके विपरित हो रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि इस विवादास्पद कानून को हरियाणा में लागू ना करें ताकि विद्यार्थियों के भविष्य से की जाने वाली  खिलवाड़ से बचाया जा सके।

         चन्द्र मोहन ने कहा कि सरकार जिस प्रकार से नया कानून बना कर विश्वविद्यालयों में कर्मचारियों की भर्तियों का कार्य हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को सौंपना चाहती है ! उससे सरकार की पारदर्शिता पर प्रश्न चिह्न लग जायेगा क्योंकि पहले से ही हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है। उन्होंने हरियाणा के राज्यपाल श्री बंगारु दत्तात्रेय से भी आग्रह किया है कि वह लोकतंत्र की मर्यादा और विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता के हनन के विरोध में लागू किये जाने वाले कानून को अपनी स्वीकृति न देकर उड़िसा के राज्यपाल का अनुशरण करें ताकि इसके पद की गरिमा को बनाए रखा जा सके।