परगट के यहाँ सिद्धू की बैठक, आखिर यह चल क्या रहा है?

कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ महिला नेता ने कहा कि पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नवजोत सिंह सिद्धू से मिलना भी नहीं चाहते। सोनिया गांधी का भी समय नहीं मिल पा रहा था। यह सब कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आसान कराया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमें पता है कि गलत हो गया, लेकिन अब यहां सुधार थोड़ा मुश्किल है। क्योंकि अब सब हाईकमान के स्तर पर होना है। कांग्रेस को छोड़कर दूसरी पार्टी में गई एक नेता का कहना है कि वह मेरा पुराना घर हो गया। मुझे इस बारे में कुछ नहीं बोलना है। लेकिन इसी तरह के निर्णय पार्टी की धार को कमजोर कर देते हैं। जहां निर्णय लेना होता है, वहां लिया नहीं जाता। जहां गैरजरूरी है, वहां कुछ भी हो जाता है। मेरे विचार में पार्टी को इस तरह की स्थितियों से सबक लेना चाहिए।

पंजाब(ब्यूरो) :

अब सिद्धू क्या करेंगे? पंजाब प्रदेश कॉंग्रेस का प्रधान बनने से पहले ही मुख्यमंत्री कैप्टन से रार रखने वाले सिद्धू ने अब पंजाब प्रदेश के प्रभारी और कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से भी ठन गयी है। पंजाब कॉंग्रेस के कैप्टन विरोधी गुट के कुछ नेता हरीश रावत से मिलने देहरादून पहुंचे थे। जो रावत को नागवार गुजरा। फिर सिद्धू पंजाब में रावत और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक को छोड़ सीधे दिल्ली हाइकमान से मिलने पहञ्चे, जहां उन्हे कोई भाव नहीं दिया गया यहाँ तक की आलाकमान और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी समय नहीं दिया। प्रियंका वादरा का वरधस्त होने के बावजूद सिद्धू दिल्ली से बैरंग लौटे। कॉंग्रेस के भीतरी सूत्रों क माने तो इस सब के पीछे हरीश रावत की नाराजगी बताई जा रही है जिसे सिद्ध बारंबार नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। इधर आलाकमान से कोई तूल न दिये जाने पर सिद्धू और भी भाड़ा उठे हैं और वह विधायक परगट सिंह ए घर बैठक ले रहे हैं। जैसा मसौदा अभी साफ नेहीन है।

सूत्रों के मुताबिक आलाकमान द्वारा तय किए गए 18-सूत्रीय कार्यक्रम का अपडेट देने के लिए सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बुधवार को हरीश रावत को सिद्धू के साथ एक मीटिंग में बुलाया था और इस मीटिंग में पंजाब के डीजीपी और एडवोकेट जनरल को बुलाकर तमाम कानूनी पेचीदगियों को लेकर चर्चा की जानी थी लेकिन, सिद्धू इस मीटिंग में हरीश रावत के साथ शामिल होने की बजाय सीधा दिल्ली आलाकमान के पास पहुंच गए।

पंजाब के प्रभारी महासचिव हरीश रावत को भी पंजाब में सबकुछ ठीक नहीं लग रहा है। वह भी कुछ मुद्दों का समाधान चाहते हैं। हरीश रावत चंडीगढ़ प्रवास पर थे और उनका इरादा पार्टी तथा सरकार के बीच में कामकाजी सामंजस्य बनाना था। लेकिन अब बात उनके भी दायरे से बाहर जा रही है। कैप्टन से नाराज जो नेता हरीश रावत से मिलने देहरादून गए थे, उन्होंने भी चंडीगढ़ में रावत ने मिलने से परहेज किया। कैप्टन सरकार के मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा को पंजाब में नया मुख्यमंत्री चाहिए। वह कैप्टन को बदलने की मांग पर अड़े हैं। सुखजिंदर सिंह रंधावा के भी तेवर अभी बने हुए हैं। पंजाब के पूर्व कांग्रेस प्रभारी का कहना है कि यह स्थितियां नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस प्रधान बनाए जाने के कारण खड़ी हुई हैं। इससे पार्टी के भीतर दो पावर सेंटर बनने का संकेत गया। इसके साथ-साथ कांग्रेस प्रधान ने अति उत्साह में कई अटपटी पहल भी कर दी है।

इसे सिद्धू का अति आत्मविश्वास कहें या अति उत्साह, कॉंग्रेस के सूत्रों की मानें तो इसे Direct Disobedience यानि नाफरमानी कहा जाएगा। प्रियंका वादरा की शाह पर ही सिद्धू को पंजाब के मुख्यमंत्री और कॉंग्रेस के दिग्गज नेता अमरिंदर सिंह की अनदेखी कर पंजाब कॉंग्रेस का प्रधान बनाया गया। तब से लेकर सिद्धू पंजाब कॉंग्रेस की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं जो वास्तव में कैप्टन की कार्यक्षमता पर सीधी चोट है।

“सिद्धू अपने छोड़े हुए बिजली मंत्रालय के कार्यों से भी आंद्वेलित हैं। जब उन्हे बिजली विभाग में सबकुछ ठीक करने का मौका मिला तो वह इस्तीफा दे कर कैप्टन को ललकारने लगे। पद लोलुप सिद्धू की महत्वकांक्षा सभी दिग्गज और परने कोंग्रेसियों को पछड़ पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है, क्या गारंटी है की सिद्धू जो केजरीवाल और इमरान खान
(प्रधानमंत्री पाकिस्तान) के प्रेम में पगे हैं बिना पोर्टफोलियो के मुख्यमंत्री होंगे और बस ठोको ताली ही दोहराते रहेंगे?” नाम न छापने किस शर्त पर कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ महिला नेता ने पूछा ?