स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य रहे चौ. रणबीर सिंह हुड्डा की जयंती पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
26 नवंबर, चंडीगढ़ : आज महान स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के सदस्य रहे स्वर्गीय चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा जी की 107वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर हर बार की तरह गांव खेड़ी साध स्थित उनके समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि सभा हुई। समस्त हुड्डा परिवार, कई विधायक, पूर्व विधायक, वरिष्ठ नेता, गांधीवादी विचारक, समाजसेवी और आम लोग रणबीर हुड्डा जी को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे।
इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बताया कि उनके पूज्य पिताजी चौ. रणबीर सिंह जी का जन्म 26 नवम्बर 1914 को हुआ था और यह सुखद संयोग है कि आज ही के दिन संविधान दिवस भी मनाया जाता है। उन्हें गर्व है कि उनके पिताजी स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत की 8 विभिन्न जेलों में कैद रहे जिनमें से 4 आज भारत में हैं और 4 पाकिस्तान में हैं। आखिरकार तमाम स्वतंत्रता सेनानियों का संघर्ष और उनकी कुर्बानियां रंग लाईं। देश की आजादी के बाद उनके पिताजी संविधान निर्मात्री सभा के सबसे युवा सदस्य बने। यह प्रदेश के लिए भी गौरव की बात है कि वह हरियाणा क्षेत्र (पंजाब प्रांत) से संविधान सभा के इकलौते सदस्य थे।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आजादी से पहले किसानों के लिए MSP की कोई व्यवस्था नहीं थी। सबसे पहले 1948 में संविधान सभा के भीतर चौ. रणबीर सिंह जी ने ही MSP का प्रस्ताव रखा। उसके बाद धीरे-धीरे देश में MSP की व्यवस्था शुरू हुई। इतना ही नहीं, गांव देहात में एलोपैथ डॉक्टर्स की तर्ज पर लोगों का इलाज करने वाले वैद्य को रजिस्टर किए जाने और सर्टिफाइड वैद्यों को ही इलाज की इजाजत देने की बात भी चौ. रणबीर सिंह हुड्डा ने 10 मार्च 1948 को संविधान सभा में रखी। देहातियों की समस्याओं को करीब से जानने, समझने और उसे सर्वोच्च संस्थाओं में उठाने के लिए आज भी गांव देहात में उनकी प्रशंसा होती है।
हरियाणा और पंजाब की सरकारों में मंत्री पद पर रहते हुए देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। भाखड़ा नांगल बांध परियोजना के रूप में चौ. रणबीर सिंह ने भारत के पहले विस्मयकारी बांध के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे किसानों को बारहमासी जल की सप्लाई उपलब्ध हो सकी। उनका मानना था कि देश और देश का संविधान बिना गांव, गरीब और किसान के अधूरा है। यही कारण है कि इस बड़ी परियोजना के तत्काल अनुमोदन एवं त्वरित क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप भाखड़ा नहर प्रणाली का कार्य शीघ्र पूरा हुआ और इसे 22 अक्टूबर 1963 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया। इस बाँध के बनने से विभिन्न राज्यों को मुख्य रूप से सिंचाई, विद्युत उत्पादन और बाढ़ नियंत्रण की सुविधांए प्राप्त हुई।
चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा सामाजिक समानता के प्रखर पक्षधर थे। 6 नवंबर, 1948 को भारतीय विधान परिषद् की बैठक में उन्होंने कहा था कि हम वर्गविहीन समाज बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी को समान अधिकार हासिल हों। रणबीर सिंह हुड्डा लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक 7 अलग-अलग सदनों के सदस्य रहे। इनमें संविधान सभा व संविधान परिषद (1947 से 1950), अस्थाई लोकसभा (1950 से 1952), पहली लोकसभा (1952 से 1957), दूसरी लोकसभा (1957 से 1962), संयुक्त पंजाब विधानसभा (1962 से 1966), हरियाणा विधानसभा (1966 से 1967 व 1968 से 1972) और राज्यसभा (1972 से 1978) शामिल हैं। उनका यह अद्भुत रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में सम्मान के साथ दर्ज है।
श्रद्धांजलि सभा के बाद राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि आज लोगों ने चौधरी रणबीर सिंह हुड्डा को श्रद्धांजलि देते हुए सरदार भगत सिंह से लेकर महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस से लेकर जवाहरलाल नेहरू समेत आजादी के तमाम मतवालों को याद किया। राज्यसभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि गांधीवादी विचारधारा के प्रखर अनुयायी चौ. रणबीर सिंह जी का देश और समाज के प्रति समर्पण आजादी के बाद भी बना रहा। चौ. रणबीर सिंह जी ने आजीवन किसान और मजदूर वर्ग का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने देश के विकास और आधुनिक हरियाणा के निर्माण के लिए काम किया। इस दौरान गांधीवादी सोच और मूल्यों को आगे बढ़ाने वाले समाजसेवकों और समाजसेवी संस्थाओं को सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय युवा शक्ति एवं राष्ट्रीय युवा योजना के तत्वाधान में राष्ट्रीय अवार्ड कार्यक्रम का संयोजन सुरेश राठी ने किया था। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय गांधी निधि के महासचिव संजय सिंह, खादी आश्रम पानीपत की अध्यक्ष श्रीमती निर्मल दत्त, डॉ. निर्मला देशपांडे सेवा संस्थान के अध्यक्ष राम मोहनराय एडवोकेट, कुमारी इति मुखेरिया समाजसेवी झांसी, उत्तरप्रदेश व अंतरराष्ट्रीय हिंदी प्रचार वाणी, नीदरलैंड के उपाध्यक्ष मौजीज आजाद सहित लगभग दो दर्जन समाजसेवी को सम्मानित किया गया। इस दौरान देश भर से आए करीब 50 समाजसेवियों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।